: ये तीन मुद्दे... जिसकी वजह छत्तीसगढ़ में बीजेपी नहीं कर पा रही भूपेश बघेल का मुकाबला
छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारी से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। वहीं, भूपेश बघेल ने कहा कि हमें जनता का सहयोग मिल रहा है। क्योंकि सरकार के काम आम जनता तक पहुंच रहे हैं।
सावित्री मंडावी को मिला सहानुभूति वोट
भानुप्रतापपुर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने भावनात्मक कार्ड खेला था। यहां से दिवंगत नेता मनोज मंडावी की पत्नी की कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। सावित्री मंडावी के साथ सहानुभूति वोट के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के काम के आधार पर ही लोगों ने वोट किया। बीजेपी भूपेश बघेल की इस रणनीति को भांप नहीं पाई। सावित्री मंडावी को चुनाव लड़ने से पहले अपनी सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी।
आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने में सफल
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण में कटौती की गई थी। इस मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज कांग्रेस से नाराज था। आदिवासियों की नाराजगी को देखते हुए भूपेश बघेल ने 1 दिसंबर को विधानसभा में आरक्षण प्रस्ताव पास किया। जिसके बाद आदिवासी वोटर्स को अपने फेवर में लाने में सफल रही। जबकि बीजेपी यहीं से पिछड़ गई। भूपेश बघेल ने राज्य में जातिगत आधार पर आरक्षण दिया।
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बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ कैंपेन
भाजपा उम्मीदवार ब्रह्मानंद नेताम के खिलाफ कांग्रेस ने व्यक्तिगत हमला किया। उपचुनाव की घोषणा के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्मानंद नेताम के खिलाफ झारखंड में रेप का केस दर्ज है। इसे लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर रही। जबकि बीजेपी अपने उम्मीदवार की साफ छवि को लेकर उसका बचाव करती रही। कांग्रेस अटैकिंग मोड में रही जबकि बीजेपी बचाव के करती रही।
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