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अमरकंटक में होगी अश्‍वगंधा-लेमनग्रास की खेती: औषधीय को बढ़ावा देने जिला प्रशासन ने बनाया प्लान, 200 किसान 100 हेक्टेयर भूमि में करेंगे खेती

अमरकंटक। कुदरत के दिए गए वरदानों में पेड़ पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है. पेड़ पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं, बल्कि आय का भी एक जरिया बन जाते हैं. हमारे शरीर को निरोगी बनाए रखने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है. यही वजह है कि भारतीय प्रमाणित ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं.

माँ नर्मदा के उद्गम क्षेत्र अमरकंटक में वनस्पति, औषधीय पौधों का अपना महत्व है. ऋषि मुनियों की इस परम्परा को स्थानयी वैद्य आज भी आगे बढ़ा रहे हैं. अमरकंटक क्षेत्र के इस महत्व को पहचान कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अमरकंटक क्षेत्र में औषधीय खेती को बढ़ावा देने की मंशा व्यक्त की. जिसे मूल रूप से क्रियान्वित करने में जिले की कलेक्टर सोनिया मीना ठोस पहल के तहत सूक्ष्म कार्ययोजना पर कार्य कर रही है.

कलेक्टर सोनिया मीना के नेतृत्व में जिला प्रशासन, सी-मैप लखनऊ के वैज्ञानिक व इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्‍वविद्यालय अमरकंटक के प्रोफेसर के समन्वित प्रयास से औषधीय खेती के रूप में लेमनग्रास एवं पालमरोसा, अश्वगंधा को चिन्हित कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, कृषि, उद्यानिकी, वन, आयुष विभाग के सक्रिय सहयोग से अमरकंटक क्षेत्र के लगभग 200 किसानों को लगभग 100 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा.

जिन्हें औषधीय खेती के तरीके व उन्नत तकनीक का अध्ययन कराने उन्नत हर्षल बगानों का भ्रमण कर विशेषज्ञों से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. माह जुलाई में पालमरोसा व लेमनग्रास की औषधीय खेती और सितंबर 2022 में अश्‍वगंधा की औषधीय खेती की शुरुआत की जाएगी.

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