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गरियाबंद में 17 मौतें और 3 करोड़ का मुआवजा: थम गया हाथी और इंसानी टकराव, जानिए फिर कैसे बना Elephant Alert App ?

पुरषोत्तम पात्र/गिरीश जगत गरियाबंद। आज पूरा विश्व हाथी दिवस (World Elephant Day) मना रहा है। इन सबके बीच हम हाथी और इंसान में टकराव की कहानी बताएंगे, जिसमें 6 साल में हाथियों ने 17 घरों के चिराग को बुझा दिया। रौंद-रौंदकर और कुचल-कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। फिर एक दिन बना हाथी अलर्ट ऐप (Elephant Alert App), जिसने गजराजों के आतंक से मुक्ति दिलाई।

 

Elephant Alert App आज से हो सकता है लागू

ये ऐप कहीं और नहीं छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में बना, जिसके मेकर उदंती सीता नदी अभ्यारण्य (Udanti Sita River Sanctuary) के उपनिदेशक IFS वरुण जैन (Varun Jain) हैं। इस ऐप को अब भारत के कई राज्यों में लागू करने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि आज एलिफेंट प्रोजेक्ट की स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में लागू करने के लिए इसका ऐलान हो सकता है।

Elephant Alert App से कैसे रुका हाथियों का आतंक ?

तारीख 08/04/2022, स्थान उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के सीता नदी रेंज। समय करीबन 5 बजे। हाथी मित्र दल को सूचना मिली थी कि 37 हाथियों के सिकासर दल से बिछुड़ा मादा दंतैल दक्षिण दिशा में सांकरा की ओर आगे बढ़ रही है। सूचना मिलते ही प्रशासन और हाथी मित्र दल ने दक्षिण दिशा में पड़ने वाले रास्ते में मुनादी शुरू करा दी, लेकिन हाथी ने रात में अपनी चाल की दिशा बदल दी।

भूमिका मरकाम को हाथी ने कुचल कर मार डाला

हाथी दक्षिण के बजाए उत्तर दिशा में आगे बढ़ गया। टीम को अगली सुबह दुखद सूचना मिली। बताया गया कि पाइकभाठा में लकड़ी बीनने गई 38 साल की भूमिका मरकाम को हाथी ने कुचल कर मार डाला। वन अमला मौके पर पहुंची। यहीं से हाथी के पगमार्ग और मल के सहारे टीम जैसे आगे बढ़ते गई तो हैरान करने वाली तस्वीर सामने आने लगी।

हाथी ऐप को अपग्रेड कर हाथी अलर्ट ऐप बनवाया

5 किलोमीटर के अंतराल में पावद्वार में 45 वर्षीय बुधम नेताम तो बैरन सिल्ली जंगल में 24 साल की सुख बाई का क्षत विक्षत शव मिला। हाथी की आमद की सूचना होते हुए भी हुई जनहानि ने अभ्यारण्य प्रशासन को झकझोर कर रख दिया।2017 बैच के IFS वरुण जैन अभ्यारण्य की कमान संभालने से पहले रायपुर मुख्यालय में विभाग के आईटी सेल का जिम्मा देख रहे थे। सॉफ्ट वेयर में पकड़ रखने वाले इस अफसर ने विभागीय हाथी ऐप को अपग्रेड कर हाथी अलर्ट ऐप बनवाया।

2022 में हुई तीन मौत के बाद लगा विराम

मई 2022 में AI की मदद से बनाए गए अलर्ट लोकेशन से 10 किमी की परिधि को ऑटो कॉल और मैसेज कर लोगों को अलर्ट कर देता था। ऐप के आने के बाद से अभ्यारण्य इलाके में जन हानी बंद हो गया। अप्रैल 2022 में हुई तीन मौत के बाद हुई कुल 9 मौत के आंकड़े पर अब विराम लग गया है। लोग बेफिक्र होकर अपने दिनचर्या के काम में आने जाने लगे हैं।

एलिफेंट कमेटी की 20वीं बैठक में Elephant Alert App की चर्चा

Elephant Alert App की इसी सफलता के वजह से अब इसे हाथी प्रभावित अन्य राज्य भी फॉलो करना शुरू कर दिए हैं। आज राजधानी में एलिफेंट कमेटी की 20वीं बैठक में इस एप की सफलता का न केवल जिक्र किया गया, बल्कि हाथी प्रभावित राज्यों में इसे लागू करने की तैयारी की गई।

Elephant Alert App आखिरकार कैसे काम करता ?

राष्ट्रीय स्तर के बैठक में सुर्खिया बटोरने वाले यह गज संकेत ऐप आखिरकार कैसे काम करता है। इसकी सफलता के पीछे मेहनत करने वाले हाथी मित्र के सामने क्या चुनौतियां आते है, इसे जानने हम अभयारण्य के अरसी कन्हार रेंज के जंगलों में पहुंचे। Elephant Alert App में हाथी का करेंट लोकेशन अपडेट करना एक महत्वपूर्ण कार्य है।

इसके लिए अभ्यारण्य में 20 ट्रेकरो की टीम लगातार उपनिदेशक के नियंत्रण में रात दिन जंगलों में तैनात रहते हैं। इस वक्त टीम को सूचना मिली है कि तौरेंगा के पहाड़ों में सिकासेर दल मौजूद है, जो किसी भी वक्त प्रभावित अन्य रेंज में मूव करेगा। नदी नाले और बरसते पानी में हम चंदनबहरा सीमा से 10 किमी का रास्ता तय कर उस पहाड़ के नजदीक पहुंच गए।  जैसे दल नजर आया अलर्ट एप पर लोकेशन अपडेट कर लिया गया।

वॉकी-टॉकी से करते हैं संपर्क

हाथी मित्र 24 घंटे एलर्ट मोड पर रहते हैं। खाने पीने के सामान साथ लेकर चलते हैं। नो नेटवर्क जोन में वॉकी-टॉकी ही कोआर्डिनेट का सहारा होता है। ऑफ लाइन मोड में हाथी का लोकेशन डाल उसे एक्टिव करने टीम को नेटवर्क जोन जल्द तलाशना होता है। हाथी सुरक्षित रहे साथ ही लोगो की जीवन में भी आंच न आए इसलिए टीम हर मौसम में विषम परीस्थितियों के बावजूद अपना काम इमानदारी से करने में जुटे रहते हैं।

उदंती सीता नदी अभ्यारण्य में करीब 37 हाथी 

गरियाबंद और धमतरी जिले में घने वन और ऊंची पहाड़ों से घिरी 1854 स्क्वेयर किमी यह इलाक उदंती सीता नदी अभ्यारण्य के नाम से जाना जाता है। यहां 37 सदस्य वाले सिकासेर दल सक्रिय है। हाथी के पसंदीदा भोजन भेलवा जड़, बांस करिल, कुल्लू की छाल, महुआ फूल,तेंदू साल की जड़ के अलावा बारहों माह पानी को स्त्रोत ने इलाके को हाथी का स्थाई ठिकाना बना दिया।

4 हजार लोगों पर हाथियों का खतरा

हाथियों के आमद से अभ्यारण्य के 8 में से 5 रेंज आमद से प्रभावित हुआ इन पांच रेंज में 80 गांव के 4 हजार लोगों पर हाथियों का खतरा मंडराता है। इसी तरह जिले के गरियाबंद सामान्य वन मंडल के छुरा और पंडुका रेंज को ओडिसा महाराष्ट्र तक सफर तय करने वाले 24 सदस्य वाले चंदा दल ने अपना कारीडोर बनाया हुआ है।फिलहाल दल से बिछुड़े तीन हांथी आए दिन उत्पात मचाते रहते है।

क्या है Elephant Alert App ?

गरियाबंद के उदंती सीतानदी अभायरण्य में करीब 5 प्रभावित रेंज के 70 गांव के 4 हजार लोग और गरियाबंद सामान्य वनमंडल में 2 रेंज के 15 गांव में करीब 8 से 10 हजार की आबादी है। इसके लिए ये Elephant Alert App बनाया था, लेकिन इब कई जिलों में काम करता है, जिसके टोटल यूजर 80 हजार के करीब हैं।

Elephant Alert App अब तक 3 लाख बार कॉल-मैसेज से अलर्ट कर चुका है। इसके लिए 40 लोग काम करते हैं, जिनको नौकरी में रखा गया है। उनको बीमा समेत कई सुविधाएं दी जाती हैं। ये लोग उस ऐप में हाथी आने की खबर को तत्काल अपडेट करते हैं, जिससे 10 KM के दायरे वाले लोग सतर्क हो जाते हैं।

3 करोड़ 51 लाख 2 हजार 399 का मुआवजा

आंकड़ों पर नजर डाले तो हाथी के दो दल गरियाबंद जिले में 2019 से आना शुरू किए। गरियाबंद वन मंडल और उदंती सीता नदी अभ्यारण में दलों ने अब तक 17 लोगों की जान लिया है। वहीं मकान,फसल और अन्य हानि के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक कुल 2178 हानि किया है, जिसके एवज में वन विभाग को 3 करोड़ 51 लाख 2 हजार 399 रूपए का मुआवजा देना पड़ा है।

टोटल मुआवजा और नुकसान

  1. 2019 में 75 नुकसान 14.87 लाख मुआवजा
  2. 2020 में436_59.75लाख
  3. 2021 में493_59.08लाख
  4. 2022 में570_95.03लाख
  5. 2023 में 440_52.84लाख
  6. 2024 में164_23.25 लाख का मुआवजा

2019-  उदंती सीतानदी अभायरण्य

  1. मौत का आंकड़ा- 0-
  2. मकान-0
  3. फसल नुकसान- 60
  4. कुल हानि- 61
  5.  मुआवजा- 7 लाख 37 हजार

2019-  गरियाबंद सामान्य वनमंडल 

  1. मौत का आंकड़ा- 1
  2. मकान- 2
  3. फसल नुकसान- 11
  4. कुल हानि- 14
  5.  मुआवजा- 7 लाख 50 हजार 767

2020- उदंती सीतानदी अभायरण्य-

  1. मौत का आंकड़ा- 0
  2. मकान तोड़ा- 33
  3. फसल नुकसान- 127
  4. टोटल- 166 हानि
  5. मुआवजा- 12 लाख 82 हजार 668 रुपये

2020- गरियाबंद सामान्य वनमंडल- हानि-

  1. मौत का आंकड़ा- 3
  2. मकान तोड़ा- 21
  3. फसल नुकसान- 246
  4. टोटल- 270 हानि
  5. मुआवजा- 46 लाख 92 हजार 958 रुपये

2021- उदंती सीतानदी अभायरण्य- हानि-  

  1. मौत का आंकड़ा- 1
  2. मकान तोड़ा-  12
  3. फसल नुकसान- 186
  4. टोटल-  201
  5. मुआवजा- 30 लाख 14 हजार 787 रुपये

2021- गरियाबंद सामान्य वनमंडल- हानि-  

  1. मौत का आंकड़ा- 1
  2. मकान तोड़ा- 5
  3. फसल नुकसान- 250
  4. टोटल- 292 हानि
  5. मुआवजा- 28 लाख 93 हजार 802 रुपये

2022-  उदंती सीतानदी अभायरण्य- हानि

  1. मौत का आंकड़ा- 5
  2. मकान तोड़ा- 7
  3. फसल नुकसान- 304
  4. टोटल- 358 नुकसान
  5. मुआवजा- 64 लाख 68 हजार 38 रुपये

2022- गरियाबंद सामान्य वनमंडल- हानि-

  1. मौत का आंकड़ा- 2
  2. मकान तोड़ा- 21
  3. फसल नुकसान- 166
  4. टोटल- 212 हानि
  5. मुआवजा- 30 लाख 62 हजार 453 रुपये

2023- उदंती सीतानदी अभायरण्य- हानि-  

  1. मौत का आंकड़ा- 1
  2. मकान तोड़ा- 27
  3. फसल नुकसान- 248
  4. टोटल- 310
  5. मुआवजा- 32 लाख 45 हजार 500 रुपये

2023- गरियाबंद सामान्य वनमंडल- हानि-  

  1. मौत का आंकड़ा- 2
  2. मकान तोड़ा- 13
  3. फसल नुकसान- 103
  4. टोटल नुकसान- 130
  5. मुआवजा- 20 लाख 38 हजार 717 रुपये

2024- उदंती सीतानदी अभायरण्य- हानि- 

  1. मौत का आंकड़ा- 0
  2. मकान तोड़ा- 1
  3. फसल नुकसान- 72
  4. टोटल- 98 हानि
  5. मुआवजा- 13 लाख 24 हजार 897 रुपये

2024- गरियाबंद सामान्य वनमंडल- हानि-  

  1. मौत का आंकड़ा- 1
  2. मकान तोड़ा- 7
  3. फसल नुकसान- 53
  4. टोटल नुकसान- 66
  5. मुआवजा-  10 लाख 767 रुपये

हाथियों के आने से बढ़ गया ग्रॉस लैंड का इलाका 

उदंती सीता नदी अभ्यारण्य में हाथियों के आमद के बाद यहा की फिजा तेजी से बदल रही है।  यहा के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि शुरू के तीन साल तक हांथी मानव द्वंद रोकने में व्यस्त रहे, लेकिन हमने 2023 के बाद हमें कई सकारात्मक बदलाव नजर आए।  हाथियों की मौजूदगी के कारण ही संभव हुआ।

IFS वरुण जैन

जैन ने बताया कि कूलहाड़ी घाट, तोरेंगा और सीता नदी इलाके के पहाडी इलाके में घने वन हैं। हाथी अपनी आवाजाही के लिए डंगालों की छ्टनी कर इसे खोलने का काम किया। खुला वातावरण मिला तो ग्रास लैंड का विकास हुआ। यह लैंड शाकाहारी वन्य जीवों के लिए सुरक्षित चारागाह बन गया है। हाथियों की मौजूदगी के डर के कारण शिकारियों की पहुंच से दूर हैं।

जंगली फलदार पेड़ों का विस्तार भी हो रहा है। हाथी के भोजन करने के बाद कई किलोमीटर तक विचरण करता है। मल में मौजूद बीज अंकुरित होकर पौधे बने फिर अब पेड़ों की आकृति ले रहे हैं। वृक्ष उत्पादन भी इन्हीं हाथियों की वजह से हो रहा है। जैन ने हाथी को पर्यावरण का सच्चा साथी बताते हुए एक और फायदा गिनाया। उन्होंने कहा कि हमारे पास 143 बीट है और वन रक्षक केवल 60, ऐसे में हाथियों की उपस्थिति वनों के सुरक्षा की गारंटी बनी हुई है।

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