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कोर्ट की टिप्पणी: बार-बार घर से भागने वाली महिला भरण-पोषण की हकदार नहीं, न्यायालय ने खारिज की अर्जी, जानें पूरा मामला

Woman repeatedly running away from home is not entitled to maintenance Court: मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के गढ़ा फाटक निवासी नमन साहू पिता प्रहलाद साहू की ओर से फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की गई थी. अनावेदिका ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत भरण-पोषण राशि की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की थी. लेकिन कोर्ट ने आवेदन को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि घर से बार-बार भागने वाली महिला भरण पोषण की हकदार नहीं है.

याचिका में कहा गया था कि उनकी शादी अप्रैल 2017 में मंझौली निवासी अनामिका साहू से हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी. पत्नी के किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध और उसके परिवार के सदस्यों के आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए तलाक मांगी गई थी. याचिका में कहा गया था कि उसकी पत्नी खुद उसके साथ नहीं रहना चाहती और बिना बताये घर से भाग जाती है.

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अनावेदिका की पत्नी ने भी आवेदन देकर भरण-पोषण के लिए 25 हजार रुपये की मांग की है. अर्जी पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पत्नी की गुमशुदगी के संबंध में दर्ज तीन एफआईआर पेश की गईं.

इसके अलावा पत्नी की ओर से पूर्व में एक युवक पर शादी का दबाव बनाने संबंधी जानकारी भी पेश की गई. फैमिली कोर्ट ने पाया कि प्रार्थिया ने स्वयं घर से भागने की गलती स्वीकार की है. इसी आधार पर कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी.

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सुसराल से महिला बिना बताए भाग जाती थी. पति द्वारा पत्नी को तलाशने के लिए तीन बार गुमशुदगी का मामला भी दर्ज करवाया गया था. महिला ने न्यायालय में इस गलती को स्वीकार किया. कुटुम्ब न्यायालय के तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने इस आधार पर महिला के भारण-पोषण के आवेदन को निरस्त कर दिया.

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