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: IGNTU PhD कथित गड़बड़ी केस: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का VC को जारी नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल, PRO ने नोटिस मिलने से किया इनकार

MP CG Times / Fri, Sep 3, 2021

अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक कई मामलों में विवादों पर रहा है. IGNTU के खिलाफ छात्र संगठन और स्थानीय राजनीतिक संगठन कई मर्तबा मोर्चा खोल चुके हैं. एक बार फिर एक वायरल नोटिस से IGNTU प्रबंधन की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. ऐसा हम नहीं ये वायरल नोटिस कह रहा है. जिसमें लिखा है कि कथित PHD प्रवेश गड़बड़ी केस में कुलपति को 15 दिनों के भीतर जवाब देना अनिवार्य है, नहीं तो समन जारी हो सकता है. प्रबंधन पर सवाल उठना लाजमी है कि क्या सच में गड़बड़ियां हुईं हैं, जो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को दखल देना पड़ा ? दरअसल IGNTU में बीते वर्षों में हुए विभिन्न कथित गड़बड़ियों को लेकर स्थानीय संगठन ने स्थानीय स्तर से लेकर दिल्ली तक ज्ञापन के माध्यम से आवाज बुलंद की थी. जिससे सोशल मीडिया पर वायरल और कुछ अखबार पोर्टल में छपे खबरों के मुताबिक माना जा रहा है कि छात्रों के हित में आयोग ने प्रबंधन से जवाब मांगा है. वायरल नोटिस के मुताबिक केंद्रीय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में स्थानीय जनजाति के छात्रों को कथित रूप से प्रवेश से वंचित करने और पीएचडी प्रवेश में गड़बड़ी के संबंध में नोटिस जारी किया है. नोटिस में लिखा है कि पुष्पराजगढ़ के ग्राम बरसोत निवासी रोशन के 2 अगस्त 2021 का अभ्यावेदन के अनुरूप नोटिस दिया गया है. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को 2 अगस्त 2021 को यह अभ्यावेदन प्राप्त हुआ. आयोग ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के तहत उसे प्रदत्त शक्तियों का अनुसरण करते हुए इस मामले का अन्वेषण-जांच करने का निर्णय लिया है. आयोग ने 17 अगस्त को जारी नोटिस में IGNTU के कुलपति से अनुरोध किया है कि इस पत्र के प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर सभी तथ्य और आरोपों पर की गई कार्रवाई को हस्ताक्षर कर डाक या स्वयं उपस्थित होकर दस्तावेज भेजें. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उप निदेशक आर.के. दुबे ने जारी किए गए नोटिस में उल्लेख किया कि कृपया ध्यान रखें कि यदि नियत अवधि में आयोग को उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो वो भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के खण्ड (8) के अन्तर्गत उसे प्रदत्त दीवानी अदालत की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है. व्यक्तिगत रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए आपको समन जारी कर सकता है. इस पूरे मामले में जब MP-CG टाइम्स ने IGNTU पीआरओ डॉ. विजय कुमार दीक्षित से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई नोटिस प्रबंधन को नहीं मिला है. रजिस्ट्रार से भी इस तरह की नोटिस मिलने की जानकारी नहीं है. IGNTU एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, यहां लोगों को एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ता है. इस तरह की कोई नोटिस नहीं मिली है. मुझे भी कुछ न्यूज चैनल से जानकारी मिली, जबकि नोटिस अब तक मिला ही नहीं है. बहरहाल, आयोग का यह नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल है. अब सवाल यह उठता है कि नोटिस जारी हुआ भी है या नहीं, या फिर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के नाम से कोई फर्जी नोटिस बनाकर प्रबंधन और लोगों को गुमराह कर रहा है. क्या इस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग संज्ञान लेगा या फिर नोटिस यूं ही सोशल मीडिया का शोभा बढ़ाता रहेगा. सोशल मीडिया पर वायरल नोटिस को लेकर क्या न्यूज चैनल में चल रहे खबर झूठ बोल रहे हैं या फिर कोई और ये अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. MP-CG टाइम्स इस वायरल नोटिस की पुष्टि नहीं करता है. read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001  

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