दिवाली पर MP में प्रदूषण 3 गुना बढ़ा: धूल के बारीक कणों से बढ़ रहा AQI, जानिए जिलेवार प्रदूषण की जानकारी
Pollution increased 3 times in Madhya Pradesh on Diwali: दिवाली के बाद मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर करीब तीन गुना तक बढ़ गया है। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे ग्वालियर के डीडी नगर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 408 दर्ज किया गया। वहीं, इंदौर के ग्वाल टोली में यह 399 रहा। भोपाल, जबलपुर, रतलाम, उज्जैन और देवास में क्रमश: 314, 315, 370, 322 और 316 AQI दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से ऊपर है।
हालांकि, कई शहरों में आतिशबाजी के बावजूद हवा के बहाव के कारण AQI में कमी आई है। हवा के बहाव का मतलब है कि तेज हवाओं या उच्च वायुदाब के कारण प्रदूषण कम हो जाता है।
धूल के महीन कणों के कारण AQI बढ़ रहा
भोपाल शहर के AQI की बात करें तो पर्यावरण परिसर में मौजूद लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम में गुरुवार को 284 AQI था। टीटी नगर का AQI सुबह 238 दर्ज किया गया। वहीं, शाहपुरा क्षेत्र में गुरुवार दोपहर एक्यूआई 176 था। देर रात तक यह 314 पर पहुंच गया।
MP Foundation Day: मध्यप्रदेश का 69वां स्थापना दिवस, जानें कैसे बना ‘भारत का दिल’ एमपी
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार, शहर भर में सबसे ज्यादा प्रदूषण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 यानी बारीक धूल कणों से हो रहा है। सभी जगहों पर एक्यूआई बढ़ने का मुख्य कारण पीएम 2.5 है।
देश में होने वाली कुल मौतों में से 18 फीसदी मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने ठंड और अत्यधिक आतिशबाजी से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण से होने वाली संभावित स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर एडवाइजरी जारी की है। विभाग का कहना है कि प्रदूषण का बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
हवा में मौजूद हानिकारक तत्व जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और छोटे कण (पार्टिकुलेट मैटर) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। एडवाइजरी में पहली बार विभाग ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत में होने वाली कुल मौतों में से 18 प्रतिशत मौतें सिर्फ वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं।
वायु प्रदूषण से कई समस्याएं होती हैं
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 200 से 500 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक होता है। प्रदूषण से आंखों, गले और त्वचा में जलन, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, तेज आवाज वाले पटाखों की आवाज से कानों में घंटी बजना, सुनने में दिक्कत और नींद में खलल जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
Read More- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS