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: Sarvapitri Amavasya2022:सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल में जल चढ़ाने से मिलता है पुण्य पितरों को अर्पित करें उनकी पसंद के व्यंजन और पकवान

News Desk / Sat, Sep 24, 2022


Publish Date: | Sat, 24 Sep 2022 11:44 AM (IST)

बिलासपुर। सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर को है। इसके साथ ही श्राद्ध पक्ष का समापन होगा। सनातन धर्म में मान्यता है कि इस दिन पीपल पर जल चढ़ाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पितरों को उनकी पसंद का व्यंजन और पकवान अर्पित करना चाहिए। श्रद्धा अनुसार ब्राह्मण भोज की भी परंपरा रही है।

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज तिवारी के मुताबिक पितृपक्ष हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक होता है। पितृपक्ष 10 सितंबर को प्रारंभ हुए थे, जो कि 25 सितंबर को खत्म होंगे। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ उपायों को करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पूर्वजों के लिए पूजा अर्चना की जाती है एवं पितरों को जल अर्पित किया जाता है।

शिव शंकर मंदिर के पुजारी पंडित वासुदेव शर्मा का कहना है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा पितृपक्ष के दौरान अगर आप तर्पण नहीं कर पाएं हैं, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण कर सकते हैं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व है। श्रद्धा अनुसार ब्राह्मण भोज भी कराना चाहिए।

26 से शारदीय नवरात्र आरंभ

माँ नष्टी भवानी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि सर्वपितृ अमावस्या के दूसरे दिन यानी 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र आरंभ होगा। जिसके बाद नौ दिनों तक माता रानी की पूजा अर्चना का दौर चलेगा। सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। वही बिलासपुर में इस नवरात्र को धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्र में हर दिन अलग-अलग देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। आदि शक्ति मां महामाया में सप्तमी को पदयात्रा की भी परंपरा है।

Posted By: Yogeshwar Sharma

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