MP के नए DGP के लिए तीन नाम फाइनल: इन अफसर का नाम सबसे आगे, इसी महीने रिटायर हो रहे डीजीपी सुधीर सक्सेना
Madhya Pradesh DGP Sudhir Saxena retires new names finalized: मध्य प्रदेश के ईमानदार पुलिस अफसरों में गिने जाने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसर कैलाश मकवाना मध्य प्रदेश पुलिस के नए मुखिया यानी डीजीपी बन सकते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मध्य प्रदेश के नए डीजीपी पद के लिए तीन आईपीएस अफसरों के पैनल को मंजूरी दे दी है, जिसमें कैलाश मकवाना का नाम भी शामिल है। अन्य दो नाम डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा हैं।
सीएम पर टिकी निगाहें
पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना और ईओडब्ल्यू के अजय शर्मा के बीच कड़ी टक्कर है। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर टिकी हैं, वे ही नए डीजीपी के नाम की घोषणा करेंगे।
तीन नाम फाइनल हो चुके हैं
मध्य प्रदेश सरकार ने नए डीजीपी के लिए यूपीएससी को 9 सीनियर अफसरों के नामों का पैनल भेजा था। 21 नवंबर को देर शाम यूपीएससी दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें 9 में से 3 नाम फाइनल हुए। मौजूदा डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसके बाद 1 दिसंबर से नए डीजीपी काम करना शुरू कर देंगे।
कैलाश मकवाना इस रेस में सबसे आगे
कैलाश मकवाना का नाम सबसे ऊपर इसलिए आ रहा है क्योंकि फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनकी बिगड़ी सीआर में सुधार करवाया था। बताया जाता है कि तब उन्हें 10 में से 10 अंक दिए गए थे। इससे पहले खराब सीआर की स्थिति में वे डीजीपी की दावेदारी से बाहर हो जाते थे।
साढ़े तीन साल में सात बार तबादला
मकवाना ने 9 महीने पहले मप्र सरकार से अपनी एसीआर (गोपनीय चरित्र पत्र) सुधारने की अपील की थी। उन्होंने ज्ञापन भेजते हुए सरकार से कहा था कि लोकायुक्त संगठन में डीजी रहने के 6 महीने के दौरान उनकी एसीआर खराब हो गई थी। कमल नाथ सरकार में महज एक साल में उनका तीन बार तबादला हुआ। साढ़े 3 साल में उनका 7 बार तबादला हुआ।
लोकायुक्त महानिदेशक बनाए गए
मकवाना को वर्ष 2022 में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त में महानिदेशक बनाया गया था। वे यहां ईमानदारी से काम कर रहे थे, उन्होंने महाकाल लोक की फाइल भी खोली थी। इसके बाद तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें हटाकर मप्र पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन में चेयरमैन बना दिया था। तब शिवराज के ओएसडी योगेश चौधरी को एडीजी विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त पदस्थ किया गया था। तब उनकी सीआर कम कर दी गई थी।
क्या है महाकाल कॉरिडोर ‘घोटाला’
उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर के पहले चरण के कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत लोकायुक्त तक पहुंची थी। कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त संगठन में शिकायत की है कि तीन आईएएस अफसरों के अलावा 15 अफसरों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया था।
लोकायुक्त के नोटिस में तीन आईएएस उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के चेयरमैन आशीष सिंह, स्मार्ट सिटी उज्जैन के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता शामिल थे। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ठेकेदार को करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाने के लिए एसओआर की दरों और मदों में बदलाव किया गया।
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