कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार अजय पाली (45) गुल्लक में जमा पैसों से नामांकन फॉर्म खरीदा। पेशे से अजय ठेले पर समोसा बेचने का काम करते हैं। पिछले कई सालों से चुनाव भी लड़ते आ रहे हैं। उनका कहना है विधायक का वेतन जनसेवा में लगाऊंगा।
जानकारी के मुताबिक, जब अजय दोनों हाथों में गुल्लक लेकर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे तो अधिकारियों ने उनसे खुद सिक्के गिनकर लाने को कहा। परिसर के बाहर ही अपने दोनों गुल्लक तोड़कर चिल्हर पैसे और छोटे नोट गिनकर 10 हजार रुपए जुटाए, फिर नामांकन फॉर्म खरीदा।
5 साल में गुल्लक में इकठ्ठा किए 10 हजार
अजय पाली के मुताबिक उनमें चुनाव लड़ने का जुनून सवार है। 2008 से विधानसभा, लोकसभा और नगरी निकाय चुनाव लड़ रहा हूं। अपने दोनों गुल्लक में साल 2018 से 2023 तक रोजाना राशि जमा करता था। राशि जमा करने में बच्चों ने भी मदद की। अब किसी दिन अपना नामांकन दाखिल करूंगा।
विधायक का वेतन जनसेवा में लगाऊंगा
उसने बताया कि जनसेवा करना चाहता हूं। गरीबों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना चाहता हूं। अन्य पार्टियों के नेताओं से लोग मुलाकात तक नहीं पाते हैं। लेकिन मुझसे सभी लोग आसानी से मिल सकते हैं। मैं गांव घर में मिल जाउंगा। विधायक के रूप में मिलने वाला वेतन का एक रुपए भी अपने लिए खर्च नहीं करूंगा। पूरा पैसा जनसेवा में लगाऊंगा।
हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाऊंगा
चुनाव में पैसा बहुत लगता है, लेकिन मैं बहुत कम खर्चा करता हूं। मतदाता जान चुके हैं अब बीजेपी और कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकना है। मुझे अच्छा समर्थन मिल रहा है। कवर्धा से चुनाव जीतने के बाद हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाऊंगा। विधानसभा में बात रखूंगा। सभी 90 विधानसभा सीट पर निर्दलीय ही चुनाव जीते।अजय पाली हर बार चुनाव जीतने का दावा करते हैं। इस बार भी वह चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं।
निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए स्टार प्रचारक के रूप में काम करूंगा
अजय पाली ने कहा कि मुझे 80 प्रतिशत मतदाता जानते हैं। बाकी सभी जगह जाकर मतदाताओं का पैर पड़ूंगा, उनसे वोट मांगूंगा। राजनीतिक पार्टी गरीबों का मजाक उड़ाती है। 5 से 6 बार चुनाव लड़ चुका हूं। इस बार सभी विधानसभाओं में निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए स्टार प्रचारक के रूप में काम भी करूंगा।
बच्चों को बनाऊंगा अफसर
अजय पाली शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे भी हैं। उसका कहना है कि एक बच्चे को कलेक्टर, दूसरे बच्चे को आईपीएस और तीसरे को स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी बनाऊंगा। बच्चों को अच्छे से पढ़ा-लिखा रहा हूं।
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