
नई दिल्ली। सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. ये आप और हम सभी जानते हैं. बावजूद इसके लोग बड़े मजे से धुआं उड़ाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार एक छोटे आकार की सिगरेट पीने से जीवन करीब 6 मिनट कम हो जाता है. सिगरेट में निकोटीन, टार, आर्सेनिक और कैडमियम सहित 4 हजार हानिकारक पदार्थ होते हैं.
इसके अलावा वायु प्रदूषण, चूल्हे और चिमनी का धुआं भी हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है. सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से बचने के लिए लोगों को घर का लकड़ी का चूल्हा बंद करके गैस के चूल्हे पर आना पड़ता है. टीबी और छाती रोग विभाग में प्रतिदिन 10-11 सीओपीडी के मरीज पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक सभी मरीज स्टेज 4 के हैं. तीन-चार को तुरंत भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है. लेकिन अधिक गंभीर होने के कारण उन्हें बचाना संभव नहीं है. वे अधिकतम छह महीने के भीतर मर जाते हैं.
यदि चरण एक या दो के दौरान मरीज विभाग में आते हैं, तो उन्हें बचाना आसान होगा. इसके लिए किसी भी तरह की समस्या होने पर मरीजों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इस रोग के मरीजों को धुएं, धूल और धूल के साथ-साथ ठंड से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे सांस लेने में तकलीफ होने की आशंका रहती है. जो लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है, खासकर जिनके फेफड़े संक्रमण काल में ज्यादा प्रभावित हुए थे.
90 प्रतिशत सीओपीडी धुएं के कारण होता है. चाहे वह सिगरेट हो या चूल्हा या चूल्हा. 10 प्रतिशत मामले धूल, गंदगी और वायु प्रदूषण के कारण भी होते हैं. यह रोग सीमेंट कारखानों, फर्श मिलों में काम करने वाले या धूल भरी जगहों पर रहने वाले लोगों में भी देखा जाता है. अगर वे जल्दी आ जाते हैं तो उनकी जान बचाई जा सकती है.
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