मध्य प्रदेश में तेल के कुएं खोदे जाएंगे: पेट्रोल के फव्वारे फूटेंगे, मोहन सरकार का खजाना भरेगा
Oil wells will be dug in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की धरती पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार छिपे हुए हैं। इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग से मध्य प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार की खोज जल्द ही शुरू होने जा रही है। भोपाल में शुरू हुए दो दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव के पहले दिन देशभर से आई कंपनियों के प्रतिनिधियों से इस बारे में चर्चा की गई। इसमें मध्य प्रदेश में पेट्रोलियम उत्पादों की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
मध्य प्रदेश में हाइड्रोकार्बन के भंडार
मध्य प्रदेश के विंध्य, सतपुड़ा, दक्षिण रीवा, दमोह और नर्मदा घाटी को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार के लिए संभावित क्षेत्र माना जाता है। 2017 में किए गए हाइड्रोकार्बन संसाधन आकलन अध्ययन में मध्य प्रदेश के बड़े क्षेत्र में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार की संभावना जताई गई है।
उम्मीद जताई गई है कि मध्य प्रदेश में 5 लाख 55 हजार 254 मिलियन टन हाइड्रोकार्बन का भंडार है। सम्मेलन में शामिल हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय की प्रमुख आईएएस डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने मध्य प्रदेश में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस भंडार की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
कोल बेड मीथेन गैस में रिलायंस 4 हजार करोड़ का निवेश करेगी
मध्य प्रदेश में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास मध्य प्रदेश के शहडोल के सुहागपुर में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) का ब्लॉक है। यहां करीब 300 गैस कुएं हैं। रिलायंस की सहायक कंपनी रिलायंस गैस पाइपलाइन लिमिटेड यहां से उत्तर प्रदेश के फूलपुर तक 302 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन भी संचालित करती है।
फिलहाल इन कुओं से 0.64 एमएससीएमडी गैस का उत्पादन हो रहा है। इसमें करीब 4 हजार करोड़ का निवेश संभावित है। यहां हर दिन करीब 2.13 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर उत्पादन संभव है।
इन जगहों पर पेट्रोलियम भंडार की संभावनाएं
मध्य प्रदेश के शहडोल, उमरिया में पेट्रोलियम की खोज के लिए ओएनजीसी को लाइसेंस दिया गया है। यहां पेट्रोलियम भंडार की भरपूर संभावनाएं हैं। अगले 20 सालों में यहां करीब 3500 करोड़ का खर्च संभावित है। इनवेनियर पेट्रोडाइन लिमिटेड को वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम में पेट्रोलियम की खोज के लिए पीईएल लाइसेंस दिया गया है।
यहां अगले 20 सालों में 5 हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसी तरह मध्य प्रदेश के उमरिया और शहडोल जिले में दो ब्लॉक के पीईएल लाइसेंस की प्रक्रिया चल रही है। यहां भी करीब 6 हजार करोड़ का खर्च संभावित है।
8 ब्लॉक में पेट्रोलियम की खोज की जा रही है
मध्य प्रदेश में जल्द ही 8 जगहों पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार खोजे जाएंगे। मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में 6 जगहों, सतपुड़ा-दक्षिण रीवा और नर्मदा के एक ब्लॉक में पेट्रोलियम की खोज के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन आठ ब्लॉक के अंतर्गत 17 हजार 628 वर्ग किलोमीटर जमीन संबंधित कंपनी को सौंपी जाएगी।
देशभर से उद्यमी और विशेषज्ञ
भोपाल में पहली बार हो रहे दो दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव में देशभर से माइनिंग कंपनियों के प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ, विभिन्न राज्यों के अधिकारी और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माइनिंग सेक्टर में सक्रिय कंपनियों के पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
कॉन्क्लेव में मध्य प्रदेश में माइनिंग की तमाम संभावनाओं पर चर्चा की गई। ओपन सेशन के बाद कंपनियों के साथ राउंड टेबल मीटिंग हुई। इसमें राज्य में माइनिंग की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। राज्य सरकार माइनिंग और खनिजों से मिलने वाले राजस्व के मामले में झारखंड को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रही है।
Read More- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS