भारत में हर साल 24 लाख ईसाई बनाने का टारगेट ? MP-CG, झारखंड और ओडिशा में बढ़ी धर्मांतरण की रफ्तार, जानिए मिशन जोशुआ की सीक्रेट कहानी ?
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: ईसाई धर्म दुनिया में सबसे ज़्यादा पालन किया जाने वाला धर्म (how Christianity came to India) है। दुनिया में करीब 220 करोड़ ईसाई हैं। यानी दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति ईसाई है। हालांकि, अगर भारत की बात करें तो यहां ईसाइयों की संख्या करीब 3 करोड़ है। करीब 2.3%। तहकीकात के इस एपिसोड में हम बात करेंगे कि ईसाई धर्म और धर्मातंरण की सीक्रेट कहानी की ?
हर साल करीब 24 लाख लोग ईसाई बनाने का दावा
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: दावा किया जा रहा है कि देश में हर साल करीब 24 लाख लोग ईसाई बनते हैं। यह दावा अमेरिका से चल रहे जोशुआ प्रोजेक्ट की वेबसाइट का है। इसका मकसद ईसाई धर्मांतरण को बढ़ाना और जगह-जगह चर्च बनवाना है। कई गांवों में नए चर्च बन चुके हैं। इसके तहत देश में 2,272 जाति श्रेणियां बनाई गई हैं। हर श्रेणी के लिए एक एजेंट नियुक्त किया गया है। यह पूरे देश में फैला हुआ है।
110 गांवों की 18 दिनों तक जांच की
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: एक मीडिया संस्थान ने सच्चाई जानने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के 110 गांवों की 18 दिनों तक जांच की। धर्मांतरण करने वाले लोगों का दावा है कि चर्च जाने के बाद उनकी आर्थिक और शारीरिक समस्याएं दूर हो गईं। धर्मांतरण कराने वाले एक पादरी ने प्रोजेक्ट जोशुआ की वेबसाइट के बारे में बताया।
जोशुआ प्रोजेक्ट के बारे में बात करने से इनकार
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: इसका दावा है कि भारत की आबादी 143 करोड़ है और वे 6 करोड़ लोगों तक पहुंच चुके हैं। इसमें प्रति वर्ष धर्मांतरण की दर 3.9% है। देश के सबसे बड़े चर्चों में से एक कुनकुरी के क्वीन कैथेड्रल ऑफ रोजरी के बिशप इमैनुअल कैरेटा डीडी से जब हमने जोशुआ प्रोजेक्ट के बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने हमसे मिलने से इनकार कर दिया।
वेबसाइट 24 साल से अमेरिका से संचालित
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: दावा है कि अमेरिका से चलाए जा रहे जोशुआ प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर कहा गया है कि भारत में इसकी पहुंच 6 करोड़ लोगों तक है। हर 100 में से 4 लोग अपना धर्म बदल रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि यह वेबसाइट 24 साल से अमेरिका के कोलोराडो स्प्रिंग्स से संचालित हो रही है, लेकिन मालिक का पता नहीं है।
प्रोजेक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: वहीं, जोशुआ प्रोजेक्ट के बारे में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा, झारखंड-ओडिशा के डीजीपी, मध्य प्रदेश के आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) से चर्चा की गई। उनका कहना है कि उन्हें प्रोजेक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
जमीनी हकीकत: शादी, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: मीडिया संस्थान ने जब एमपी, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के 110 गांवों की जांच की तो 82 गांव ईसाई बहुल पाए गए। धर्मांतरण एजेंट की जिम्मेदारी बीमार और परेशान लोगों को ढूंढ़कर प्रार्थना सभा में लाना है। सभा में काले जादू के जरिए लोगों को ठीक भी किया जा रहा है। पढ़िए कहां और कैसे हो रहा है धर्मांतरण।
मध्य प्रदेश में धर्मांतरण की क्या स्थिति है?
मुफ्त शिक्षा और चमत्कारी जल के लालच में धर्म बदल रहे हैं। झाबुआ और अलीराजपुर में कुछ महीनों में कई चर्च खुल गए हैं। झाबुआ की पायल 2 महीने पहले ही ईसाई बनी हैं।
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: उनका कहना है, मैं चर्च का अमृत जल पीकर स्वस्थ हो गई, इसलिए मैंने धर्म बदल लिया। हिंदू जागरण मंच के जिला सह संयोजक बलराम बुंदेला का कहना है कि वे भी मुफ्त शिक्षा का झांसा देकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की क्या स्थिति है?
सर्वे कहता है कि 10 साल में 50 हजार लोगों ने धर्मांतरण किया। जशपुर के दुलदुला भीजपुर गांव के धर्मेंद्र की बेटी ने एक महीने पहले ही ईसाई लड़के से शादी की है। धर्मेंद्र कहते हैं कि अभी हमारा मन बदला है, धर्म नहीं।
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: धर्म जागरण समन्वय के अध्यक्ष और घर वापसी कार्यक्रम के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह के अनुसार, एक सर्वे के अनुसार 10 साल में 50 हजार लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है।
झारखंड में धर्म परिवर्तन की क्या स्थिति है?
लोगों को पीएम आवास दिलाने का लालच देकर भी बहकाया जा रहा है। गुमला जिले के मेराल गांव में घुसते ही बाहर क्रॉस का चिन्ह लगा है। यहां के जयराम किसान बताते हैं कि गांव के 250 घरों में से 150 से ज्यादा लोग ईसाई बन चुके हैं। हमें भी लालच दिया गया कि अगर धर्म अपनाओगे तो पीएम आवास दिलवा देंगे। लोगों को नौकरी भी दी जा रही है।
ओडिशा में धर्म परिवर्तन की क्या स्थिति है?
सरकारी पैसे से चर्च बन रहे हैं, मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं। सुंदरगढ़ के बालीशंकरा में 2023-24 में 4 लाख रुपए से चर्च का जीर्णोद्धार किया गया। यह काम मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना से हुआ।
Mission Joshua In Madhya Pradesh Chhattisgarh Jharkhand Odisha Proselytism: धर्मांतरण पर काम करने वाले प्रमोद सामंत बताते हैं कि गांवों में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाकर बीमारियों का पता लगाया जाता है, फिर इलाज के नाम पर लोगों का धर्मांतरण किया जाता है। यह तेजी से बढ़ रहा है।
कैसे चल रहा है नेटवर्क?
जब हमने जोशुआ प्रोजेक्ट के एजेंटों के बारे में पता लगाया तो तीनों राज्यों के 22 चर्च और 17 ईसाई बहुल गांवों में पूछताछ के बाद हमें एक पूर्व एजेंट मदन टिक्का के बारे में जानकारी मिली। वह छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव के खूंटपानी गांव में रहता है। दो दिन की तलाश के बाद हम उससे मिले।
भारत में कहां और कैसे हुई ईसाई धर्म की शुरुआत ?
माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सबसे पहले केरल के तटीय शहर क्रैंगानोर से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह के 12 मुख्य शिष्यों में से एक सेंट थॉमस 52 ई. में केरल के कोडुंगल्लूर आए थे। भारत आने के बाद सेंट थॉमस ने 7 चर्च बनवाए। उन्होंने दूसरे धर्मों के कुछ लोगों को भी ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए राजी किया।
इसके बाद सेंट थॉमस लोगों का धर्म परिवर्तन करते हुए भारत के पूर्वी तट पर चले गए और वहां से चीन को पार कर गए। भारत लौटकर वे मद्रास यानी चेन्नई में बस गए और यहां के लोगों को ईसाई धर्म के बारे में जानकारी देने लगे। लेकिन चेन्नई के लोगों ने नए धर्म को स्वीकार नहीं किया।
ऐसा भी कहा जाता है कि इसके बाद यहां के लोगों ने सेंट थॉमस को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और एक गुफा में उनकी हत्या कर दी गई। चेन्नई का यह स्थान आज भी सेंट थॉमस माउंट के नाम से प्रसिद्ध है। वर्ष 1523 में पुर्तगालियों ने उनकी कब्र पर एक चर्च बनवाया, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिस समय सेंट थॉमस भारत आए थे, उस समय कई यूरोपीय देशों में ईसाई धर्म का अस्तित्व नहीं था। इसलिए ईसाई धर्म की जड़ें कई यूरोपीय देशों से पहले ही भारत में फैल चुकी थीं।
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