: चचेरे भाइयों की पत्रकार को मारने की पूरी कहानी: जिगरी दोस्त ने साजिश रचकर डिनर पर बुलाया, खाना खिलाया, फिर कर दी हत्या
Chhattisgarh Bastar journalist Mukesh Chandrakar murder case update: तारीख 1 जनवरी 2025, समय- शाम 7 बजे। यही वह तारीख और समय है जब बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या हुई थी। हत्यारों ने पहले उन्हें खाने पर बुलाया। खाना खिलाने के बाद जमकर पीटा। जब मुकेश अधमरा हो गया तो गला घोंटकर हत्या कर दी, फिर धारदार हथियार से सिर पर वार किया, जिससे ढाई इंच का घाव हो गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 29-30 दिसंबर को घर में ही मुकेश की हत्या की साजिश रची गई थी। दिनेश, रितेश और सुरेश चंद्राकर तीनों मुकेश के चचेरे भाई हैं। रितेश सबसे करीबी दोस्त था। दोनों ने मुकेश के साथ पढ़ाई की है। दोनों के बीच संबंध काफी गहरे थे। दोनों कपड़े तक शेयर करते थे।
3 जनवरी को शव मिलने के बाद पुलिस ने 4 जनवरी को मुकेश के दो चचेरे भाई दिनेश, रितेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार कर लिया। वहीं मास्टरमाइंड ठेकेदार सुरेश चंद्राकर फरार है। घटना के बाद पहले से ही तय था कि सभी अलग-अलग ठिकानों पर भागेंगे।
भाई रितेश ठेकेदार सुरेश का काम देखता था
रितेश का बड़ा भाई सुरेश चंद्राकर ठेकेदार है। रितेश भी सुरेश का काम देखता था। सुरेश और मुकेश एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं करते थे। सुरेश की शादी के बाद दोनों के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे, लेकिन रितेश और मुकेश के बीच सब ठीक था। वे साथ-साथ घूमते-फिरते थे।
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भ्रष्टाचार की खबर बनाई तो सुरेश परेशान हो गया
बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पहले मुकेश ने रायपुर के अपने एक साथी के साथ मिलकर सड़क में भ्रष्टाचार की खबर बनाई थी। सुरेश उसी सड़क का ठेकेदार है। खबर छपते ही वह परेशान हो गया। सड़क की लागत 120 करोड़ रुपए थी।
सड़क की हालत खराब थी, लेकिन सुरेश उस पर लीपापोती कर करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा था। खबर सामने आने के बाद सरकार ने सड़क निर्माण में लापरवाही की जांच के लिए जांच कमेटी बनाई, जिससे सुरेश को अनियमितताओं और भारी नुकसान के खुलासे का डर था।
मुकेश की हत्या की बनाई थी योजना
सुरेश को एहसास हो गया था कि अब उसे मुनाफे की जगह घाटा होगा। इसके बाद सुरेश ने मुकेश की हत्या की साजिश रची। मुकेश और रितेश की बातचीत होती थी। दोनों के बीच संबंध अच्छे थे। इसलिए साजिश के तहत रितेश से मुकेश को घर बुलाने को कहा गया। उन्हें पता था कि रितेश बुलाएगा तो मुकेश जरूर आएगा। पहले मुकेश को 31 तारीख को बुलाया गया, लेकिन किसी काम में फंसने की वजह से मुकेश ने उस दिन आने से मना कर दिया।
1 जनवरी को डिनर पर बुलाया
जब मुकेश 31 तारीख को नहीं आया तो उसे 1 जनवरी की शाम को सुरेश के बैडमिंटन कोर्ट परिसर में बार-बार बुलाया गया। मुकेश आने को तैयार हो गया। वहीं, किसी को शक न हो इसलिए दोनों भाई सुरेश और दिनेश उस दिन जगदलपुर चले गए थे, जिसके बाद मुकेश को डिनर पर बैठाया गया। पहले बुरी तरह पीटा, फिर मार डाला इसी बीच मौका पाकर रितेश ने सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर पहले मुकेश की पिटाई की, फिर किसी धारदार लोहे के हथियार से उसके सिर पर वार कर दिया, जिससे मुकेश के माथे पर गहरा जख्म हो गया।
घटना के बाद दोनों आरोपियों ने शव को छिपाने के लिए सेप्टिक टैंक में डाल दिया। इसके बाद रितेश और महेंद्र दोनों जगदलपुर के बोदली गांव में जाकर छिप गए। उन्होंने अपने भाई सुरेश और दिनेश को हत्या की जानकारी दी। हत्या के बाद सभी एक गांव में मिले।
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जानकारी के मुताबिक हत्या की खबर पक्की होने के बाद सुरेश और दिनेश भी जगदलपुर से बोदली पहुंचे। अगले दिन सुरेश ने अपनी कार रितेश को देकर रायपुर भेज दिया। वहां से वह दिल्ली चला गया, जिसके बाद दिनेश और महेंद्र फिर वारदात वाली जगह पर पहुंचे। उन्होंने सेप्टिक टैंक पर कंक्रीट की स्लैब डालकर उसे पैक कर दिया, ताकि शव से बदबू न आए और किसी को पता न चले। शव को ठिकाने लगा दिया गया, इस बीच सुरेश चंद्राकर हैदराबाद चला गया।
रितेश काम के सिलसिले में बाहर रहता था, इसलिए हत्या के बाद उसे कहीं भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि दिनेश जिले में ही था और अपने काम में लगा हुआ था, ताकि किसी को उस पर शक न हो। सूत्र बता रहे हैं कि, रितेश से हत्या इसलिए कराई गई क्योंकि वह अक्सर काम के लिए बाहर रहता था, ताकि किसी को उस पर शक न हो।
दिनेश और सुरेश जगदलपुर चले गए थे, ताकि किसी को उन पर भी शक न हो। हत्या की पूरी साजिश पहले से ही रची गई थी। इस मामले में बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने पुष्टि की है कि हत्या की साजिश पहले से ही रची गई थी।
कैसे पैदा हुई सुरेश और मुकेश के बीच दुश्मनी?
बताया जा रहा है कि, सुरेश चंद्राकर की शादी करीब 2 से 2.5 साल पहले हुई थी। वह अपनी दुल्हन को जगदलपुर से हेलीकॉप्टर से बीजापुर लेकर आए थे। तब यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना था। उस समय भी सुरेश के खिलाफ कई खबरें छपी थीं।
उनके करीबियों का कहना है कि, मुकेश मीडिया से जुड़े थे, इसलिए उन्हें लगा कि मुकेश पत्रकारों से सुरेश के खिलाफ खबरें चलाने के लिए कह रहे हैं। इस बात को लेकर दोनों के बीच थोड़ी अनबन हुई थी, तभी से उनके रिश्ते भी ठीक नहीं चल रहे थे।
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3 जनवरी को शव मिलने के बाद पुलिस ने 4 जनवरी को मुकेश के दो चचेरे भाई दिनेश, रितेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार कर लिया। वहीं मास्टरमाइंड ठेकेदार सुरेश चंद्राकर फरार है। घटना के बाद पहले से ही तय था कि सभी अलग-अलग ठिकानों पर भागेंगे।
भाई रितेश ठेकेदार सुरेश का काम देखता था
रितेश का बड़ा भाई सुरेश चंद्राकर ठेकेदार है। रितेश भी सुरेश का काम देखता था। सुरेश और मुकेश एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं करते थे। सुरेश की शादी के बाद दोनों के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे, लेकिन रितेश और मुकेश के बीच सब ठीक था। वे साथ-साथ घूमते-फिरते थे।
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भ्रष्टाचार की खबर बनाई तो सुरेश परेशान हो गया
बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पहले मुकेश ने रायपुर के अपने एक साथी के साथ मिलकर सड़क में भ्रष्टाचार की खबर बनाई थी। सुरेश उसी सड़क का ठेकेदार है। खबर छपते ही वह परेशान हो गया। सड़क की लागत 120 करोड़ रुपए थी।
सड़क की हालत खराब थी, लेकिन सुरेश उस पर लीपापोती कर करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा था। खबर सामने आने के बाद सरकार ने सड़क निर्माण में लापरवाही की जांच के लिए जांच कमेटी बनाई, जिससे सुरेश को अनियमितताओं और भारी नुकसान के खुलासे का डर था।
मुकेश की हत्या की बनाई थी योजना
सुरेश को एहसास हो गया था कि अब उसे मुनाफे की जगह घाटा होगा। इसके बाद सुरेश ने मुकेश की हत्या की साजिश रची। मुकेश और रितेश की बातचीत होती थी। दोनों के बीच संबंध अच्छे थे। इसलिए साजिश के तहत रितेश से मुकेश को घर बुलाने को कहा गया। उन्हें पता था कि रितेश बुलाएगा तो मुकेश जरूर आएगा। पहले मुकेश को 31 तारीख को बुलाया गया, लेकिन किसी काम में फंसने की वजह से मुकेश ने उस दिन आने से मना कर दिया।
1 जनवरी को डिनर पर बुलाया
जब मुकेश 31 तारीख को नहीं आया तो उसे 1 जनवरी की शाम को सुरेश के बैडमिंटन कोर्ट परिसर में बार-बार बुलाया गया। मुकेश आने को तैयार हो गया। वहीं, किसी को शक न हो इसलिए दोनों भाई सुरेश और दिनेश उस दिन जगदलपुर चले गए थे, जिसके बाद मुकेश को डिनर पर बैठाया गया। पहले बुरी तरह पीटा, फिर मार डाला इसी बीच मौका पाकर रितेश ने सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर पहले मुकेश की पिटाई की, फिर किसी धारदार लोहे के हथियार से उसके सिर पर वार कर दिया, जिससे मुकेश के माथे पर गहरा जख्म हो गया।
घटना के बाद दोनों आरोपियों ने शव को छिपाने के लिए सेप्टिक टैंक में डाल दिया। इसके बाद रितेश और महेंद्र दोनों जगदलपुर के बोदली गांव में जाकर छिप गए। उन्होंने अपने भाई सुरेश और दिनेश को हत्या की जानकारी दी। हत्या के बाद सभी एक गांव में मिले।
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जानकारी के मुताबिक हत्या की खबर पक्की होने के बाद सुरेश और दिनेश भी जगदलपुर से बोदली पहुंचे। अगले दिन सुरेश ने अपनी कार रितेश को देकर रायपुर भेज दिया। वहां से वह दिल्ली चला गया, जिसके बाद दिनेश और महेंद्र फिर वारदात वाली जगह पर पहुंचे। उन्होंने सेप्टिक टैंक पर कंक्रीट की स्लैब डालकर उसे पैक कर दिया, ताकि शव से बदबू न आए और किसी को पता न चले। शव को ठिकाने लगा दिया गया, इस बीच सुरेश चंद्राकर हैदराबाद चला गया।
रितेश काम के सिलसिले में बाहर रहता था, इसलिए हत्या के बाद उसे कहीं भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि दिनेश जिले में ही था और अपने काम में लगा हुआ था, ताकि किसी को उस पर शक न हो। सूत्र बता रहे हैं कि, रितेश से हत्या इसलिए कराई गई क्योंकि वह अक्सर काम के लिए बाहर रहता था, ताकि किसी को उस पर शक न हो।
दिनेश और सुरेश जगदलपुर चले गए थे, ताकि किसी को उन पर भी शक न हो। हत्या की पूरी साजिश पहले से ही रची गई थी। इस मामले में बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने पुष्टि की है कि हत्या की साजिश पहले से ही रची गई थी।
कैसे पैदा हुई सुरेश और मुकेश के बीच दुश्मनी?
बताया जा रहा है कि, सुरेश चंद्राकर की शादी करीब 2 से 2.5 साल पहले हुई थी। वह अपनी दुल्हन को जगदलपुर से हेलीकॉप्टर से बीजापुर लेकर आए थे। तब यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना था। उस समय भी सुरेश के खिलाफ कई खबरें छपी थीं।
उनके करीबियों का कहना है कि, मुकेश मीडिया से जुड़े थे, इसलिए उन्हें लगा कि मुकेश पत्रकारों से सुरेश के खिलाफ खबरें चलाने के लिए कह रहे हैं। इस बात को लेकर दोनों के बीच थोड़ी अनबन हुई थी, तभी से उनके रिश्ते भी ठीक नहीं चल रहे थे।
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