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पुष्पराजगढ़ में कार्रवाई के नाम पर मजाक! SP के निर्देश पर पकड़े गए पत्थर लोड़ 2 वाहन, बाकियों पर नहीं पड़ रही नजर या कहें की मिलीभगत की चल रही सरकार ?

रमेश तिवारी, पुष्पराजगढ़। मध्यप्रदेश में अवैध उत्खनन जोरों पर हैं. अनूपपुर जिला भी इससे अछूता नहीं है. जिले के पुष्पराजगढ़ में खदानों से बेधड़क पत्थर निकाले जा रहे हैं. धरती का सीना छलनी किया जा रहा है. लेकिन खनिज विभाग औऱ पुलिस विभाग की कार्रवाई महज खानापूर्ति ही होती है. पुलिस ने केवल दो गाड़ियों को जब्त किया, लेकिन अभी भी कई गाड़ियां धड़ल्ले से परिवहन कर रही हैं. बड़े कारोबारियों को हाथ लगाने से डरती है या कहें की मिली भगत की सरकार चल रही है ?

दरअसल पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के ग्राम बधार में 5 मई को बधार पत्थर खदान से चोरी कर अवैध रूप से वोल्डर (पत्थर) परिवहन करते 2 हाईवा वाहनों को राजेंद्रग्राम पुलिस ने जब्त किया है. पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल को मुखबिर से सूचना दी गई थी कि राजेंद्रग्राम के पास ग्राम बधार पत्थर खदान से चोरी कर अवैध रूप से बोल्डर (पत्थर) अनूपपुर क्रेशर ले जाया जा रहा है. एसपी के निर्देश में राजेंद्रग्राम पुलिस ने ग्राम लांघा टोला पटना के पास डंपर क्रमांक MP18 GA 2467 और MP18 GA 1907 दोनों डंपर को रोककर जांच करने पर बोल्डर पत्थर लोड होना पाया गया.

डंपर चालक मुकेश यादव पिता शिवचरण यादव उम्र 22 वर्ष निवासी गोलंदा थाना धनपुरी और कुंवर सिंह गोड़ उम्र 34 वर्ष निवासी बैरीबांध थाना कोतवाली अनूपपुर से पूछताछ की गई. मौके पर कोई भी दस्तावेज वोल्डर (पत्थर) लोड कर परिवहन करने का टी पी कागजात प्रस्तुत नहीं किया गया.

इन दोनों वाहनों में लोड पत्थर बोल्डर की कीमत 20 लाख 40 हजार आंकी गई है. जिसे जब्त कर लिया गया है. अपराध क्रमांक 171/22, 172/22, धारा 379, 414, 34 ता. हि. 4/21 खनिज अधिनियम 130(3)177, 146/196, 3/181 मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत आरोपी चालक और वाहन स्वामी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है.

इस मामले में जब MPCG TIMES की टीम ने राजेन्द्रग्राम थाना प्रभारी नरेंद्रपाल सिंह से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि हमारी टीम को मौके पर 2 गाड़ियां ही मिली, तो 2 पर ही कार्रवाई की गई है.

ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या केवल दो गाड़ियां ही पत्थर का परिवहन कर रहे थे. ऐसे अनेकों गाड़ियां खुलेआम पत्थर लेकर सड़कों पर दौड़ रही है. पत्थर क्रेशरों में खपाया जा रहा है. जिस पर पुलिस और विभाग की नजर नहीं पड़ रही है. पकड़े भी जाते हैं, तो सेटिंग हो जाती है. अब इसे क्या कहा जाए बड़े अफसरों का नीचे ध्यान न देना या फिर ऊपर से ही मिली भगत होना ?

बता दें कि ग्रामीण अंचल में नियमों की अनदेखी करने वाले क्रेशर संचालकों और मुरूम पत्थर का अवैध उत्खनन करने वालों को खनिज विभाग का सरंक्षण मिल रहा है. जिस कारण पेड़-पौधों की हरियाली के साथ शासन को राजस्व की भी काफी क्षति उठानी पड़ रही है. इसीलिए कार्रवाई भी महज खानापूर्ति की जाती है.

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