अनूपपुर में मंत्री के बेटे खिलाफ कांग्रेस का हल्ला-बोल: आदिवासी महिला के समर्थन में कांग्रेस विधायकों ने कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कहा- जब तक न्याय नहीं तब तक हटेंगे नहीं
अनूपपुर। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के बेटे द्वारा आदिवासी महिला की जमीन खाली कराए जाने को लेकर अब कांग्रेस आर-पार की लड़ाई में उतर आई है. कोतमा विधायक सुनील सराफ, पुष्पराजगढ़ विधायक फुदेंलाल सिंह, अनूपपुर विधानसभा पूर्व प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह, प्रदेश महासचिव रमेश सिंह समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि जब तक आदिवासी महिला को न्याय नहीं मिल जाता तब तक आदिवासी महिला के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी कलेक्ट्रेट परिसर से 1 मिनट के लिए कहीं नहीं जाएंगे.
बता दें के प्रदेश सरकार के केबिनेट खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के बेटे ओम प्रकाश सिंह ने आदिवासी परिवार को उसके प्रधाममंत्री आवास से बेदखल करवा दिया है. ये मामला अब तूल पकड़ते जा रहा है. जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पुष्पराजगढ़ विधायक फुन्देलाल सिंह, कोतमा विधायक सुनील सराफ ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि मंत्री ने अपनी सत्ता के प्रभाव के बल पर आदिवासी परिवार को उसके प्रधाममंत्री आवास से बेदखल करवाया.
एक तरफ प्रदेश सरकार आदिवासियों की रक्षा और उन पर किसी प्रकार का अत्यचार ना हो इसको लेकर योजनाओं पर योजनाएं लागू कर करने के ढकोसला कर रही है. वहीं उनके ही के मंत्री के बेटे ओम प्रकाश सिंह ने एक आदिवासी परिवार को उसके प्रधानमंत्री आवास से बेदखल करवाया. कांग्रेस इसकी कड़ी निंदा करती है. पीड़ित को जब तक न्याय नहीं मिल जाता हम कांग्रेस नेता पीछे नहीं हटेंगे, उसे न्याय दिला के रहेंगे.
यह है पूरा मामला ?
मंत्री के गांव परासी में 6 एकड़ जमीन थी, जो 3 – 3 एकड़ रतिराम गोंड और संतोष सिंह दोनों के नाम से दर्ज थी. 2010 से 2021 तक यह जमीन दोनों के नाम पर रही, लेकिन मंत्री पुत्र ओमप्रकाश सिंह ने रतिराम से पूरी जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवाई और संतोष सिंह जो कि पीड़ित है, उसके नाम की जमीन में अवैध काबिज एसडीएम कोर्ट अनूपपुर से सिद्ध कर दिया गया, जबकि पीड़ित संतोष सिंह आधी जमीन का मालिक था जिसे अवैध कब्जाधारी बताकर बेदखली करवा मंत्री पुत्र ने 6 एकड़ जमीन अपने नाम करा ली. एसडीएम अनूपपुर के बेदखली के आदेश के बाद पीड़ित ने सिविल कोर्ट अनूपपुर में न्याय के लिए गुहार लगाई.
नियम कहता है कि कोई भी प्रकरण यदि न्यायालय में विचाराधीन है तो उस पर कार्रवाई करना न्याय संगत नहीं है. मंत्री और उनके पुत्रों ने एक आदिवासी को बेघर करने में कोई कसर नही छोड़ी. धन बल ओहदे का इस्तेमाल कर एक आदिवासी को अपने घर और जमीन से इस कड़ाके की ठंड में बाहर सड़क पर रहने मजबूर कर दिया. फिलहाल महिला को गांव में ही ठहराया गया है.
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