: पुष्पराजगढ़ में 4 बैगा आदिवासियों की मौत: गर्भ में पल रहे बच्चे का चेहरा भी नहीं देख पाया परिवार, मौत का रहस्य गहराया
MP CG Times / Tue, Aug 6, 2024
Anuppur Pushparajgarh Salargondi 4 Baiga members died: मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के सालारगोंदी में बैगा जाति के एक परिवार के 4 सदस्यों की मौत हो गई। इस मामले में गांव के सरपंच ने कहा है कि इन सभी की मौत डायरिया से हुई है। जबकि बीएमओ ने डायरिया से मौत की बात को अफवाह बताया है।
जानकारी के अनुसार माखन बैगा उम्र 56 वर्ष, झिखिया बाई उम्र 75 वर्ष, लीलावती उम्र 20 वर्ष की मौत हुई है। लीलावती के गर्भ में 8 माह का बच्चा भी पल रहा था, उसकी भी मौत हो गई। दो अन्य जेठू बैगा उम्र 65 वर्ष, अनुज बैगा 1.5 वर्ष को उल्टी-दस्त से हालत गंभीर होने पर शहडोल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
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सरपंच का आरोप है कि डायरिया से मौत हुई है
इस मामले में सालारगोंदी के सरपंच विक्रम प्रसाद ने कहा कि बैगा परिवार के चार सदस्यों की मौत उल्टी-दस्त से हुई है। करपा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है, वहां कोई डॉक्टर नहीं है। डॉक्टर न होने से उनकी मौत हो गई। इसके अलावा नल जल की भी व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है।
बीएमओ बोले- अन्य बीमारियों से हुई मौत
इस पूरे मामले पर पुष्पराजगढ़ बीएमओ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि माखन बैगा टीबी व अन्य बीमारियों के चलते 5 से 6 महीने से बीमार था। 31 जुलाई को उसकी मौत हो गई। 2 अगस्त को झिखिया बाई की हालत गंभीर होने पर उसे निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे उच्च रक्तचाप के चलते सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी गई। लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती कराने की बजाय घर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
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इसके बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने आई नरेंद्र बैगा की पत्नी लीलावती की अचानक तबीयत खराब हो गई, तो उसे करपा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टर ने 4 अगस्त को उसे मृत घोषित कर दिया। उसके गर्भ में 8 माह का बच्चा पल रहा था, उसकी भी मौत हो गई। सोमवार को जेठू बैगा व अनुज बैगा को उल्टी-दस्त की शिकायत पर शहडोल मेडिकल भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
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इस पूरे मामले पर पुष्पराजगढ़ बीएमओ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि माखन बैगा टीबी व अन्य बीमारियों के चलते 5 से 6 महीने से बीमार था। 31 जुलाई को उसकी मौत हो गई। 2 अगस्त को झिखिया बाई की हालत गंभीर होने पर उसे निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे उच्च रक्तचाप के चलते सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी गई। लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती कराने की बजाय घर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
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