शैलेंद्र विश्वकर्मा, अनूपपुर। टोल प्लाजा पर वाहनों की भीड़ न लगे और सड़कों पर चलने वाले वाहनों से पारदर्शी तरीके से टैक्स की वसूली हो सके, इसके लिए FASTag को लागू किया गया, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की आंखों में धूल झोक कर टोल प्लाजा के ठेकेदारों की मनमानी जारी है. एनएचएआई के दिशा निर्देशों को दरकिनार करते हुए पैसे कमाने का नया रास्ता निकाल लिया है. टोल प्लाजा के साइड में बनी बाइक लाइन की जगह से फास्टैग लगी कमर्शियल वाहनों को रजिस्टर की एंट्री में आने जाने की छूट दे रखी है, जिससे प्रतिदिन लाखों का टैक्स एनएचएआई की झोली में ना जाकर ठेकेदार, मैनेजर और कर्मचारियों की झोली में जा रही हैं, जिससे लाखों रुपए का चूना भारत सरकार को लग रहा है.
दरअअल, कोतमा से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे 43 में मैनटोला स्थित पाथरौडी टोल प्लाजा में इन दिनों भर्राशाही का आलम है. सरकार की आंखों में धूल जोड़ते हुए टोल प्लाजा के ठेकेदार द्वारा कमर्शियल वाहनों को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के दिशा निर्देश के विपरीत कार्य कर रहें है. सूत्रों के मुताबिक बाइक लाइन से बिना फास्टैग के आने जाने की खुली छूट टोल प्लाजा के मैनेजर और आदर्श नामक व्यक्ति द्वारा सांठगांठ कर दे रखी है.
नेशनल हाईवे में जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने FASTag लागू किया जिससे पारदर्शी तरीके से सरकार तक रोड में चलने वाले हैवी वाहनों से वसूले गए टैक्स को पहुंचाया जा सके, जिससे कि टोल टैक्स के ठेकेदारों द्वारा किसी भी प्रकार की टैक्स चोरी व अनियमितता ना की जाए, लेकिन भारत सरकार की इस मंशा में सेंध लगाते हुए ठेकेदार ने टोल टैक्स चोरी करने के नए तरीके निकाल लिए हैं. नेशनल हाईवे में चलने वाले भारी और बड़े वाहनों को बिना फास्ट ट्रैक के स्कैन किए टोल टैक्स पर बने बाइक की साइड लाइनों से निकाला जा रहा है, जिससे प्रतिदिन लाखों रुपए का टैक्स भारत सरकार तक नहीं पहुंच पा रहा है. इससे काफी राजस्व का नुकसान सरकार को हो रहा है.
कमर्शियल वाहन से वसूल रहे मासिक एंट्री की राशि
क्रेशर संचालक एवं बड़े-बड़े ठेकेदारों के कमर्शियल वाहन को मैनटोला स्थित पथरौडी टोलप्लाजा से आवागमन के लिए टोल प्लाजा में टू व्हीलर वाहनों के लिए बनाई गई साइड की बाइक लाइन से निकलने की खुली छूट दे रखी है. सूत्रों के अनुसार ठेकेदार द्वारा सरकार की आंखों में धूल झोकते हुए वाहनों की रजिस्टर में एंट्री कर सफेदपोश रसूखदार नेताओं बड़े-बड़े ठेकेदार और बड़े-बड़े कांट्रेक्टर की बड़ी कमर्शियल गाड़ियों को नियम का उल्लंघन करते हुए बिना चालान और बिना टोल टैक्स वसूले मासिक एंट्री में छोड़ दिया जाता है. ठेकेदार को तो अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन भारत सरकार को मिलने वाले राजस्व की हानि प्रतिदिन लाखों रुपए के आंकड़ों तक पहुंच जाती है. ठेकेदार द्वारा इन गाड़ियों से महीने की एंट्री के रूप में राशि ली जाती है, जो कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नियमों के विपरीत है.
भारत सरकार की मंशा पर सेंधमारी
भारत सरकार द्वारा पारदर्शी लेन-देन और टोल टैक्स वसूली को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा फास्टैग जैसे नियम लागू किया गया, ताकि किसी भी परिस्थिति में नेशनल हाईवे में ना तो जनता को परेशानी का सामना करना पड़े, और ना ही किसी भी प्रकार की राजस्व की हानि टैक्स चोरी के माध्यम से हो. पर इस भारत सरकार की मंशा पर कोतमा नेशनल हाईवे 43 में मंटोला में बने टोल प्लाजा ले सेंधमारी करते हुए मनमाने तरीके से टोल प्लाजा का संचालन किया जा रहा है. आदर्श और मैनेजर की जोड़ी ने वाहनों की मासिक एंट्री कर लाखों रुपए का चूना भारत सरकार को लगाया जा रहा है.
साइड लाइन से निकल रहे फास्टैग लगे वाहन
भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए टैक्स की वसूली से बचने के लिए टोल प्लाजा में ठेकेदार से मिलीभगत कर फास्टट्रैक लगे वाहनों को भी साइड लाइन से निकाला जा रहा है, ताकि फास्टैग लगे वाहन स्केनर के सामने ना आकर किनारे से निकल जाएं. वाहन मालिक द्वारा दिए जाने वाला परिवहन टैक्स बच जाए. इसी प्रकार कमर्शियल वाहनों को भी साइड से निकाला जाता है, जिन कमर्शियल वाहन पर फास्टैग लगे हैं उन्हें भी रजिस्टर पर मासिक एंट्री कर साइड से निकाला जाता है. महीने एक निश्चित तारीख में ऑफलाइन तरीके से उस राशि की वसूली उक्त वाहन चालक व ठेकेदार से किया जाता है, जिससे भारत सरकार को लाखों रुपए के राजस्व की हानि प्रतिदिन हो रही है.
यह कहते हैं नियम
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा फास्टैग को लागू करने के बाद प्रत्येक टोल प्लाजा को उसके नियम एवं दिशा निर्देशों के शत-प्रतिशत पालन करने के निर्देश जारी किए थे. फास्टैग के नियम के अनुसार प्रत्येक वाहनों पर फास्टैग लगना अनिवार्य है, जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं लगे होते उन्हें ऑनलाइन पर्ची या चालान के रूप में दोगनी राशि वसूली जाती है. अगर किसी वाहन का पास क्षेत्रीय वाहन होने के कारण बना होता है तो पास होने पर वह वाहन टोल प्लाजा से आसानी से आवागमन कर सकता है, लेकिन इन नियमों के विपरीत कोतमा के मेन टोला स्थित बने पथरौडी टोल प्लाजा में ठेकेदार के मनमानी का आलम है. कमर्शियल वाहनों पर फास्टट्रैक की अनिवार्यता भारत सरकार ने की थी, लेकिन सभी नियम और कानूनों को दरकिनार कर मैन टोला स्थित टोल प्लाजा में मासिक एंट्री कर राशी की वसूली की जा रही है. भारत सरकार के नियमों को खुला चैलेंज किया जा रहा है.
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