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राजेंद्रग्राम में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही: बैगा महिलाओं को जमीन पर लिटाकर चढ़ाया बॉटल, डॉक्टर के बगैर जांच के दी दवाईयां, BMO कर गए टाल-मटोल

आशीष सेन, अनूपपुर। जिले में स्वास्थ्य विभाग की नाकामियों से कौन अवगत नहीं है, चाहे इलाज के मामले में हो, एंबुलेंस हो या फिर कुछ औऱ. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और सफतकोशी रवैया अक्सर मरीजों पर भारी पड़ी है. हाल ही में तीन बैगा महिलाओं की मौत हुई है, जिससे गांव में मातम का माहौल है. करीब 18 लोग अब भी बीमारी की जद में हैं, लेकिन स्वास्थ्य अमला अपने ही ठाठ में है. बिना डॉक्टर के दवाईयां बांटी गई. महिलाओं को जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया, जबकि एंबुलेंस लेकर गए थे, लेकिन बैगा महिलाओं को जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया. स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम पहुंची थी, जिसमें बीएमओ भी थे. इतना ही नहीं विधायक फुंदेलाल सिंह भी रहे, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

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दरअसल, मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत महोरा के कालाडाही गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा जनजाति के लोग रहते हैं. यहां करीब 40 परिवार निवास रत हैं. 1 जनवरी को पूरा देश नए साल का जश्न मना रहा था तो वहीं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों पर बीमारी की मार पड़ रही थी. 3 बैगा महिलाओं की मौत हो गई थी. 18 लोग बीमार पड़ गए, एक तरह से यूं कहें कि आधा गांव बीमारी की चपेट में आ गया था.

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वहीं 2 दिन बीत जाने के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुष्पराजगढ़ में कालाडाही गांव के लगभग 18 मरीज भर्ती हुए. 3 जनवरी तक 3 महिला मरीजों की मृत्यु हो चुकी थी. इस बात की भनक जब MP-CG टाइम्स को लगी. MP-CG टाइम्स ने खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद अनूपपुर जिला कलेक्टर सोनिया मीणा एक्शन मोड में आई औऱ मामले की गंभीरता को देखते हुए 4 जनवरी को मेगा स्वास्थ्य शिविर लगाने के लिए निर्देश दीं.

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कालडाही गांव में मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन हुआ. जहां पूरे गांव का शिविर के माध्यम से स्वास्थ जांच कराया गया. गौर करने वाली बात यह है की प्रशासन डैमेज कन्ट्रोल करने में जुटा रहा. वहीं मेगा स्वास्थ्य शिविर का जायजा लेने जब हमारी टीम पहाड़ों के बीच में बसे कालडाही गांव पहुंची, तब स्वास्थ्य विभाग के मेगा स्वास्थ्य शिविर की पोल ही खुलती नजर आई.

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शिविर में डाक्टरों और फार्मासिस्ट की जगह ए.एन,एम् और आशा कार्यकर्ताओं ने कमान संभाल रखी थी. हद तो तब हो गई जब बिना डॉक्टर और फार्मासिस्ट के ए.एन,एम् द्वारा मरीजों का खुद ही जांच इलाज करते हुए खुद दवाइयां देते हुए देखी गईं. जब हमारा संवाददाता ने शिविर की कमान सम्हाले एएन,एम् से सवाल किया, तो सवालों से बचते हुए ताक-झाक करते नजर आईं.

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इतना ही नहीं जमीन पर महिलाओं को जमीन पर लिटाकर बॉटल चढ़ाया गया था, जबकि वहां पर 2 एम्बुलेंस मौजूद थी. ऐसी शर्मशार कर देने वाली तस्वीरें देख कर शिविर में मौजूद जनपद सीईओ से हमने चर्चा की, तो टाल मटोल करते नजर आए. मामले में बीएमओ डॉ सुरेन्द्र सिंह भी मामले में चुप्पी साधे रहे., जबकि वहां विधायक फुंदेलाल भी मौजूद थे.

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