: भानुप्रतापपुर उपचुनाव: कांग्रेस-बीजेपी के फेवर में हैं ये बातें, जानें आदिवासी आरक्षण के मुद्दे से किसे होगा नुकसान
भानुप्रतापपुर विधानसभा की बात करें तो यहां कुल 1,95,678 वोट हैं। जिसमें पुरुष मतदाता 95,186 और महिला मतदाता 1,00491 रहेंगे साथ ही 1 थर्ड जेंडर भी है। इसके साथ ही भानुप्रतापपुर विधानसभा में 70 फीसदी मतदाता आदिवासी समुदाय से आते हैं।
कितना असर डालेगा आदिवासियों का मुद्दा
भानुप्रतापपुर उपचुनाव को लेकर आदिवासी आरक्षण और उनका मुद्दा क्या होगा उस पर नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से चर्चा में राजनीतिक विशेषज्ञ उचित शर्मा ने बताया कि आदिवासी आरक्षण 2011-12 से कोर्ट में पेंडिंग था। लेकिन अब कोर्ट का फैसला आ चुका है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव को बीजेपी भुनाने में लगी हुई है क्योंकि भानुप्रतापपुर रिजर्व सीट है। वर्तमान में आरक्षण के मुद्दे को अलग नहीं कर सकती है। इसलिए बीजेपी, इस उपचुनाव में कांग्रेस सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है।
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आरक्षण के मुद्दे को आम आदमी फिलहाल समझ नहीं पा रहा है। फिलहाल यह राजनीतिक गलियारों का एक बड़ा मुद्दा है लेकिन सर्व आदिवासी समाज का एक बड़ा समूह है जो सरकार से अलग चलता है। इसलिए उसने भानूप्रतापपुर उपचुनाव में बड़ी संख्या में नामांकन पत्र खरीद कर सरकार पर दबाव बनाया गया।
किसे फायदा और किसे नुकसान
जानकार के अनुसार, लाभ और हानि के दृष्टिकोण से देखें तो कांग्रेस के तरफ झुकाव का कारण होगा सीएम भूपेश की छवि, वनोपज के उचित दाम, वन आदिवासी पट्टा, राजीव मितान क्लब, मनोज मंडावी की छवि, कांग्रेस का एरिया साथ ही भावनात्मक वोट होगा। वहीं, बीजेपी के फेवर सर्व आदिवासी समाज नाराज होकर आरक्षण के मुद्दे को हवा देना, राजधानी के बड़े भ्रष्टाचार और ईडी की लगातार छानबीन के साथ-साथ बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्मानंद नेताम की सादगी और उनकी छवि इसके साथ ही 4 साल भूपेश सरकार की एंटी इनकंबेंसी।
5 दिसंबर को होगा मतदान
छत्तीसगढ़ की भानु प्रताप सीट से कांग्रेस के विधायक मनोज कुमार मंडावी के निधन के बाद से खाली हुई। 10 नवंबर को अधिसूचना जारी हो गई है। 10 नवंबर से ही भानुप्रताप सीट के लिए नामांकन शुरू हो गया है। नामांकन की अंतिम तिथि 17 नवंबर है। 5 दिसंबर को मतदान किया जाएगा और 8 दिसंबर को मतगणना के बाद भानुप्रतापपुर का विधायक घोषित हो जाएगा।
रिपोर्ट- रोहित वर्मन
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