Kanker Villagers built Jugad bridge: कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। यानि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसान किसी भी तरह से काम ढूंढ़ लेता है। ताजा मामला कांकेर से सामने आया है। यहां के ग्रामीणों ने जुगाड़ से बांस का पुल बना दिया है। इस जुगाड़ पुल के बनने से करीब 400 लोगों को राहत मिली है।
तीन गांवों के लोगों ने बनाया जुगाड़ पुल
Kanker Villagers built Jugad bridge: कांकेर से ग्राम पंचायत बांस कुंड 40 किलोमीटर दूर है। ग्राम पंचायत बांस कुंड पर निर्भर तीन गांव ऊपर टोंका, नीचे टोंका और चालचूर हैं। यहां के ग्रामीणों को पुल की जरूरत थी। इसलिए ग्रामीणों ने जुगाड़ पुल बना दिया। ग्रामीणों ने श्रमदान कर दो दिन में बांस का पुल बना दिया।
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्रामीणों की मानें तो आजादी के 70 साल से ज्यादा समय बाद भी इन तीनों गांवों के लोगों के लिए पुल नहीं बन सका। 2 साल पहले 4 किलोमीटर सड़क बन गई, लेकिन चिनार नदी पर पुल नहीं बना।
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्रामीणों ने बताया कि नदी उफान पर होने के कारण बारिश के दिनों में शिक्षक स्कूल में पढ़ाने नहीं आ पाते हैं। हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को नदी पार करने में परेशानी होती है।
400 लोगों का आवागमन हुआ आसान
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्रामीणों ने लगातार शासन प्रशासन और नेताओं से पुल निर्माण की मांग की थी। मांग करते-करते थक गए, लेकिन पुल नहीं बन सका। हताश होकर ग्रामीणों ने खुद ही इस नदी में बांस-बल्लियों से अस्थायी पुल बना दिया, जिससे तीन गांवों के 400 लोगों का आवागमन आसान हो गया।
ग्रामीणों की मानें तो 10 साल पहले चिनार नदी पर स्टॉप डैम बनाया गया था, जिसमें गेट न होने के कारण पानी नहीं रुकता था। परेशान ग्रामीणों ने बारिश से पहले बेकार पड़े स्टॉप डैम पर बांस-बल्लियों से अस्थायी पुल बना दिया। जब तक नदी में पानी रहता है, ये ग्रामीण इसी अस्थायी पुल से आवागमन करते हैं।
पहले राशन लेने जाने में होती थी दिक्कत
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्रामीणों ने बताया कि आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता था। अब अस्थायी पुल बनने से विद्यार्थियों, शिक्षकों और ग्रामीणों को सुविधा मिल रही है।” -ग्रामीण
जुगाड़ पुल बना ग्रामीणों का सहारा
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्राम पंचायत बांस कुंड, ऊपर टोंका, नीचे टोंका और चलाचूर पर आश्रित गांव ऐसे हैं, जो बारिश के 4 महीने में टापू बन जाते हैं। यहां कोई वैकल्पिक मार्ग न होने से ग्रामीणों को परेशानी होती थी।
Kanker Villagers built Jugad bridge: ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से कई बार मांग की, लेकिन पुल नहीं बन सका। अब ग्रामीणों ने बांस और लकड़ी से पुल बना लिया है। इस अस्थायी पुल से करीब तीन गांवों को लाभ मिल रहा है। अब इन तीनों गांवों के ग्रामीण इसी अस्थायी पुल से आवागमन कर रहे हैं।
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