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छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड के बीच ‘कुर्सी’ की भागदौड़ भी पड़ी ठंडी, आलाकमान से ‘बाबा’ की मुलाकात रही असफल ?, भाजपा के खिलाफ साथ लड़ने की मिली नसीहत !

रोहित, रायपुर। छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंंड दस्तक दे दी है. सूरज की किरणें मध्यम हो गई हैं. चिलचिलाती धूप अब कुछ दिन तक अंबर में लुकाछिपी खेलने की फिराक में है. कुछ ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ कांग्रेस में है, जो अचानक से सूरज की किरणें सियासत का रूप लेकर मध्यम हो पड़ी हैं. कांग्रेस में बदलाव के आसार अब नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि गुलाबी ठंड के कारण अब सियासत भी सियासी कंबल ओड़ के राजनीति मियार में ठंडी पड़ गई है. अब आसमानी आवागमन बाधित होने लगे हैं. एक तरह से कहें तो जो बदलाव के आसार थे, अब वो भी घने बादलों में छिपने लगे हैं, जो उथल-पुथल के सियासी कयास लगाए जा रहे थे, अब वो स्थिर हो गए हैं. ठंड में नाव धीमी पड़ गई है और अब साथ मिलकर बीजेपी से लड़ाई लड़ने की नसीहत मिल गई है.

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दरअसल, दिल्ली दरबार में नेता और मंत्रियों का शुभकामनाएं, मेल मिलाव और चर्चाओं का दौर जारी था. सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी दीपावली की शुभकामना के बहाने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले. सिंहदेव काफी समय से कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिल पा रहा था. आखिरकार वो समय आ ही गया औऱ दिवाली शुभकामनाएं भी हो गई, लेकिन सियासत के दरवाजे खुशियां के पटाखे नहीं फूटे. इन सबके बीच मीडिया कहां पीछे रह जाए, सवालों के बाण सीधे धुक-धुकी में लगे. इससे कांग्रेस में सियासी पारा हमेशा हाई रहा, क्योंकि मीडिया में नेता बयान देते-देते थक गए की कुर्सी अभी हिफाजत है, इसमें अभी घुन नहीं लगे हैं, जो इस कुर्सी को बदलकर नई कुर्सी जमा दिया जाए, लेकिन मीडिया तो मीडिया है, कहां सवाल दबने वाले थे, हर जगह बस वही चर्चा.

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इसी बीच कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात हुई थी. इसके बाद से सिंहदेव फिर से कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने के लिए समय मांग रहे थे. ये मिलने मिलाने का दौर जारी रहा, लेकिन कुछ बात नहीं बन पाई. सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी से मुलाकात का समय तय होने से पहले सिंहदेव एक राजनीतिक रणनीतिकार से भी मुलाकात किए थे. प्रदेश में जो सियासी पारा हाई है, उसके लिए कुछ दवाई बता दो, तो वैक्सीन आई हो कोई नई तो वही बता दो या कोई मंत्र ही फूंक दीजिए, जिससे भला हो जाए, लेकिन वो टोटके काम नहीं आए. हालांकि आलाकमान से मुलाकात के दौरान प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई बात नहीं हुई. कांग्रेस अध्यक्ष ने संक्षिप्त मुलाकात के दौरान एकजुट होकर कांग्रेस की प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को आगे लाने को कहा है, जिससे भाजपा के भ्रामक प्रचार का जवाब दिया जा सके.

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वैसे टीएस सिंहदेव मीडिया के सामने कभी खुलकर कुछ नहीं बोले कि ढाई-ढाई साल की कोई बात आलाकमान से हुई है, जिससे कुर्सी की लड़ाई लड़ सकें, लेकिन मीडिया से उठती सियासी आग और उम्मीदों के लपटें अपनी ओर खींच ही ले रही थी, क्योंकि बाबा दबे जुबान सब कुछ कह जाते थे, वो हमेशा से कहते हैं कि कप्तान बदलते रहते हैं. आलाकमान जो फैसला लेगा वो मानेंगे. माना जा रहा है कि सिंहदेव आलाकमान से मुलाकात के बहाने कुर्सी की जिज्ञासा व्यक्त करना चाह रहे थे, लेकिन लालसा दबी रह गई. सूत्रों का कहना है कि उन्हें साफ कहा गया है कि प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एकजुटता का संदेश जाना चाहिए. फिलहाल राज्य में कोई फेरबदल के मूड में नहीं हैं. इस तरह की सभी अटकलों को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से सीएम भूपेश बघेल की मुलाकात के बाद विराम दिया जा चुका है. बघेल को यूपी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.

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सूत्रों के मुताबिक सिंहदेव ने मुलाकात में छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीतिक स्थिति, कांग्रेस के घोषणापत्र और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर संक्षेप में कांग्रेस अध्यक्ष को जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ में गुटबंदी खत्म कर भाजपा की खामियों को आगे लाने और प्रदेश की कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को सामने लाने को कहा है. सूत्रों के मुताबिक नेतृत्व बदलाव को लेकर कोई बातचीत मुलाकात के दौरान नहीं हुई.

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बहरहाल, ये ठंडी सियासी पारा को ठंड कर गई है. उम्मीदों की किरणें घने बादलों में छिप गए हैं. सूरज भी अपनी तपिश से पारा हाई नहीं कर पा रहा है. विपक्ष भी अब इस मुद्दे से बोर हो गया है, वो 2023 की तैयारी में दिलचस्पी दिखा रहा है. नेता भी अब सियासी कंबल ओड़कर अपने-अपने कामकाजों में जुटे दिखाई दे रहे हैं, लेकिन समय तो है अभी ठंड खत्म होते ही कहीं सियासत में कुर्सी को लेकर पसीना न बहने लगे, क्योंकि मौसम और राजनीति में बदलाव का कोई ठिकाना नहीं रहता, इललिए गुलाबी ठंड के बीच कयास कायम हैं.

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