पुष्पराजगढ़ में 1 ‘अनार’ और 100 बीमार: चुनावी रण में BJP के अनगिनत चेहरे, कई खा चुके हैं गच्चा, अब ‘टिकट’ की होड़ में फूट की गहरी खाई, गांव-गांव, गली-गली खाक छान रहे नेता जी !
MP-CG टाइम्स की स्पेशल रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक आ रहा है. ऐसे में अब सियासी गलियां सजने लगी हैं. सियासी चेहरे दिखने लगे हैं. नेता जी सियासी रण में पकड़ मजबूत करने कूद पड़े हैं. कोई यात्रा निकाल रहे हैं, तो कोई खुद को जनता के हितौषी बता रहे हैं, तो कोई गांव-गांव और गली-गली घूम लोगों से समर्थन जुटा रहा है. ये सब पुष्पराजगढ़ की तस्वीरें हैं, जो विधायक बनने के सपने संजों कर रखे हैं. टिकट के लिए सियासी जमीन तलाशने निकल पड़े हैं. पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बनाने में BJP के नेता चुनावी साल आते ही सक्रिय नजर आ रहे हैं. कई चेहरे हावी नजर आ रहे हैं, क्योंकि इनकी फेहरिस्त लंबी है, जिसमें कई गच्चा खा चुके हैं, तो कोई बगावत कर चुका है. यूं कहें कि अब ‘टिकट’ की होड़ में फूट की डोर लंबी होती दिख रही है. पुष्पराजगढ़ के नेता जी गांव-गांव गली-गली में खाक छानते नजर आ रहे हैं.
विजय पताका लहराना टेढ़ी खीर
दरअसल, हम बात कर रहे हैं आने वाले विधानसभा चुनाव 2023 की. अब सियासी गलियारे में सिर्फ आने वाले विधानसभा चुनाव की ही चर्चाएं चल रही हैं. पब्लिक भी अब चुनावी बातें ही करती नजर आ रही है. अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा की बात करें तो भाजपा के लिए यह विधानसभा सीट पर विजय पताका लहराना कांग्रेस पार्टी के सामने आसान नहीं है, क्योंकि इसकी वजह भाजपा में पड़ी गहरी खाई है. नेताओं में मनमुटाव चल रहा है. एक दूसरे को पछाड़ने में आतुर हैं.
मंच साझा करने में कतराते हैं नेता
पुष्पराजगढ़ बीजेपी के अंदर कई मर्तबा खुलकर देखने को मिला है. पार्टी के कार्यक्रमों में सभी दावेदार मंच साझा करने से तकराते हैं. मंच साझा करने में इनकी मजबूरियां झलक जाती हैं. एक दूसरे से कटते नजर आते हैं, जिसका फायदा कांग्रेस दोनों हाथ समेटती है, जिससे लगता है कि कांग्रेस को पटखनी देना टेढ़ी खीर है. बीजेपी से आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की बात की जाए तो आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी विधानसभा टिकट की दावेदारी करने के लिए अपनी- अपनी जोर आजमाइश कर रहे हैं.
कौन-कौन हैं बीजेपी से टिकट के दावेदार ?
पुष्पराजगढ़ से अगर बीजेपी में टिकट के दावेदार देखें, तो नए पुराने मिलाकर कई नाम सियासी हवा में गोते खा रहे हैं, जो खूब नेता मंत्रियों के चक्कर लगा रहे हैं. अपनी-अपनी पैठ जमाने बड़े चेहरों से मेल-जोल कर रहे हैं. कहा यहां तक जा रहा है कि टिकट की दावेदारी के चक्कर में बीजेपी के नेता एक दूसरे से अनबोलना (बिना बातचीत) हो गए हैं. आपस में ही खटास और गहरी खाई खोदते जा रहे हैं. इन सबके बीच नामों की बात करें, तो हिमाद्री सिंह, फूलचंद सिंह मरावी, नरेंद्र मरावी, पूर्व विधायक और (बागी नेता) सुदामा सिंह, प्रमोद सिंह और हीरा सिंह श्याम का नाम सामने आ रहा है.
कौन है हिमाद्री सिंह ?
हिमाद्री सिंह कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हुई थी, जो अभी वर्तमान में शहडोल लोकसभा सीट से सांसद है. ये पूर्व मंत्री स्व. दलबीर सिंह की बेटी हैं, जिनकी मां कांग्रेस से सांसद थीं, लेकिन हिमाद्री सिंह कांग्रेस से बीजेपी ज्वाइन की औऱ मोदी लहर में चुनाव जीतकर सांसद बनीं. सियासी गलियारे में चर्चा है कि हिमाद्री सिंह का रास्ता इस मर्तबे संसदीय चुनाव में मुश्किल घड़ी की ओर है. क्षेत्र की जनता रूठी हुई है, जिससे अपना रास्ता साफ करने विधायकी के लिए जोर आजमाइश कर सकती हैं.
कौन हैं फूलचंद सिंह मरावी ?
फूलचंद सिंह मरावी बचपन से ही खेल में बहुत पॉपुलर रहे हैं, जिनको पुष्पराजगढ़ के हर इलाके के लोग जानते हैं. इसके अलावा वे पंचायत सचिव हैं, जो अलग-अलग पंचायतों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. यहां भी वे खूब नाम कमाए पंचायतों में विकास से और क….न से भी, जो खूब चर्चे में रहे. ये सांसद हिमाद्री सिंह के करीबी भी माने जाते हैं, जिनकी अच्छी खासी पकड़ है. ये भी कई दशक से टिकट के फिराक में हैं, लेकिन सिस्टम बन नहीं सका. अब सांसद मैडम के रास्ते ये भी बीजेपी से टिकट लेने की जुगत में हैं, लेकिन एक ही घर में टिकट के दो उम्मीदवार हैं. कहा ये जा रहा है कि इनकी अच्छी खासी जुगत लगी है, जिससे इनका रास्ता टिकट के लिए साफ माना जा रहा है.
कौन सुदामा सिंह सिंग्राम ?
सुदामा सिंह सिंग्राम बीजेपी के पूर्व विधायक हैं, जो 2018 में बीजेपी से बगावत कर चुके हैं. इसके अलावा इनकी सांसद हिमाद्री सिंह से दूरियां बरकरार है, जो चर्चा का विषय है. लोगों की माने तो पूर्व विधायक सुदामा सिंह हिमाद्री सिंह से दूरियां बनाकर ही रखते हैं, क्योंकि पिछले चुनाव में इनकी जगह से हिमाद्री सिंह पति को बीजेपी से टिकट मिली थी. ये भी भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. वैसे पूर्व विधायक सुदामा सिंह को 2018 में पार्टी ने टिकट न देकर नरेंद्र मरावी को प्रत्याशी बनाया था, तब ये पार्टी का चुनाव प्रसार न करके खुद ही निर्दलीय प्रत्याशी बन चुनावी मैदान में उत्तर गए थे, जिसका खामियाजा भाजपा को पूर्व में हुए चुनाव पर हार के रूप में भुगतना पड़ा था. ये भी पार्टी से धाकड़ दावेदार माने जा रहे हैं, जो फुंदेलाल सिंह मार्को को पटखनी दे चुके हैं.
कौन है नरेंद्र सिंह मरावी ?
नरेंद्र सिंह मरावी भी बीजेपी के नामी चेहरा हैं, जो अनुसूचित जनजातीय आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं. नरेंद्र सिंह मरावी सांसद हिमाद्री सिंह के पति हैं. ये पुष्पराजगढ़ विधानसभा से बीजेपी की टिकट से चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिन्हें फुंदेलाल सिंह मार्को ने 2018 में करारी शिकस्त दी थी. वहीं इस बार ये भी सियासी जमीन तलाशने जनता तक पहुंच रहे हैं और टिकट के लिए दमखम दिखा रहे हैं. इनके घर में सांसद हैं, तो टिकट का रास्ता साफ है, लेकिन बीजेपी में एक ही घर में दो कुर्सी को लेकर कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जबकि इनसे ज्यादा दमदारी फूलचंद सिंह मरावी की ओर ज्यादा दिखाई दे रही है.
कौन है प्रमोद सिंह ?
प्रमोद सिंह मरावी राजेन्द्रग्राम मण्डल अध्यक्ष हैं, जिनकी पत्नी वर्तमान में पुष्पराजगढ़ जनपद अध्यक्ष है. ये भी अपनी जमीनी पकड़ बनाने हर कार्यक्रम में शामिल होते हैं, जहां अपनी पहचान लोगों से मिलते जुलते हैं. भीतखाने से ये भी चर्चा है कि अंदर ही अंदर लोगों से मिल रहे हैं और टिकट मिलने की उम्मीद के साथ वोट बैंक बना रहे हैं, ताकि आने वाले समय में काम आ सके.
कौन है हीरा सिंह श्याम ?
हीरा सिंह श्याम युवा नेता हैं, जो कम उम्र में जनपद सदस्य बने और जनपद अध्यक्ष की कुर्सी कमान संभाली. इसके साथ ही ये जिला सदस्य भी रह चुके हैं, जो सबसे कम उम्र के जिला सदस्य थे. ये भी पुष्पराजगढ़ के चहेते चेहरे हैं, जो संगठन के कार्य में व्यस्त रहते हैं. इन्हें भी टिकट का दावेदार कहा जा रहा है.
नए चेहरे की तलाश में पब्लिक ?
बहरहाल, यूं कहें की पुष्पराजगढ़ में एक अनार और सौ बीमार हैं, जो टिकट की भागदौड़ में पार्टी में खाई पैदा कर दिए हैं. आपसी मनमुटाव और सियासी टकराव से पार्टी अंधेरे में दिख रही है. अगर बीजेपी को पुष्पराजगढ़ विधानसभा फतह करना है, तो भाजपा को साथ मिलकर लड़ना होगा. कहा ये भी जा रहा है कि सांसद मैडम अगर चाह ले तो पार्टी को एकजुट कर सकती हैं, लेकिन उनका भी हठ है. वैसे ये तो पार्टी का अंदरूनी मामला है, लेकिन इस बार सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है. पुष्पराजगढ़ में काम के नाम पर न विधायक और न सांसद ने कुछ खास काम नहीं किया है, जिससे जनता नए चेहरे की तलाश में है, जो कौन होगा ये आने वाला वक्त बताएगा.
Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS