गिरीश जगत, गरियाबंद। कहते हैं कातिल कितना ही शातिर क्यों न हो, जुर्म के सुराग हर कदम पर छोड़ता है, फिर चाहे उस खूनी स्क्रिप्ट को खूनी स्याही से क्यों न लिखी गई हो। कुछ ऐसे ही जुर्म के दफन पन्नों से लहू टपकते अक्षरों की परत-दर-परत कहानी बताएंगे, जो आपके रौंगटे खड़े कर देंगे। खून से सनी कहानियों में खाकी पर भी बेगुनाहों के रक्त के छीटें पड़े हैं, जो सलाखों के रास्ते पर ही साफ होंगे। हम बात कर रहे हैं, सुसाइड, कत्ल, रेप और मर्डर की, जिनकी फाइलें पुलसिया कबाड़खाने में धूल फांक रही थी।
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: दरअसल, हम बात कर रहे हैं गरियाबंद के कबीर मंदिर सदस्य सुसाइड केस और देवभोग मर्डर केस की, जिसकी फाइल साजिश के तहत लिखी गई थी। कातिल और आरोपियों को बचाने के लिए खेल खेला गया था, जिसका 4 साल बाद खुलासा हुआ है। कातिल सलाखों के पीछे पहुंच रहे हैं और साजिशकर्ता तलब किए जा रहे हैं।
ताड़ी मर्डर केस नंबर- 1
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में ताड़ी बेचने के विवाद में एक युवक की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी गई। पिता का आरोप है कि न्याय मांगने पर थाना प्रभारी हर्षवर्धन उसे जेल भेजने की धमकी देते थे। अब देवभोग पुलिस ने साइबर सेल की मदद से 4 साल बाद 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि होने के बावजूद तत्कालीन थाना हर्षवर्धन बैस प्रभारी ने मामले की लीपापोती कर उसे बंद कर दिया था। पीएम रिपोर्ट आने के दो महीने बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। दोबारा जांच की गई तो पूरा मामला सामने आया।
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ताड़ी बेचने को लेकर हुआ था विवाद
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: दरअसल, 26 जून 2020 की रात दहीगांव निवासी झज्जकेतन (22) और उसी गांव के देवीराम प्रधान (51) के बीच ताड़ी बेचने की शिकायत को लेकर विवाद हो गया था। विवाद में देवीराम ने झज्जकेतन के सिर पर पत्थर से वार कर दिया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: देवभोग थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने बताया कि पुलिस ने देवी सिंह प्रधान और हेम सिंह रजक (41) के खिलाफ धारा 302, 201(34) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
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तत्कालीन थाना प्रभारी की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: घटना के बाद आरोपी और उसके साथी ने इसे दुर्घटना का रूप दे दिया। देवभोग में सूचना देने की बजाय उसे सीधे ओडिशा के धर्मगढ़ अस्पताल ले गए। हेम सिंह ने झूठी कहानी बताकर थाने में सूचना दी थी। जिस पर पुलिस ने 27 जून 2020 को मामला दर्ज किया था।
पीएम रिपोर्ट में हत्या की आशंका
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: तत्कालीन डॉक्टर अंजू सोनवानी ने पीएम रिपोर्ट में हत्या की आशंका जताते हुए सिर पर भारी वस्तु से प्रहार किए जाने की बात कही थी। इसके बावजूद तत्कालीन थाना प्रभारी हर्षवर्धन बेस ने साक्ष्य के अभाव का हवाला देकर मामला बंद कर दिया था।
देर से सही, लेकिन अब मुझे न्याय मिला- पिता
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: पिता बोले- न्याय मांगने पर जेल भेजने की धमकी देता था मृतक के पिता फूलचंद रजक ने रोते हुए कहा कि भले ही देर से सही, लेकिन अब मुझे न्याय मिला है। मृतक की विधवा और मासूम बेटे के पालन-पोषण का भार भी फूलचंद पर है।
न्याय दिलाने की बजाय जेल भेजने की धमकी
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: फूलचंद ने आगे कहा कि पूरे गांव में हत्या की चर्चा हो रही थी। लेकिन पुलिस सुन नहीं रही थी। मेरे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद थाना प्रभारी हर्षवर्धन मुझे न्याय दिलाने की बजाय जेल भेजने की धमकी देता था।
पैसों के लेन-देन की भी जांच शुरू
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: जांच में पहले के लेन-देन की बात भी सामने आई है। किन परिस्थितियों में समझौता पत्र बनाया गया, इसकी भी जांच की जा रही है। बताया जाता है कि आरोपियों द्वारा लेन-देन की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने उस समय लेन-देन में शामिल लोगों को भी तलब किया है। थाना पुलिस मामले में तत्कालीन अधिकारी को तलब कर उनकी भूमिका की भी जांच कर रही है।
कबीर मंदिर के सदस्य सुसाइड केस नंबर- 2
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: कबीर मंदिर से जुड़े पदाधिकारी अमृत दास पटेल सुसाइड केस में नया मोड़ सामने आया है। सुसाइड नोट में विचार दास गुरु, कौशल कुमार साहू, राधेश्याम साहू, बाबूलाल साहू, यशवंत साहू पर दबाव बनाकर मंदिर ट्रस्ट के नाम जमीन की रजिस्ट्री कराने का जिक्र था।
सुसाइड केस की भी खुल गई फाइल ?
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ 25/02/2020 को धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन चालान पेश नहीं किया। राजिम विधायक रोहित साहू ने विधानसभा के मानसून सत्र में चालान पेश नहीं करने पर सवाल खड़ा कर दिया, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई। लंबित मामलों में कार्रवाई शुरू की गई है। हत्या कांड के खुलासे के बाद अब सुसाइड की फाइल भी अफसर खंगालना शुरू कर दिए हैं।
अहम साक्ष्य था सुसाइड नोट, फिर भी खात्मा की फाइल बनी
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: ताड़ी हत्याकांड में पीएम रिपोर्ट में मर्डर की बात आने के बाद भी थाना प्रभारी हर्ष वर्धन बैस ने खात्मा की फाइल बनाई थी। उसी तरह इस मामले में भी सुसाइड नोट जैसे अहम साक्ष्य होने के बावजूद प्रताड़ित करने वाले रसूखदार और कांग्रेस सरकार में दबदबा रखने वाले कथित आरोपियों को बचाने 06/07/2021 इस प्रकरण में खात्मा फाइल तैयार की गई।
पांच थाना प्रभारी आए और गए, लेकिन चालान पेश नहीं
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: खात्मा फाइल कोर्ट में पेश करता उससे पहले ही थाना प्रभारी को दूसरे थाना भेज दिया गया था। लीपापोती कर अपराध को मिटाने वाले इस फाइल में कई त्रुटियां थी। बैस के जाने के बाद पांच प्रभारी आए, लेकिन लापरवाही और त्रुटियों से भरी इन फाइलों को कोर्ट में पेश करने की हिम्मत किसी की नहीं हुई।
मामले में झलक रही साजिश
Chhattisgarh Gariaband Murder Case and Kabir Mandir Member Suicide Case: एडिशनल एसपी जितेंद्र चंद्राकर ने बताया कि मामले में लापरवाही परिलक्षित हो रही है। चालानी कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद इस दिशा में भी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
किसने और कैसे लिखी गई साजिश की फाइल ?
कहा जा रहा है कि तत्कालीन थाना प्रभारी ने एक रेप और मर्डर केस में भी गड़बड़ी की थी। आरोपी को बचाने के लिए धारा कम लगाकर साजिश रची थी, लेकिन बाद में मीडिया के दखल के बाद हड़बड़ी में धाराएं बढ़ाई गई थी, जिसके बाद आरोपी अब सजा काट रहा है।
दफन फाइलें खोलेंगी कई राज
सुसाइड केस और ताड़ी मर्डर केस में थाना प्रभारी ने आरोपियों और कातिलों को बचाने के लिए साजिश की फाइल तैयार की थी, जिससे 4-5 साल बाद भी चालान पेश नहीं किया जा सका। जब मामला विधानसभा में उठा तो पुलिस की आंखें खुली और कबाड़खाने में दफन फाइलों को खोलकर आरोपियों को पकड़ा। कहा जा रहा है कि कई गुनाहों की फाइलें इसी तरह धूल फांक रही हैं, जहां कई करतूतें दफन हैं। खुलेंगी को कई राज बाहर होंगे।
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