: MP के महाठग ने 10 हजार करोड़ से अधिक ठगे: फिल्मी कलाकारों से कराया प्रमोशन, जानिए कैसे बनाई प्रॉपर्टी
MP CG Times / Mon, Dec 2, 2024
Madhya Pradesh Indore Saga Group's CMD Sameer Agarwal fraud case update: मप्र समेत देश के 16 राज्यों में 10 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी करने के बाद सागा ग्रुप का सीएमडी समीर अग्रवाल दुबई में छिपा है। उसकी गिरफ्तारी पर मप्र और यूपी पुलिस ने 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। सीबीआई ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है।
जानिए कैसे सागा ग्रुप ने 15 साल में ठगी का नेटवर्क खड़ा किया और अलग-अलग स्कीम के जरिए लोगों को ठगा। कैसे सट्टा चलाने वाला समीर अग्रवाल एक ग्रुप का सीएमडी बन गया? कैसे उसके एक इशारे पर फिल्मी हस्तियां और राजनेता सागा ग्रुप के कार्यक्रमों में पहुंच जाते थे।
जानिए कैसे उसने ठगी से कमाए पैसों से संपत्ति बनाई विस्तार से
समीर अग्रवाल: मुंबई में मटका सट्टा से जुड़े, वहीं से मिला ठगी का आइडिया
समीर अग्रवाल की ताजा अपडेट यह है कि वह दुबई में रहता है, लेकिन उसने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल छोटे से देश सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस की नागरिकता ले ली है। उसका इस देश का नया पासपोर्ट भी बन गया है। उनकी पत्नी, मां और दोनों बेटियां नवी मुंबई में रहती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने दिखावे के लिए अपनी पत्नी को तलाक दिया था। पिछले 16 सालों में समीर ने सागा ग्रुप के जरिए करोड़ों रुपए कमाए हैं।
एमपी के मुरैना जिले के टेंट्रा गांव से ताल्लुक रखने वाले समीर का परिवार दो पीढ़ी पहले इंदौर शिफ्ट हो गया था। समीर के पिता राजेंद्र अग्रवाल एक निजी कंपनी में काम करते थे। समीर उनका इकलौता बेटा है। 2008 में उन्होंने ग्रेजुएशन किया, पढ़ाई के दौरान ही वे मुंबई से संचालित मटका सट्टा से जुड़ गए और इंदौर में इसके बुकी बन गए। उस समय देश में चिटफंड कंपनियों की बाढ़ सी आ गई थी। समीर ने भी 2009 में अपनी पहली चिटफंड कंपनी खोली और तब से ही फर्जी कंपनियां बनाकर लोगों से पैसे ऐंठता रहा।
2012 के बाद समीर इंदौर छोड़कर नवी मुंबई शिफ्ट हो गया। भोपाल में केस निपटाने में खर्च हुए 4 करोड़ समीर अग्रवाल ने बड़ी ही चालाकी से कंपनी और सोसायटी का रजिस्ट्रेशन ड्राइवर और नौकरों के नाम पर करवा लिया, ताकि वे सीधे किसी कानूनी जाल में न फंसें। वर्ष 2020 में श्री स्वामी विवेकानंद सोसायटी के खिलाफ पहली एफआईआर भोपाल के पिपलानी थाने में दर्ज की गई थी। अवधपुरी में रहने वाले अंकित मालवीय ने शिकायत में लिखा था कि समीर अग्रवाल, रवि तिवारी, आरके शेट्टी और अन्य ने मिलकर उसे पैसे दोगुने करने का लालच दिया।
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इस तरह से उन्होंने कई लोगों से ठगी की है। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद समीर अग्रवाल भोपाल आ गया। उसने शिकायतकर्ता अंकित मालवीय से समझौता कर मामला सुलझा लिया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उस दौरान उसने 4 करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे। इस केस के बाद समीर दुबई के अबूधाबी में शिफ्ट हो गया।
पिता के साथ चाट का ठेला लगाता था, अब होटल का मालिक
यूपी के ललितपुर निवासी रवि तिवारी के पिता तिलकराम होमगार्ड जवान थे। तीन भाइयों में सबसे बड़े रवि 2008-09 में ललितपुर में अपने पिता के साथ चाट फुल्की का ठेला लगाता था। 2009 में समीर अग्रवाल ने झांसी में एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी का एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में रवि अपने रिश्तेदार आलोक के साथ पहुंचे थे। दोनों ही एजेंट के तौर पर एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी से जुड़े थे। उस समय दोनों की उम्र बमुश्किल 17-18 साल रही होगी।
दोनों ने बहुत कम समय में ही कंपनी के लिए करोड़ों का निवेश करवा लिया और समीर अग्रवाल के सीधे संपर्क में आ गए। समीर ने आलोक को यूपी और उत्तराखंड का प्रमुख बनाया, जबकि रवि को एमपी का प्रमुख बनाया। निवेशकों के पैसे से बनाई खुद की प्रॉपर्टी रवि तिवारी ने निवेशकों के जमा पैसों से भोपाल, इंदौर, ललितपुर, टीकमगढ़, झांसी में कई प्लॉट, कृषि भूमि, फार्म हाउस बनवाए हैं। उनका परिवार भोपाल में अयोध्या बाईपास के पास गीत ग्रीन कॉलोनी में रहता है।
उन्होंने अपने पिता तिलकराम के नाम से करोंद में होटल और रेस्टोरेंट खोला है। इस होटल में वे कई प्रभावशाली लोगों को बुलाते हैं और सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करते हैं। रवि तिवारी के जरिए जेएलसीसी कंपनी में 600 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। ललितपुर में पीड़ितों की शिकायत के बाद पुलिस ने अगस्त में रवि और उसके भाई विनोद को गिरफ्तार किया था। दोनों फिलहाल ललितपुर जेल में हैं।
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जूट के बैग बेचने का कारोबार करता था आलोक
ललितपुर निवासी आलोक और रवि तिवारी दोनों एक साथ समीर अग्रवाल की कंपनी से जुड़े थे। कंपनी से जुड़ने से पहले आलोक ललितपुर मंडी में जूट के बैग बेचते थे। समीर अग्रवाल ने आलोक को यूपी और उत्तराखंड का हेड बनाया था।
एमपी में कंपनी का ब्रांच ऑफिस खुलवाने में उनकी अहम भूमिका रही। रवि तिवारी की शादी आलोक की चचेरी बहन शैलजा बजाज से हुई है। इस तरह दोनों रिश्ते में जीजा-साले हैं। अकेले आलोक ने ही समीर अग्रवाल की जेएलसीसी और यूएलसीसी सोसायटियों में 1800 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
यूपी-एमपी में 100 करोड़ की संपत्ति के मालिक
आलोक ने ललितपुर, भोपाल, इंदौर में काफी संपत्ति बनाई है। ललितपुर की कई कॉलोनियों में वह पार्टनर भी है। उसने हैदराबाद में भी संपत्ति खरीदी है। ललितपुर पुलिस के मुताबिक आलोक जैन के पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
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फिल्मी कलाकारों के जरिए कंपनी का प्रमोशन
एलजेसीसी की ओर से मुंबई, हैदराबाद, गोवा, लखनऊ, झांसी, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में कार्यक्रम कराए जाते थे। इसमें कंपनी की ग्रोथ और एजेंट्स की लग्जरी लाइफ की नुमाइश की जाती थी। जेएलसीसी कंपनी के कार्यक्रमों में फिल्मी एक्टर श्रेयस तलपड़े से लेकर सुखविंदर सिंह नामी गायक को बुलाया जाता था।
ललितपुर पुलिस ने एक्टर श्रेयस तलपड़े को भी एक एफआईआर में आरोपी बनाया है। एसपी ललितपुर मोहम्द मुश्ताक कहते हैं कि फिल्मी एक्टर ने लोगों को कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है। इस कारण उन्हें भी आरोपी बनाया गया है। उनके मुंबई पते पर नोटिस भेजा गया।
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जानिए कैसे उसने ठगी से कमाए पैसों से संपत्ति बनाई विस्तार से
समीर अग्रवाल: मुंबई में मटका सट्टा से जुड़े, वहीं से मिला ठगी का आइडिया
समीर अग्रवाल की ताजा अपडेट यह है कि वह दुबई में रहता है, लेकिन उसने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल छोटे से देश सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस की नागरिकता ले ली है। उसका इस देश का नया पासपोर्ट भी बन गया है। उनकी पत्नी, मां और दोनों बेटियां नवी मुंबई में रहती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने दिखावे के लिए अपनी पत्नी को तलाक दिया था। पिछले 16 सालों में समीर ने सागा ग्रुप के जरिए करोड़ों रुपए कमाए हैं।
एमपी के मुरैना जिले के टेंट्रा गांव से ताल्लुक रखने वाले समीर का परिवार दो पीढ़ी पहले इंदौर शिफ्ट हो गया था। समीर के पिता राजेंद्र अग्रवाल एक निजी कंपनी में काम करते थे। समीर उनका इकलौता बेटा है। 2008 में उन्होंने ग्रेजुएशन किया, पढ़ाई के दौरान ही वे मुंबई से संचालित मटका सट्टा से जुड़ गए और इंदौर में इसके बुकी बन गए। उस समय देश में चिटफंड कंपनियों की बाढ़ सी आ गई थी। समीर ने भी 2009 में अपनी पहली चिटफंड कंपनी खोली और तब से ही फर्जी कंपनियां बनाकर लोगों से पैसे ऐंठता रहा।
2012 के बाद समीर इंदौर छोड़कर नवी मुंबई शिफ्ट हो गया। भोपाल में केस निपटाने में खर्च हुए 4 करोड़ समीर अग्रवाल ने बड़ी ही चालाकी से कंपनी और सोसायटी का रजिस्ट्रेशन ड्राइवर और नौकरों के नाम पर करवा लिया, ताकि वे सीधे किसी कानूनी जाल में न फंसें। वर्ष 2020 में श्री स्वामी विवेकानंद सोसायटी के खिलाफ पहली एफआईआर भोपाल के पिपलानी थाने में दर्ज की गई थी। अवधपुरी में रहने वाले अंकित मालवीय ने शिकायत में लिखा था कि समीर अग्रवाल, रवि तिवारी, आरके शेट्टी और अन्य ने मिलकर उसे पैसे दोगुने करने का लालच दिया।
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इस तरह से उन्होंने कई लोगों से ठगी की है। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद समीर अग्रवाल भोपाल आ गया। उसने शिकायतकर्ता अंकित मालवीय से समझौता कर मामला सुलझा लिया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उस दौरान उसने 4 करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे। इस केस के बाद समीर दुबई के अबूधाबी में शिफ्ट हो गया।
पिता के साथ चाट का ठेला लगाता था, अब होटल का मालिक
यूपी के ललितपुर निवासी रवि तिवारी के पिता तिलकराम होमगार्ड जवान थे। तीन भाइयों में सबसे बड़े रवि 2008-09 में ललितपुर में अपने पिता के साथ चाट फुल्की का ठेला लगाता था। 2009 में समीर अग्रवाल ने झांसी में एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी का एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में रवि अपने रिश्तेदार आलोक के साथ पहुंचे थे। दोनों ही एजेंट के तौर पर एडवांटेज ट्रेड कॉम कंपनी से जुड़े थे। उस समय दोनों की उम्र बमुश्किल 17-18 साल रही होगी।
दोनों ने बहुत कम समय में ही कंपनी के लिए करोड़ों का निवेश करवा लिया और समीर अग्रवाल के सीधे संपर्क में आ गए। समीर ने आलोक को यूपी और उत्तराखंड का प्रमुख बनाया, जबकि रवि को एमपी का प्रमुख बनाया। निवेशकों के पैसे से बनाई खुद की प्रॉपर्टी रवि तिवारी ने निवेशकों के जमा पैसों से भोपाल, इंदौर, ललितपुर, टीकमगढ़, झांसी में कई प्लॉट, कृषि भूमि, फार्म हाउस बनवाए हैं। उनका परिवार भोपाल में अयोध्या बाईपास के पास गीत ग्रीन कॉलोनी में रहता है।
उन्होंने अपने पिता तिलकराम के नाम से करोंद में होटल और रेस्टोरेंट खोला है। इस होटल में वे कई प्रभावशाली लोगों को बुलाते हैं और सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करते हैं। रवि तिवारी के जरिए जेएलसीसी कंपनी में 600 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। ललितपुर में पीड़ितों की शिकायत के बाद पुलिस ने अगस्त में रवि और उसके भाई विनोद को गिरफ्तार किया था। दोनों फिलहाल ललितपुर जेल में हैं।
मध्यप्रदेश को मिले 9 नए IAS: UPSC ने रिजल्ट के बाद कैडर अलॉट, अब MP में IAS की संख्या 393 हुई
जूट के बैग बेचने का कारोबार करता था आलोक
ललितपुर निवासी आलोक और रवि तिवारी दोनों एक साथ समीर अग्रवाल की कंपनी से जुड़े थे। कंपनी से जुड़ने से पहले आलोक ललितपुर मंडी में जूट के बैग बेचते थे। समीर अग्रवाल ने आलोक को यूपी और उत्तराखंड का हेड बनाया था।
एमपी में कंपनी का ब्रांच ऑफिस खुलवाने में उनकी अहम भूमिका रही। रवि तिवारी की शादी आलोक की चचेरी बहन शैलजा बजाज से हुई है। इस तरह दोनों रिश्ते में जीजा-साले हैं। अकेले आलोक ने ही समीर अग्रवाल की जेएलसीसी और यूएलसीसी सोसायटियों में 1800 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
यूपी-एमपी में 100 करोड़ की संपत्ति के मालिक
आलोक ने ललितपुर, भोपाल, इंदौर में काफी संपत्ति बनाई है। ललितपुर की कई कॉलोनियों में वह पार्टनर भी है। उसने हैदराबाद में भी संपत्ति खरीदी है। ललितपुर पुलिस के मुताबिक आलोक जैन के पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
MP में चलती एंबुलेंस में लड़की से दुष्कर्म: पीड़िता की मां बोली- पहले दिन पुलिस ने समझौता करने कहा, 3 दिन बाद केस दर्ज
फिल्मी कलाकारों के जरिए कंपनी का प्रमोशन
एलजेसीसी की ओर से मुंबई, हैदराबाद, गोवा, लखनऊ, झांसी, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में कार्यक्रम कराए जाते थे। इसमें कंपनी की ग्रोथ और एजेंट्स की लग्जरी लाइफ की नुमाइश की जाती थी। जेएलसीसी कंपनी के कार्यक्रमों में फिल्मी एक्टर श्रेयस तलपड़े से लेकर सुखविंदर सिंह नामी गायक को बुलाया जाता था।
ललितपुर पुलिस ने एक्टर श्रेयस तलपड़े को भी एक एफआईआर में आरोपी बनाया है। एसपी ललितपुर मोहम्द मुश्ताक कहते हैं कि फिल्मी एक्टर ने लोगों को कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है। इस कारण उन्हें भी आरोपी बनाया गया है। उनके मुंबई पते पर नोटिस भेजा गया।
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