Government has banned fishing in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई है। इसको लेकर सरकार ने आदेश भी जारी कर दिया है। यह प्रतिबंध 16 जून से 15 अगस्त तक लगाया गया है। इस बीच मछली पकड़ते पाए जाने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। जेल के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। राज्य में 2 लाख से ज्यादा लोग मछली पालन से जुड़े हैं।
आदेश को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया है। यह समय मछलियों के प्रजनन के लिए अच्छा होता है। इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। इसलिए छत्तीसगढ़ नदी मत्स्य अधिनियम 1972 के तहत 16 जून से 15 अगस्त 2024 तक की अवधि को राज्य में बंद मौसम घोषित किया गया है।
यहां लागू होगा नियम
राज्य की सभी नदियों, नालों और छोटी नदियों, सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई तालाब या जलाशय (बड़े या छोटे) बनाए गए हैं, उनमें केज कल्चर को छोड़कर सभी तरह के मछली पकड़ने पर रोक रहेगी। आदेश में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर अधिनियम के तहत एक साल की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
2 लाख से ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं
छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2.20 लाख से ज्यादा लोग मछली पालन से जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ में जल निकायों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- ग्रामीण तालाब, सिंचाई जलाशय, नदियां। इनमें मछली का उत्पादन होता है। राज्य में 1 लाख 29 हजार 39 तालाब हैं, जिनमें वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 7.30 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ।
यहां मरीं मछलियां
14 जून को बलरामपुर जिले के पलटन घाट में कनहर नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मरी हुई पाई गईं। आशंका है कि मछुआरों ने अधिक मछली के लालच में पानी में जहर मिला दिया। इसी जहर की वजह से इतनी मछलियां मर गईं। जहर की वजह से नदी का पानी भी दूषित हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, नदी में अचानक सभी मछलियां मर गईं, जिससे नदी के आसपास दुर्गंध फैल गई। आसपास के इलाकों से ग्रामीण नदी में नहाने के लिए आते हैं। इसके अलावा वे पीने के लिए भी नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं। मवेशी और पक्षी भी नदी का पानी पीते हैं। ऐसे में खतरा बना रहता है कि नदी का पानी जानलेवा साबित हो सकता है।
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