तंबाकू और सिगरेट पुरुषों को बना रहा बांझ : एम्स भोपाल के रिसर्च में खुलासा, स्पर्म की झिल्ली-डीएनए को भी नुकसान
MP CG Times / Thu, Dec 18, 2025
अब तक तंबाकू को कैंसर, हृदय और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जोड़कर देखा जाता रहा है, लेकिन एम्स भोपाल में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन ने इसके एक और खतरनाक पहलू को उजागर किया है। शोध में सामने आया है कि तंबाकू का सेवन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और सीधे तौर पर शुक्राणुओं को कमजोर बनाता है।
एम्स भोपाल द्वारा किए गए इस पोस्टमॉर्टम आधारित अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि जितना अधिक तंबाकू का सेवन किया जाता है, उतना ही अधिक नुकसान शुक्राणुओं की गुणवत्ता को पहुंचता है। यह असर समय के साथ और गहराता जाता है, जिससे पुरुष बांझपन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

57 मृत पुरुषों पर किया गया वैज्ञानिक अध्ययन
यह शोध 18 से 55 वर्ष आयु वर्ग के 57 मृत पुरुषों पर आधारित था। इनमें 28 पुरुष तंबाकू का सेवन करते थे, जबकि 29 ने कभी तंबाकू का उपयोग नहीं किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO, 2021) के मानकों के अनुसार शुक्राणुओं की जीवितता (Vitality) और गतिशीलता (Motility) का मूल्यांकन किया गया।
अध्ययन में पाया गया कि तंबाकू सेवन करने वाले पुरुषों में शुक्राणुओं की जीवितता गैर-उपभोक्ताओं की तुलना में काफी कम थी। यह अंतर सांख्यिकीय रूप से भी महत्वपूर्ण पाया गया, जिससे यह साफ हो गया कि यह महज संयोग नहीं बल्कि तंबाकू का सीधा प्रभाव है। वहीं, शुक्राणुओं की गतिशीलता में भी गिरावट देखी गई, जो तंबाकू की मात्रा और अवधि बढ़ने के साथ और स्पष्ट होती गई।
पुरुष बांझपन की बढ़ती समस्या
विश्व स्तर पर करीब 15 प्रतिशत दंपत्ति बांझपन से जूझ रहे हैं, जिनमें लगभग 50 प्रतिशत मामलों में कारण पुरुष होते हैं। इसके बावजूद समाज में बांझपन को आज भी मुख्य रूप से महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू, शराब और तनाव जैसे जीवनशैली संबंधी कारण पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पोस्टमॉर्टम आधारित शोध क्यों है अहम
इस अध्ययन की सबसे बड़ी विशेषता इसका पोस्टमॉर्टम आधारित होना है। जीवित व्यक्तियों पर किए गए अध्ययनों में दवाइयों, बीमारियों या सैंपल संबंधी त्रुटियों का असर पड़ सकता है, जबकि पोस्टमॉर्टम अध्ययन में ऐसे भ्रमकारी कारक काफी हद तक खत्म हो जाते हैं। इससे तंबाकू के दीर्घकालिक प्रभावों का अधिक सटीक आकलन संभव हो पाया।
राष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान
इस शोध के लिए एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ टॉक्सिकोलॉजी के 21वें राष्ट्रीय सम्मेलन ‘टॉक्सोकॉन-21’ में उन्हें प्रतिष्ठित डॉ. आंद्रे बेस्ट फैकल्टी प्रेजेंटेशन अवॉर्ड प्रदान किया गया।
यह अध्ययन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा वित्तपोषित पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें तंबाकू से होने वाले ऊतक-स्तरीय बदलावों का भी विश्लेषण किया गया।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चेतावनी
शोध का निष्कर्ष साफ है कि, तंबाकू पुरुषों की प्रजनन क्षमता के लिए गंभीर खतरा है, खासकर शुक्राणुओं की जीवितता के लिए। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते तंबाकू छोड़ने से इस खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है। आज तंबाकू छोड़ना, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने जैसा है।
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