MP के अनाथालय में 3 बच्चों की मौत: तबीयत बिगड़ने के बाद 12 बच्चे अस्पताल में भर्ती, दो की हालत गंभीर
Three children died in MP Indore orphanage: मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के अनाथ आश्रम में कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। तीन दिन में तीन बच्चों की मौत हो गई। मंगलवार सुबह 12 बच्चों को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। आश्रम प्रबंधन ने इसकी पुष्टि की है।
आश्रम की आचार्य डॉ. अनीता शर्मा ने बताया कि आश्रम में 204 बच्चे हैं। इनमें से 3 की मौत हो गई। 12 का इलाज चल रहा है। मरने वाले 3 बच्चों में से 2 को मिर्गी की बीमारी थी। एक की मौत का कारण पता नहीं चल पाया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने एडीएम को विस्तृत जांच के आदेश दिए। वे मंगलवार सुबह भर्ती बच्चों की जानकारी लेने पहुंचे।
सबसे पहले हम बच्चों की जान बचाने में लगे- एमवायएच अधीक्षक डॉ. अशोक यादव
डॉ. अशोक यादव ने बताया कि 12 बच्चे भर्ती हैं। इनमें से दो की हालत गंभीर है। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की पूरी टीम बच्चों के इलाज में लगी हुई है। शुरुआती तौर पर उल्टी-दस्त की जानकारी सामने आई है। अगर किसी और तरह का संक्रमण है तो उसकी जांच की जाएगी। सबसे पहले हम बच्चों की जान बचाने में लगे हुए हैं।
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जिस बच्चे को सबसे पहले संक्रमण हुआ, वह स्वस्थ है
बताया जा रहा है कि आश्रम में सबसे पहले कृष्णा को डिहाइड्रेशन की समस्या हुई थी। इसके बाद बाकी बच्चों की हालत बिगड़ती चली गई। कृष्णा अब स्वस्थ है। 12 वर्षीय करण देवास जिले के सोनकच्छ का रहने वाला था। उसे 15 महीने पहले चाइल्ड लाइन के जरिए आश्रम लाया गया था। जबकि नर्मदापुरम जिले के रहने वाले 7 वर्षीय आकाश को चाइल्ड लाइन ने 3 महीने पहले आश्रम को सौंपा था।
मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए है आश्रम
इंदौर के पंचकुइया रोड स्थित श्री युगपुरुष धाम आश्रम में मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को रखा जाता है। चाइल्ड लाइन या अन्य माध्यमों से अलग-अलग जिलों से बच्चों को यहां सौंपा जाता है। वर्तमान में यहां 217 मानसिक रूप से विकलांग बच्चे (101 लड़के और 116 लड़कियां) हैं। सरकारी रिकॉर्ड में सभी बच्चों के साथ मां का नाम आचार्य डॉ. अनीता शर्मा लिखा हुआ है। 10-15 साल पहले आए बच्चों में से 18 बेटियां एक-एक बच्चे की देखभाल कर रही हैं।
2006 में 78 बच्चों से शुरू हुआ था आश्रम
आश्रम की शुरुआत 2006 में 78 विकलांग बच्चों से हुई थी। इसे युगपुरुष स्वामी परमानंदगिरी महाराज के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है। तब सभी की मां का नाम प्रिंसिपल अनीता के नाम पर और पिता के स्थान पर आश्रम के सचिव तुलसी शादीजा का नाम लिखा हुआ था। सभी का उपनाम स्वामीजी के नाम के बाद परमानंद रखा गया।
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