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MP में धक-धका रही सिंधिया की धड़कनें ! कर्नाटक के रिजल्ट से बढ़ी टेंशन, क्या ‘बागियों’ को लगेगा झटका, सियासी गलियारे में होश उड़ाने वाले चर्चे ?

भोपाल। हिमाचल के बाद कर्नाटक भी BJP के हाथ से निकल गया. इन सबके बीच कर्नाटक चुनाव काफी दिलचस्प रहा. यहां के रिजल्ट और बगावत के सुर ने तख्ता पलट दिया. कांग्रेस ने इतिहास रच दिया. 38 साल की तिलिस्म टूट गई. BJP के हाथ से ये राज्य नेताओं में बगावत के कारण गया, जिसका फायदा सीधे कांग्रेस को मिला. अब इस चुनावी रिजल्ट को MP से जोड़ा जा रहा है, क्योंकि यहां भी बगावती सुर तेज होने लगे हैं. BJP और सिंधिया समर्थकों में दो फाड़ देखने को मिल रही है. हमेशा में सिंधिया गुट और BJP नेताओं में टकराव या बयानबाजी सामने आते रहते हैं, ऐसे में MP BJP अब अलर्ट मोड में है. ऐसे में अब बागियों के कारण सिंधिया की चिंता हाई नजर आ रही है.

दरअसल, कर्नाटक में बीजेपी की शर्मनाक हार के बाद देशभर में नतीजों की चर्चा हो रही है. साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव के आंकड़े लोग अपना विश्लेषण कर पेश कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि सिंधिया इससे सतर्क हो जाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि सिंधिया कांग्रेस से बीजेपी में आए थे और पार्टी बदलने वालों का परिणाम कर्नाटक में बहुत बुरा देखने को मिला है.

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कर्नाटक के क्या हैं परिणाम ?

कर्नाटक में 224 सीटें हैं. यानी बहुमत का आंकड़ा 113 है. इसमें से बीजेपी- 66, कांग्रेस- 135, जेडीएस-19 और अन्य ने 4 सीटों पर जीत हासिल की है. यानी कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से सरकार बना रही है. आइए अब इन आंकड़ों को सिंधिया के नजरिए से समझते हैं.

2018 में कर्नाटक में बीजेपी को 104 सीटें मिली थीं. ऐसे में वह सरकार बनाने के आंकड़े से दूर थीं. जिसके चलते कांग्रेस ने जेडीएस के समर्थन से सरकार बनाई. लेकिन, यह भी ज्यादा दिन नहीं चल सका. एक साल के अंदर ही कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और कांग्रेस की सरकार गिर गई. मध्य प्रदेश में सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होकर ऐसा ही किया था.

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सिंधिया के लिए चिंता का विषय क्यों ?

2019 में जिन 17 विधायकों ने भाजपा की सरकार बनाई थी. उनमें से पार्टी ने उपचुनाव में 15 को टिकट दिया था. हालांकि, 12 ही जीत दर्ज करने में सफल हो सके। इस चुनाव में बीजेपी ने 17 में से 14 नेताओं को टिकट दिया था, लेकिन इनमें से 8 चुनाव हार गए. अब अगर मध्य प्रदेश में बीजेपी इन आंकड़ों पर गौर करती है तो सिंधिया समर्थकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

मध्य प्रदेश में क्या हुआ ?

2018 के चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, जिसके बाद कमलनाथ ने निर्दलीय, सपा और बसपा के समर्थन से सरकार बनाई. लेकिन, अभी 15 महीने ही बीते थे कि सिंधिया समर्थक विधायकों ने पाला बदल लिया. मार्च 2020 में सबसे पहले 22 विधायक बीजेपी में शामिल हुए, उसके बाद धीरे-धीरे 6 और आ गए. यानी कांग्रेस के 28 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी. हालांकि, उपचुनाव में 28 में से 9 विधायक चुनाव हार गए.

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अब इसकी चर्चा क्यों हो रही है ?

जानकारों का कहना है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति लगभग एक जैसी है. 2019 में कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरी थी, इसी तरह सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत के कारण मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरी थी. इस चुनाव में कर्नाटक में बागियों का प्रदर्शन खराब रहा. लिहाजा अब संभव है कि पार्टी मध्य प्रदेश को लेकर कुछ योजना बनाए.

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