शैलेन्द्र विश्वकर्मा, अनूपपुर: जिला पंचायत के अधिकारी अपने जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायतों में विकास की बात करते हुए हमेशा अपनी पीठ थपथपाते नजर आते हैं, वहीं जनपद के अफसर और ठेकेदारों की मिलीभगत से पंचायतों में हर रोज करप्शन की नई सीढियां चढ़ी जा रही है, लेकिन उन सीढ़ियों को रोकने की किसी ने हिमाकत नहीं दिखाई, बल्कि उनको और लिप्त होने दिया जा रहा है.
मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायतों में अधिकारियों के संरक्षण में ठेकेदारी प्रथा चालू कर भ्रष्टाचार गुणवत्ता विहीन कार्य किया जा रहा है. ऐसा ही मामला जिले के जनपद पंचायत अनूपपुर के कोयलांचल क्षेत्र में कई वर्षों से ग्राम पंचायतों पर ठेकेदारी प्रथा कर भ्रष्टाचार गुणवत्ता विहीन निरंतर कार्य हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद बैठे हैं.
मुख्य रूप से दाल सागर निवासी मनोज शर्मा अनूपपुर जनपद के अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में ठेकेदारी कर गुणवत्ता विहीन कार्य लगातार करा रहे हैं. स्थानीय निवासियों ने बताया कि मनरेगा जैसे कार्यों में भी यह ठेकेदार मशीनरी का उपयोग कर कार्य करा रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है.
इन ग्राम पंचायतों पर ठेकेदार हावी
अनूपपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया, बर्रतराई ,हरद,अमलाई ,देवरी सहित लगभग एक दर्जन ग्राम पंचायतों में मनोज शर्मा के द्वारा भ्रष्टाचार और गुणवत्ता विहीन निर्माण कर लाखों रुपए की राशि सरपंच-सचिव और अधिकारियों के संरक्षण में लगातार आहरण किया जा रहा है.
ग्रेवल रोड चेक डैम गुणवत्ता विहीन
शासन के द्वारा ग्राम पंचायतों में किसानों को खेती के समय पानी की समस्या से निजात मिल सके. इसके लिए आसपास के नालों पर चेक डैम का निर्माण ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया जाता है, लेकिन अधिकारियों और सरपंच सचिव कमीशन के चक्कर में ठेकेदारों के द्वारा यह कार्य गुणवत्ता विहीन करा कर राशि का अहरण कर लिया जाता है. ऐसे में कई इन ग्राम पंचायत हैं, जिसमें ठेकेदारी के माध्यम से ग्रेवल रोड और चेक डैम का निर्माण गुणवत्ता विहीन कराया गया है, जो जांच का विषय है.
ठेकेदार के खिलाफ जांच की मांग
अनूपपुर जिले के कलेक्टर सोनिया मीणा और जिला पंचायत सीईओ मिलन नागदेवे से ग्राम पंचायत के स्थानीय निवासियों के द्वारा मांग की गई है. इन ग्राम पंचायत पर सरपंच सचिव और ठेकेदार के विरुद्ध जांच की मांग की जा रही है, जिससे इन ग्राम पंचायतों में अधिकारियों सरपंच सचिव के माध्यम से हो रहे ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया जा सके. ग्राम पंचायतों के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.