
गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में जनपद पंचायत लोगों के भरोसे के काबिल नहीं रहा। यहां पंचायतों की शिकायत मैनेज हो जाते हैं, इसलिए बिरीघाट के ग्रामीण शिकायत लेकर जिला पंचायत पहुंचे। कहते हैं कि पंचायत सचिव बड़ा रसूखदार है। पहले तबादले की तलवार लटक रही थी, लेकिन जिला पंचायत की मेहरबानी हुई। अब बेखौफ होकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है।
दरअसल, बिरीघाट पंचायत के लोग अनियमितता से नाराज होकर कलेक्टर के पास जनदर्शन में पहुंचे। सरपंच सचिव को बर्खास्त करने की मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनपद में शिकायत की सुनवाई नहीं होती, इसलिए जिला पहुंचे हैं।
उप सरपंच कनेश्वर मांझी के नेतृत्व में मैनपुर ब्लॉक के बीरीघाट पंचायत के 30 ग्रामीण गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल के पास शिकायतों की लंबी लिस्ट लेकर पहुंचे। अनियमितता को गिनाकर सरपंच प्रेमशिला नागेश, सचिव तुकाराम नायक और रोजगार सहायक ऋषिता वैष्णव को बर्खास्त करने की मांग की।
ग्रामीणों की शिकायत लिस्ट में पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, पीडीएस भवन, महिला सामुदायिक भवन जैसे कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों को अधूरा बताया गया।शिकायत में कहा गया कि सालभर से पंचायत में कोई सभा नहीं हुई। सारे सभा कागजों में दर्शाए जा रहे।
उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य की जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी जाती। ग्राम पंचायत विकास मद के लाखों रुपए को कागजों में दर्शाया जाता है। शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए कलेक्टर अग्रवाल ने जिला पंचायत को जांच के निर्देश दे दिए हैं।
एप्पल बेर नर्सरी का बेचा 40 नग प्लेट
ग्रामीणों ने कहा कि एप्पल बेर के नाम से पूर्व में लाखों का घोटाला जिस नर्सरी में किया गया था। अब वहां लगे सोलर पंप के 40 नग प्लेट को पंचायत ने बेच दिया। गौठान में बोर कराए बगैर बोर की राशि आहरण कर ली गई है।
भारी गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदार जवाब देने के डर से कभी एक स्थाई जगह पर नहीं बैठते हैं। इससे जन्म मृत्यु पंजीयन कराने औ जाति निवास प्रमाण पत्र बनाने वालों को चक्कर लगाना पड़ता है।
नियमित आहरण के बावजूद दो साल से दिव्यांग को नहीं मिला पेंशन
ग्रामीणों के साथ पहुंचे बनसिंग ने कलेक्टर को एक पृथक आवेदन दिया, जिसमें पीड़ित पिता ने बताया कि 14 साल के दिव्यांग बेटी गिरुमती यादव को दो साल से पंचायत पेंशन देना बंद कर दिया है। पिता ने कहा कि राशि नियमित आहरण भी हो रही है।
पंचायत सचिव को कहने पर पेंशन की रकम अपने पास सुरक्षित होना बताया। भुगतान के लिए हमेशा तारीख पर तारीख दी जाती है। साल भर से बगैर पगार के काम कर रहे भृत्य राजेंद्र यादव ने भी भुगतान कराने की गुहार लगाई है।
जनपद पर भरोसा नहीं, जिला पहुंचे
ग्राम पंचायत की मॉनिटरिंग के लिए जनपद पंचायत की जवाबदारी होती है। इस संस्था में लिखित मौखिक शिकायत कर त्रस्त हो चुके ग्रामीण न्याय की आस लेकर सीधे कलेक्टर के पास पहुच गए।
वजह पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि 10 साल पहले जिले का सबसे बड़ा एप्पल बेर घोटाला अफसरों ने पंचायत के कंधे का इस्तेमाल कर इसी पंचायत में किया। दौरे पर आए अफसरों को बार बार समस्या से अवगत कराने के बावजूद नहीं सुनते थे।
मामले में पंचायत सचिव तुकाराम नायक ने कहा कि मैंने कोई भ्रष्टाचार या गबन नहीं किया। ज्यादातर अधूरे कार्य मेरे कार्यकाल का नहीं हैं। बैठक पंजी में उल्लेख है सभा और बैठक का मेरे पर लगाए सभी आरोप निराधार हैं।
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