पुष्पराजगढ़। आज विश्व पर्यावरण दिवस है. पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए पूरे विश्व में मनाया जाता है. लेकिन अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ में पर्यावरण खतरे में हैं. पेड़ पौधे धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं. खनन माफिया पर्यावरण का दोहन कर रहे. अवैध उत्खनन कर रहे हैं. इस पर बात जिक्र आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किया है. उन्होंने खुद माना है कि माफिया धरती का सीना चीर रहे और खनिज निकाल रहे हैं. जिससे पर्यावरण विनाश की ओर बढ़ रहा है. सीएम अवैध उत्खनन की बात मान रहे हैं, लेकिन पुष्पराजगढ़ और अनूपपुर के अधिकारियों का यहां सब दिखाई नहीं दे रहा है ? वो आंख में पट्टी बांधे बैठे हैं ? दिखाने के लिए छोटी-छोटी कार्रवाई कर बड़े माफिया को संरक्षण दे रहे हैं ? माफिया को खुली छूट मिली हुई है ? इसी का नतीजा है कि आज क्रेशर पर क्रेशर खुल रहे हैं. खदान पर खदान खुल रहे हैं और वहां से अधाधुंध पत्थर निकाल धरती को खोखला कर रहे.
धरती का सीना चीर खनिज निकाल रहे, सांस लेना मुश्किल- सीएम
दरअसल विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रकृति का शोषण मत करो, दोहन करो. प्रकृति से उतना ही लो जिसकी भरपाई हो सके. सीएम ने कहा कि प्रकृति की अंधी चाहत ने मनुष्यों को अंधा बना दिया है. धरती का सीना चीर रहे. खनिज निकाल रहे हैं. पानी निकाल रहे. फैक्ट्रियां लग रहे हैं. कार्बन का स्वता उत्सर्जन करो. आज धरती को ऐसा बना दिया गया है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. जंगल के जंगल साफ कर दिया गए. यह पाप हमने किया है. जिसके सब भागीदार हैं.
प्राकृतिक संतुलन को पूरी तरीके से समाप्त- शिवराज
इस साल बारिश ही बंद नहीं हुई. अप्रैल, मई और जून में भी बारिश हो रही है. इस तरह के दृश्य पहले हमने नहीं देखा. हम ही ने प्राकृतिक संतुलन को पूरी तरीके से समाप्त कर दिया है. हमने पर्यावरण का महाविनाश किया. समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. 2050 में धरती की सतह का तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाएगा.
आने वाले पीढ़ियों के रहने के लायक नहीं बचेगी धरती- सीएम
इससे आप कल्पना कर सकते हैं कि तब क्या होगा. आज विश्व पर्यावरण दिवस पर अगर हम नहीं जगे तो धरती आने वाले पीढ़ियों के रहने के लायक नहीं बचेगी. पर्यावरण बचेगा, धरती रहेगी, तभी तो आने वाली पीढ़ी रह पाएगी. सीएम ने कहा कि मप्र में अब 9 करोड़ लोग (आबादी) हो गए हैं. इसलिए सब एक-एक पौधे भी लगाएं, तो साल में 9 करोड़ पेड़ लग जाएंगे.
अवैध खनन लील गए पहाड़
खनन माफिया ने पुष्पराजगढ़ के सीने को इस कदर छलनी कर दिया है. पुष्पराजगढ़ के सैंकड़ों जगहों पर अवैध खनन जोरों पर चल रहा है. पुष्पराजगढ़ के परसेल, बड़ी तुम्मी, पमरा, बसही और बिजौरी समेत कई इलाकों में अवैध खनन जारी है. जहां से करोड़ों मीट्रिक टन खनिज संपदा माफिया निकाल कर निगल गया. माफिया पहाड़ का पहाड़ निगल गया.
माफिया ने सरकार को करोड़ों का चूना लगाया
माफिया और अफसरों की सांठगांठ से सरकार को करोड़ों का चूना लगा है. राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है. पुष्पराजगढ़ से कई पहाड़ गायब हो गए हैं. अवैध तरीके से माफिया पत्थर निकाल रहा है. अवैध खदानों से बोल्डर लाकर क्रेशरों में तोड़ा जा रहा है, लेकिन खनिज विभाग की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
जल, थल और नभ पर प्रदूषण की मार
पर्यावरण संतुलन के लिए जल, जंगल, पहाड़, वन्यजीव एवं प्रकृति दत्त अन्य चीजें जरूरी है। लेकिन अलवर जिले में न जल सुुरक्षित है, न जंगल, पहाड़ छलनी हो गए तो वन्यजीव भी सुरक्षित नहीं रहे. इन दिनों जिले का तापमान 33 डिग्री को पार कर गया तो बारिश का आंकड़ा भी घटता जा रहा है. इसका नुकसान यह हो रहा है कि न पानी बरस रहा और न ही जमीन में पानी का रिचार्ज हो रहा. नतीजतन पानी के लिए मारामारी मचने लगी है.
हरे पेड़ कटने से घातक गैसों का प्रभाव बढ़ा
हर दिन कट रहे जंगल से भी प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ा गया है। हरे वृक्षों के कटने से वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी के साथ ही कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन जैसी घातक गैसों का प्रभाव बढ़ गया है। इसका असर मानव जीवन पर पड़ा है।
पाताल पहुंच रहा पानी, सूख रहे कंठ
अत्यधिक दोहन और बारिश की कमी के कारण से भूजल स्तर तेजी से पाताल की ओर जा रहा है. जिले के ज्यादातर तालाब, कुएं और बांध सूखे पड़े हैं. अनूपपुर जिले में पानी का लेवल डाउन हो चुका है. आने वाले समय में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे. आने वाला कल लोगों के लिए मौत लेकर आएगा.
हरे पेड़ों का घटता दायरा बड़ी समस्या
वैसे हर किसी ने देखा कि कोरोना की दूसरी लहर में प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी के चलते हजारों लोगों का जीवन छिन गया. विकास के नाम व स्वार्थवश कट रहे हरे पेड़ और उजड़ते वनों का ही नतीजा है. विशेषज्ञों के अनुसार एक विशिष्ट हाउस प्लांट का पत्ता प्रति घंटे लगभग 5 मिलीलीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. वहीं एक सामान्य मानव को प्रति घंटे लगभग 50 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. हरे पेड़ ऑक्सीजन का उत्पादन का बड़ा स्रोत है.
स्टोन क्रेशर से क्या नुकसान होता है ?
स्टोन क्रशर सक्रिय खनन और क्रशिंग साइटों में गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या का कारण बनते हैं, श्रमिकों को लगातार धूल गैसीय प्रदूषकों की बड़ी मात्रा, उच्च स्तर के शोर और दुर्घटनाओं के संपर्क में रहना पड़ता है जो लगातार संचालन के करीब श्रमिकों के जीवन और समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं.
कौन लगाएगा माफिया पर लगाम ?
अनूपपुर जिले में माफिया का बोलबाला है. सिस्टम माफिया के सामने नतमस्तक है. क्रेशरों को लगातार परमिशन दे रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में क्रेशर लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इस पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है. माफिया बेखौफ होकर धरती का सीना छलनी कर रहा है. पर्यावरण का दोहन कर रहा है.
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