गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 4 माह पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़क पहली बारिश झेल नहीं पाई। 2 करोड़ 50 लाख की लागत से 5.40 किमी सड़क का निर्माण कराया गया था। अब निर्माणकार्य की जांच की मांग उठ रही।
दरअसल, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत दीवान मुड़ा से सुकली भांठा सड़क का नवनीकरण कार्य 4 माह पहले ही कराया गया था, लेकिन यह कार्य पहली बारिश ही झेल नही पाई। विभाग ने भले ही तय मापदंड से निर्माण कार्य फाइलों में कराए होंगे, लेकिन जमीन स्तर में कैसा काम हुआ है, वह लगभग दो किमी इलाके में बन गए गढ्ढे बताने के लिया काफी हैं।
मापदंडों को दरकिनार कर दिया गया
जानकारों के मुताबिक सड़क में उपयोग किए गए मटेरियल, कंपेक्सन से लेकर वाइब्रो रोलर चलाने का काम केवल फाइलों में दर्शाया गया, जबकि निर्माण में इन मापदंडों को दरकिनार कर दिया गया।
इसी वजह से बगैर कोई हैवी वाहन गुजरे सड़क पर कई जगह दरार और गढ्ढे बन गए हैं। नवनीकरण कार्य के लिए धमतरी के मेसर्स अशोक खंडेलवाल से अनुबंध किया गया था। कार्य के लिए 251.35 लाख की मंजूरी दी गई थी।
नही आता कोई झांकने, इंस्पेक्शन भी कागजी होता है।
जिले के अंतिम छोर केi काम में विभागीय इंस्पेक्शन का काम भी केवल कागजी होता है। मुख्यालय 150 किमी दूर है। बड़े अफसर आते नहीं, क्योंकि उन्हें उनका मेहनताना मिल जाता है। अगर अफसर काम देखने आते तो निर्माण कार्य के साइड में लगाए गए बोर्ड में जानकारी नियमतह पूरी भरी जाती। फील्ड में इंजिनियर रहते हैं। एसडीओ भी देख रेख की औपचारिकता पूरी करते हैं।
आए दिन हादसे का शिकार हो रहे ग्रामीण
सड़क में जगह जगह गढ्ढे होने से दुपहिया सवार ग्रामीण आए दिन हादसे का शिकार हो रहे हैं ।इसकी लिखित शिकायत भी विभाग के एसडीओ इंजीनियर से की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
हमेशा की तरह विभाग उन्हें घटिया सड़क के मरम्मत का आश्वासन देते हैं। हैरानी की बात है कि जिस सड़क को निर्माण के बाद कम से कम दो साल तक मरम्मत की जरूरत नही पड़नी चाहिए, उस पर अब मरम्मत का खेला विभाग करेगा।
सड़क के बारे में साहब को पता नहीं
मामले में जब हमने एसडीओ कमलेश चंद्राकर से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मेरे को पता नहीं है यह कौन सा साइड है। इंजीनियर से पूछकर दिखवाता हूं।
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