: Dussehra 2022: 52 साल पहले बनाया था 30 फीट का रावण इस साल बना रहे 105 फीट का
Publish Date: | Thu, 22 Sep 2022 09:59 AM (IST)
रायपुर। वैसे तो रायपुर में छोटे-छोटे सैकड़ों रावण के पुतलों का निर्माण बांसटाल, बढ़ईपारा में होता है, लेकिन प्रदेश भर के सबसे बड़े रावण के पुतले का आकर्षण डब्ल्यूआरएस कालोनी में होता है। एक ही कलाकार के मार्गदर्शन में 1970-71 से लगातार पुतला निर्माण किया जा रहा है। इस कलाकार का नाम है राजपाल लुंबा। लगभग 80 साल के लुंबा हर साल जोशोखरोस के साथ रावण बनाते हैं। अब तक सैकड़ों बच्चों को रावण बनाना सिखा चुके हैं।
नईदुनिया से विशेष बातचीत में लुंबा ने बताया कि उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ। खड्गपुर रेलवे में नौकरी करते हुए वे 1970 में रायपुर आए और रेलवे कालोनी डब्ल्यूआरएस में रहने लगे। उसी साल कालोनी के लोगों के साथ मिलकर दशहरा पर्व मनाने का निर्णय लिया गया। नेशनल क्लब गठित करके रावण का पुतला बनाने की जिम्मेदारी मैंने ली और पहली बार 30 फीट ऊंचा रावण बनाया। इसे देखने के लिए गुढ़ियारी, खमतराई, बिरगांव, भनपुरी, पंडरी, मोवा जैसे दूरदराज इलाके से सैकड़ों लोग पहुंचे। कई साल तक आयोजन होता रहा है। एक बार किसी कारण से रावण दहन की तैयारियों के लिए चंदा एकत्रित नहीं हुआ तब उस समय के डीआरएम ने अधिकारियों से चंदा दिलवाकर आयोजन को जीवित रखा।
विधायक तरुण चटर्जी और मंत्री राजेश मूणत ने दिलाई प्रसिद्धि
इसके बाद तत्कालीन विधायक तरुण चटर्जी ने भी काफी सालों तक दशहरा पर्व पर विशेष सहयोग किया। भाजपा के शासनकाल में लोकनिर्माण मंत्री रहे राजेश मूणत ने रेलवे कालोनी के इस आयोजन को प्रदेश भर में प्रसिद्धि दिलाई। 2004-05 के बाद से पुतले की ऊंचाई 70-80 फीट से बढ़ते-बढ़ते 100 फीट तक पहुंच गई। भीड़ का यह आलम होता था कि एक लाख लोग रावण दहन करने आने लगे थे।
मुंबइया आतिशबाजी का नजारा
पांच साल पहले तक ऐसा नजारा दिखता था कि दो घंटे तक चलने वाली मुंबई की आतिशबाजी, आर्केस्ट्रा का आनंद लेने शाम चार बजे से ही मैदान खचाखच भर जाता था। ऐसी भीड़ होती थी कि चार-पांच किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था।
15 बाल कलाकारों के साथ जुटे
दशहरा पर्व को अभी 15 दिन बचे हैं और इससे भी 10 दिन पहले से रावण पुतला बनाने का काम शुरू हो चुका है। कलाकार लुंबा के मार्गदर्शन में 15 युवा मिलकर रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद का पुतला बनाने में जुटे हैं। इस साल रावण 105 फीट और मेघनाद, कुंभकर्ण 90-90 फीट बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
गुरु का नाम दशहरा राम
लुंबा बताते हैं कि रावण का पुतला बनाना बचपन में ही सीख गए थे। उनके गुरु का नाम भी दशहरा राम था।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
Source link
विज्ञापन
विज्ञापन
जरूरी खबरें
विज्ञापन

