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छत्तीसगढ़ के 3 नेताओं की मां के नाम कहानी: जिनके संघर्ष ने साय को CM बनाया, विजय को नेता, जानिए मंत्री बृजमोहन की स्टोरी ?

Chhattisgarh CM Vishnu Deo Sai Mother Struggle Story Vijay Sharma Brijmohan Agrawal: ‘जिंदगी है साहेब, परेशान तो करेगी ही, मां थोड़ी न है, जो सब कुछ आसान कर देगी…।’ मदर्स डे पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी शीर्ष पर पहुंचे लोगों की ऐसी ही कहानी है। प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय, मां के संघर्ष को ही जिंदगी के लिए प्रेरणा मानते हैं। कहते हैं, उन्हीं के संघर्ष ने इस काबिल बना दिया।

Chhattisgarh CM Vishnu Deo Sai Mother Struggle Story Vijay Sharma Brijmohan Agrawal: वहीं शिक्षा मंत्री और रायपुर से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल मां के नाम पर भावुक हो गए। यह पहला चुनाव है, जब उनके साथ मां नहीं है। कहते हैं, उनकी बातें और लाड़ हमेशा याद आता है। वहीं गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी अपनी मां से जुड़ी दिलचस्प बातें साझा कीं। पढ़िए इन नेताओं की मां की कहानी, उन्हीं की जुबानी…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मां जसमनी देवी के साथ।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मां जसमनी देवी के साथ।

मां ने पिता बनकर पाला हमें

Chhattisgarh CM Vishnu Deo Sai Mother Struggle Story Vijay Sharma Brijmohan Agrawal: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मां जसमनी देवी ने पति के निधन के बाद तीन बेटों की परवरिश की। पढ़ाई में हमेशा मजबूत रहना सिखाया मां को घर का हर जिम्मा निभाता देख CM साय में भी जिंदगी से जूझने की आदत आ गई। गांव के मुद्दों को लेकर अधिकारियों से भिड़ जाते थे।

Chhattisgarh CM Vishnu Deo Sai Mother Struggle Story Vijay Sharma Brijmohan Agrawal: लोगों की आवाज बेटा बने ये मां भी चाहती थी। मां ने ही विष्णुदेव साय को सार्वजनिक जीवन जीने को कहा वो गांव के पंच और फिर सरपंच बने, विधायक, सांसद केंद्र सरकार में मंत्री बने, अब आज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बताते हैं‘मेरे पिता जी का निधन हुआ तब मैं 10 साल का था। मैंने देखा कि कैसे पिता बनकर हमारी मां ने हमें पाला और इस काबिल बनाया। आज जहां हूं मां की वजह से ही हूं। 7 जन्मों में भी मैं उनका ऋण चुका नहीं सकता। हम रोज मां के चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं। मदर्स डे उन देशों में मनता है जहां एक दिन मां को याद किया जाए, मगर हम रोज ही मां को प्रणाम करते हैं।”

लोकसभा चुनाव में मां की तस्वीर को बृजमोहन अग्रवाल नमन कर चुनाव प्रचार में जाते थे।
लोकसभा चुनाव में मां की तस्वीर को बृजमोहन अग्रवाल नमन कर चुनाव प्रचार में जाते थे।

पहला चुनाव जब मां नहीं, तस्वीर साथ थी
प्रदेश के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधायकी के पहले चुनाव का पर्चा मां पिस्ता देवी के पैर छूकर भरा था। वो लगातार 8 बार चुनाव जीते। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार मां साथ नहीं हैं। ​​​​​​लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार घोषित किए जाने से महज 4 दिन पहले ही मां का निधन हो गया। ​बृजमोहन कहते हैं मुझे लगा मां के आशीर्वाद से ही ये मौका मिला है।

बृजमोहन ने कहा, ‘इस बार वो साथ नहीं थीं, मगर उनकी फोटो मैंने अपने चुनाव कार्यालय में अपने घर पर, ऑफिस में लगा रखी है। उनकी तस्वीर को प्रणाम करके ही अपने दिन की शुरुआत करता हूं। जिस दिन नॉमिनेश भरने जा रहा था, मैं इमोशनल हो गया था।

मुझे याद है जब भी धूप में जाता था चुनाव प्रचार करने तो वो कहती थीं- जेब में प्याज लेकर जाओ, धूप से बचकर रहना, मुझे आम का पना बनाकर देती थीं, खाली पेट घर से निकलने नहीं देती थी, बीच-बीच में चुनाव के बारे में जानकारी लेती थी। पूछती थीं सब ठीक चल रहा है न। उनकी इच्छा थी गरीब आम लोगों के लिए उनके मांगलिक कार्यक्रमों के लिए धर्मशाला बने। मैं इस काम में लगा था, जल्द इसका काम शुरू होगा।’

तस्वीर गृहमंत्री विजय शर्मा की मां कृष्णा देवी की है। कवर्धा में हुए विवाद के दौरान विजय शर्मा को जेल जाना पड़ा था, तब उन्होंने भावुक होकर कहा था गर्व है कि बेटा धर्म की खातिर जेल गया।
तस्वीर गृहमंत्री विजय शर्मा की मां कृष्णा देवी की है। कवर्धा में हुए विवाद के दौरान विजय शर्मा को जेल जाना पड़ा था, तब उन्होंने भावुक होकर कहा था गर्व है कि बेटा धर्म की खातिर जेल गया।

स्कूल में पहला चुनाव मां ने ही लड़वाया, पिटाई से डरता हूं
प्रदेश के डिप्टी CM और गृहमंत्री विजय शर्मा वैसे तो निडर होकर काम करते दिखते हैं, मगर अब भी मां कृष्णा देवी की पिटाई से डरते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के पहले चुनाव के बारे में बताया।

गृहमंत्री विजय शर्मा बताते हैं, ‘मैं स्कूल में था, छात्र संघ का चुनाव होना था। मैं इन सब से दूर रहता था, मेरी सोच थी पढ़ाई पर फोकस करूं कोई सर्विस ज्वाइन करूं। दोस्त स्कूल का चुनाव लड़ने की जिद करने लगे, मैंने घर आकर मां को बताया। इसके बाद घर पर बैठक हुई, दोस्त आ गए। सभी की भीड़ थी, मेरी ओर से मां कहने वाली थीं कि चुनाव वगैरह विजय नहीं लड़ेगा, मगर जैसे ही बात शुरू हुई सबसे पहले मां ने कह दिया ये चुनाव लड़ेगा। ऐसे मेरी जिंदगी का पहला चुनाव मैंने लड़ा।

हमारे घर पर पिता जी का भय नहीं होता था, मां की पिटाई का भय होता था। अभी भी कुछ गलत करूं तो पड़ जाती है, बचपन में तो मार पड़ी ही है। इसके बाद तो वो हमेशा मुझे साहस देती रहीं हैं, बिना ये पता लगे कि वो मेरी मदद कर रही हैं। दिनभर में जब भी वक्त मिलता है उनसे बात करके आशीर्वाद ले लिया करता हूं।’

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