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: अनूपपुर में हाथी का आतंक बेकाबू: 10 दिन में 15 से ज्यादा किसानों की फसलें तबाह, घरों की दीवारें तक गिराईं, गांवों में दहशत, देखिए LIVE VIDEO

अनूपपुर जिला इन दिनों एक उग्र नर हाथी के कहर से कांप रहा है। छत्तीसगढ़ की सीमा पार कर आया यह हाथी पिछले 10 दिनों से गांवों में आतंक मचाए हुए है। दिन में यह चोलना और धनगवां के जंगलों में छिपा रहता है, लेकिन अंधेरा होते ही सीधे खेतों में धावा बोल देता है। धान की फसलें कुचल दी जाती हैं, घरों में तोड़फोड़ होती है और ग्रामीण सदमे में रातें काट रहे हैं। वन विभाग की “निगरानी” अब तक सिर्फ कागज़ों में दिख रही है, जमीन पर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।


15 से ज्यादा किसानों की मेहनत चौपट—पूरे गांव में बर्बादी की तस्वीर

5 नवंबर की रात से अब तक हाथी 15 से अधिक किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद कर चुका है। खेतों में खड़ी धान की पूरी फसल चंद मिनटों में जमीन पर बिछ जाती है। कई किसानों के लिए यह पूरी साल की कमाई पर पानी फेर देने जैसा है।

सबसे ज्यादा प्रभावित किसानों में शामिल हैं—हीरालाल सिंह, रमेश सिंह, अंबिका सिंह, छोटे सिंह पिता पटेल, धन सिंह पिता मग्घू, अमर सिंह, अमोल सिंह (ग्राम चोई—भलुवानघर टोला), छग्गू पिता भागीरथी सिंह, चला बाई पति अर्जुन सिंह, सीताराम राठौर, सुशील राठौर, पूरन राठौर, छग्गू सिंह, प्रेमसाय राठौर, डेमन सिंह, मेघनंद पिता रामा, अमृतिया पति कुंदन और बाबूलाल पिता भोला। इन किसानों के खेतों में धान का एक भी तिना सुरक्षित नहीं बचा।


हाथी ने घरों तक को नहीं छोड़ा—दीवारें ढहाईं, उपकरण तोड़े, गांव थर-थर कांपा

यह सिर्फ फसलों तक सीमित हमला नहीं है। हाथी ने गांवों के घरों और उपकरणों को भी निशाना बनाया है।

  • भलुवानघर टोला के छग्गू पिता भागीरथी सिंह के खेत में लगे बोरवेल मशीन और पाइपों को हाथी ने दो बार चकनाचूर किया।
  • कुकुरगोड़ा—मंटोलियाटोला के बालकराम कोल के घर में दो बार तोड़फोड़ की गई।
  • छग्गू सिंह के घर की दो दीवारें हाथी ने गिरा दीं, जिससे परिवार पूरी तरह दहशत में है।
  • गुरुवार रात को बुद्धू पिता मैकू अगरिया और संतोष पिता सीताशरण कोल के घरों में भी हाथी ने घुसकर भारी नुकसान पहुंचाया। गांव में कोई भी घर, कोई भी खेत खुद को सुरक्षित नहीं मान रहा।

ग्रामीण भड़क उठे—रातभर पहरा, खौफ, और मुआवजे पर गुस्सा

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 10 दिनों में उनका जीना दूभर हो गया है। रातभर पहरा देना मजबूरी बन गई है। हाथी कभी भी गांव के किसी भी हिस्से में घुस सकता है। लोगों का डर अब गुस्से में बदल रहा है।

ग्रामीणों ने साफ कहा है—“न हाथी का डर कम हुआ है, न प्रशासन की नींद टूटी है। मुआवजा भी समय पर नहीं मिल रहा।”

किसानों का कहना है कि उनकी खड़ी फसलें खत्म हो गईं, घर टूट गए, लेकिन सरकारी प्रक्रिया इतनी धीमी है कि नुकसान का आकलन तक शुरू नहीं हुआ।


वन विभाग सिर्फ ‘निगरानी’ में व्यस्त—स्थिति पर काबू का कोई ठोस कदम नहीं

वन विभाग का दावा है कि हाथी पर लगातार नजर रखी जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि

  • हाथी रोज गांवों तक पहुंच रहा है,
  • रोज फसलों को रौंद रहा है,
  • रोज घर टूट रहे हैं,
    और विभाग अभी तक इसे रोकने की कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है।

गांव वाले कह रहे हैं—“जब तक बड़ी दुर्घटना न हो जाए, तब तक प्रशासन को हरकत में आते देर ही लगती है।”

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