Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: चाय बनाना भी एक कला है। अगर आप भी चाय के शौकीन हैं, तो आपको भी किसी के हाथ की बनी चाय पसंद आएगी। महासमुंद में इन दिनों एक चायवाले की धूम है। चाय बनाने और पिलाने वाले धनंजय एमबीए पास हैं। लाखों सालाना कमाने वाली नौकरी छोड़कर धनंजय ने ढाबा खोला है।
कड़ी मेहनत से हासिल की सफलता
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: अपनी मेहनत से धनंजय न सिर्फ अपने कारोबार को तेजी से बढ़ा रहे हैं, बल्कि कई लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं। धनंजय ने महासमुंद नेशनल हाईवे पर दिव्यदर्श कैफे के नाम से अपना ढाबा खोला है।
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: उनके कैफे में आने वाला ग्राहक उनकी चाय का दीवाना हो जाता है। धनंजय चंद्राकर ने अपनी दुकान पर लिख रखा है कि “यहां की चाय पीनी है, तो चुस्की बनाकर पीनी होगी।
एमबीए पास चायवाला
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: धनंजय के पिता रिटायर्ड शिक्षक हैं। पिता ने बड़ी हसरत से बेटे को एमबीए की पढ़ाई करवाई। पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनसे आगे निकलकर बड़ा अधिकारी बने।
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: पढ़ाई के बाद धनंजय ने देश के कई बड़े बैंकों में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर और रिलेशनशिप मैनेजर के तौर पर काम किया। कंपनी की तरफ से धनंजय को अच्छी सैलरी भी मिलती थी। कोरोना काल आया तो उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। परिवार पर आर्थिक दबाव भी बढ़ने लगा।
पत्नी और पिता ने किया हौसला
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: उस वक्त परिवार के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया और किसी और काम में हाथ आजमाने को कहा। परिवार के लोगों की हिम्मत देखकर धनंजय ने मार्केटिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाया। पारिवारिक संबंधों और दूसरे लोगों की गलतियों की वजह से कारोबार बंद हो गया। उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा।
अब दूसरों को दे रहे हैं रोजगार
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: पिता की मदद से धनंजय ने एक बार फिर ढाबा कारोबार में हाथ आजमाया। इस बार कारोबार चल निकला। अच्छी आमदनी भी होने लगी। कुछ ही दिनों में जमीन मालिक ने ढाबा हटाने का आदेश दे दिया। इस बार हिम्मत ने धनंजय का साथ नहीं छोड़ा। धनंजय ने पास में ही जमीन का एक टुकड़ा खरीदा और ढाबा खोल लिया।
कोई भी काम छोटा नहीं होता, सोच बड़ी होनी चाहिए
Chhattisgarh Dhananjay MBA Pass Chai Wala: एमबीए पास धनंजय आज अपने ढाबे से पूरे परिवार का पेट पाल रहे हैं। आमदनी बढ़ने के बाद अब वे कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं। भविष्य में वे बिजनेस में कुछ नया करने की सोच रहे हैं। धनंजय को देखकर यह मानना पड़ता है कि जिंदगी डिग्रियों से नहीं बल्कि हौसलों से चलती है।
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