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: Ramanand Sagar की 'रामायण' में रावण का किरदार निभाने वाले Arvind Trivedi ने दी थी ये कुर्बानी, सुनकर बिलकुल नहीं होगा यकीन

Ravana Aka Arvind Trivedi Story : नितेश तिवारी की मच अवेटेड मेगा-बजट फिल्म 'रामायण' को लेकर जब से ये पुष्टि हुई है कि 'KGF' स्टार यश इसमें लंकापति रावण की भूमिका निभाएंगे, तब से ही फैंस में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. वहीं, यश इस चुनौतीपूर्ण किरदार के लिए न केवल अपनी बॉडी पर मेहनत कर रहे हैं, बल्कि हॉलीवुड के मशहूर स्टंट डायरेक्टर गाइ नॉरिस (Guy Norris) से ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. हालांकि, जब बात रावण की आती है, तो आज भी दर्शक सबसे पहले अरविंद त्रिवेदी को याद करते हैं.  जी हां, रामानंद सागर की क्लासिक टीवी सीरीज ‘रामायण’ में अरविंद त्रिवेदी ने जिस प्रभावशाली ढंग से रावण का किरदार निभाया, वो आज भी लोगों के दिलों में अमर है.

रावण नहीं, एक जीवंत अनुभव

रामानंद सागर और उनके बेटे प्रेम सागर का मानना था कि अरविंद त्रिवेदी जैसा रावण उन्हें दोबारा कभी नहीं मिल सकता. प्रेम सागर के अनुसार, अरविंद त्रिवेदी को वेदों, मंत्रों और तांत्रिक योगिक क्रियाओं का गहरा ज्ञान था. वो रावण द्वारा रचित शिव स्तुति को भी जानते थे. इस वजह से उन्हें बात करने के लिए रिहर्सल की भी जरूरत नहीं पड़ती थी. उनका वॉकिन्ग स्टाइल, आवाज और डायलॉग डिलीवरी इतनी दमदार थी कि दर्शकों को लगता था, जैसे असली रावण ही पर्दे पर उतर आया हो.

ऐसे मिला था रावण का किरदार

वहीं एक चैनल को को दिए एक इंटरव्यू में अरविंद त्रिवेदी ने बताया था कि वो तो 'केवट' के किरदार के लिए ऑडिशन देने गए थे. लेकिन ऑडिशन के बाद जब वो बाहर निकलने लगे, तो रामानंद सागर ने उनकी बॉडी लैंग्वेज और एटीट्यूड देखकर कहा, 'मुझे मेरा रावण मिल गया'. रावण के किरदार के लिए 400 से ज्यादा लोगों ने ऑडिशन दिया था, लेकिन चुना गया अरविंद त्रिवेदी को. इसी भूमिका ने उन्हें हिंदी और गुजराती फिल्मों की दुनिया में कई रोल दिलवाए. जी हां, उन्होंने 250 से ज्यादा फिल्में कीं.

मिसाल थे अरविंद त्रिवेदी

अरविंद त्रिवेदी राम और शिव दोनों के भक्त थे. वो इतने भावुक और श्रद्धालु थे कि हर सीन की शूटिंग से पहले राम की आरती करते और भगवान राम से माफी मांगते थे. खासकर उन दृश्यों के लिए जिनमें उन्हें प्रभु राम को अपशब्द कहने होते थे. उन्होंने बताया था कि रावण के किरदार के लिए उन्होंने पूरे शूटिंग पीरियड में व्रत रखा. वो दिनभर कुछ नहीं खाते थे, और रात को शूटिंग के बाद ही भोजन करते थे.

फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन नहीं, किरदार में डूबना थी उनकी तैयारी

जहां यश आज रावण के लिए अपनी फिजीक और डाइट पर मेहनत कर रहे हैं, वहीं अरविंद त्रिवेदी ने शारीरिक ताकत से ज्यादा अपने अभिनय और आत्मिक तैयारी पर ध्यान दिया. उनका मुकुट ही 10 किलो का था, और भारी-भरकम कॉस्ट्यूम पहनने में उन्हें हर दिन 5 घंटे लगते थे. फिर भी उन्होंने कभी थकान का प्रदर्शन नहीं किया.

VFX नहीं, आवाज और अभिनय से बना असली रावण

उस दौर में न कोई VFX था, न कोई भारी-भरकम बैकग्राउंड म्यूजिक. अरविंद त्रिवेदी ने सिर्फ अपनी रौबीली आवाज, कड़क डायलॉग डिलीवरी और गहन भाव-भंगिमा से रावण को ऐसा जीवंत किया कि वो खुद एक प्रतीक बन गए. जी हां, जब 'रामायण' लॉकडाउन के दौरान दोबारा प्रसारित हुआ, तब नई पीढ़ी ने भी उन्हें रावण के रूप में देख कर यही कहा, 'ऐसा रावण दोबारा नहीं हो सकता.'

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