: Chhattisgarh Nagar Nikay Chunav: पार्षद प्रत्याशी 8 लाख तक खर्च कर सकेंगे, जानिए नगर पालिका और पंचायत की सीमा
MP CG Times / Sat, Dec 14, 2024
Chhattisgarh Nagar Nikay Chunav: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए पार्षदों की खर्च सीमा तय कर दी गई है। ऐसे नगर निगम, जहां की आबादी 3 लाख या उससे अधिक है, वहां पार्षद चुनाव पर 8 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे। यह अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित हो चुकी है। एक दिन पहले ही निकायों और निगमों के विकास के लिए 88 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के लिए विधानसभा सत्र के बाद आचार संहिता लागू हो सकती है।
इससे पहले निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके कुछ दिन बाद वार्डवार आबादी के हिसाब से आरक्षण की सूची आएगी। चुनाव से पहले सरकार ने पार्षदों को जारी किए 6-6 लाख रुपए चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने विकास कार्यों के लिए पार्षदों को 6-6 लाख रुपए जारी किए हैं।
सीएम विष्णुदेव साय की पहल पर डिप्टी सीएम अरुण साव ने एक दिन पहले ही 14 नगर निगमों के पार्षदों के लिए 21 करोड़ 96 लाख रुपए जारी किए हैं। जबकि 166 नगरीय निकायों के पार्षदों के लिए 66 करोड़ 6 लाख रुपए की पार्षद निधि भी जारी की गई।
ओबीसी आरक्षण भी राजपत्र में शामिल
सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के निकायों में ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। राज्यपाल की सहमति से इसे राजपत्र में भी शामिल कर लिया गया है। इससे पहले ओबीसी को 25 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जाती रही है। यह शर्त भी रखी गई है कि जिन क्षेत्रों में एसटी-एससी का आरक्षण पहले से 50 प्रतिशत या उससे अधिक है। वहां ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण नहीं होगा।
इस बार महापौर का चुनाव होगा सीधा
अब नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे होगा। यानी पार्षद के साथ जनता भी महापौर और अध्यक्ष के लिए वोट करेगी। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद नियम में बदलाव किया गया। इसमें महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों को दिया गया। हालांकि भूपेश के कार्यकाल से पहले भी पार्षदों के साथ-साथ जनता महापौर का चुनाव करती थी।
13 नगर निगमों में कांग्रेस
फिलहाल छत्तीसगढ़ के 14 नगर निगमों में से 13 में कांग्रेस के महापौर हैं। हालांकि 2019 में जब चुनाव हुए थे तो जगदलपुर की महापौर सफीरा साहू कांग्रेस से चुनाव जीती थीं। अब वे भाजपा में हैं। पिछली बार जनता ने पार्षदों को चुना था। पार्षदों ने महापौर चुना था।
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ओबीसी आरक्षण भी राजपत्र में शामिल
सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के निकायों में ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। राज्यपाल की सहमति से इसे राजपत्र में भी शामिल कर लिया गया है। इससे पहले ओबीसी को 25 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जाती रही है। यह शर्त भी रखी गई है कि जिन क्षेत्रों में एसटी-एससी का आरक्षण पहले से 50 प्रतिशत या उससे अधिक है। वहां ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण नहीं होगा।
इस बार महापौर का चुनाव होगा सीधा
अब नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे होगा। यानी पार्षद के साथ जनता भी महापौर और अध्यक्ष के लिए वोट करेगी। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद नियम में बदलाव किया गया। इसमें महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों को दिया गया। हालांकि भूपेश के कार्यकाल से पहले भी पार्षदों के साथ-साथ जनता महापौर का चुनाव करती थी।
13 नगर निगमों में कांग्रेस
फिलहाल छत्तीसगढ़ के 14 नगर निगमों में से 13 में कांग्रेस के महापौर हैं। हालांकि 2019 में जब चुनाव हुए थे तो जगदलपुर की महापौर सफीरा साहू कांग्रेस से चुनाव जीती थीं। अब वे भाजपा में हैं। पिछली बार जनता ने पार्षदों को चुना था। पार्षदों ने महापौर चुना था।
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