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MP News: 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले के 6 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा अभियोजन आरोप साबित करने में नाकाम रहा

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मध्य प्रदेश के तीन हजार करोड़ ई-टेंडर घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को 6 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन अपने आरोप साबित करने में नाकाम रहा।
 
मध्य प्रदेश के ई-टेंडर घोटाले के मामले की सुनवाई स्पेशल जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में चल रही थी। इस मामले में मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डॉयरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के व्यवासायी मनीष खरे आरोपी थी। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। ब्रह्मे की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका।
  
बता दें ई-टेंडर घोटाला 2018 में हुआ था। इसमें एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मध्य प्रदेश जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक कुल 9 टेंडर के सॉफ्टवेयर में छेड़छाउ़ की बात सामने आई थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने हार्डडिस्क के एनालिसिस रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। जहां ईओडब्ल्यू कोर्ट के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया।
 
 

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मध्य प्रदेश के तीन हजार करोड़ ई-टेंडर घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को 6 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन अपने आरोप साबित करने में नाकाम रहा।

 

मध्य प्रदेश के ई-टेंडर घोटाले के मामले की सुनवाई स्पेशल जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में चल रही थी। इस मामले में मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डॉयरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के व्यवासायी मनीष खरे आरोपी थी। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। ब्रह्मे की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका।

  

बता दें ई-टेंडर घोटाला 2018 में हुआ था। इसमें एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मध्य प्रदेश जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक कुल 9 टेंडर के सॉफ्टवेयर में छेड़छाउ़ की बात सामने आई थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने हार्डडिस्क के एनालिसिस रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। जहां ईओडब्ल्यू कोर्ट के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया।

 

 

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