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Jabalpur: पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित मंदिर में अवैध निर्माण व खुदाई, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

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मप्र हाईकोर्ट में जबलपुर स्थित 17वीं शताब्दी के बादशाह हलवाई मंदिर में अवैध निर्माण व अतिक्रमण किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि पुरातत्व विभाग ने उक्त मंदिर को पुरातत्व संपदा घोषित किया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि जबलपुर पोलीपाथर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में किया गया था। पुरातत्व विभाग द्वारा उसे पुरातत्व संपदा मानते हुए नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके रखरखाव व सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। पुरातत्व धरोहर होने के बावजूद भी मंदिर की भूमि में खुदाई एवं अतिक्रमण किया जा रहा है। जिसकी शिकायत करने पर पुरातत्व विभाग के उप संचालक ने जांच में अवैध निर्माण होना पाया था।

जिसके बाद मंदिर को सुरक्षित रखने तथा अतिक्रमण हटाने के संबंध में जिला कलेक्टर को 7 नवंबर 2022 को पत्र लिखा गया था। कलेक्टर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर उक्त याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने युगलपीठ को बताया कि मंदिर के टापू को खोद कर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इससे ना केवल उक्त धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है बल्कि मिट्टी धसकने से जान-माल का खतरा भी बना हुआ है। याचिका में मध्यप्रदेश शासन, कलेक्टर जबलपुर, उपसंचालक पुरातत्त्व विभाग एवं नगर निगम कमिश्नर को अनावेदक बनाया गया है। 

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मप्र हाईकोर्ट में जबलपुर स्थित 17वीं शताब्दी के बादशाह हलवाई मंदिर में अवैध निर्माण व अतिक्रमण किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि पुरातत्व विभाग ने उक्त मंदिर को पुरातत्व संपदा घोषित किया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि जबलपुर पोलीपाथर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में किया गया था। पुरातत्व विभाग द्वारा उसे पुरातत्व संपदा मानते हुए नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके रखरखाव व सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। पुरातत्व धरोहर होने के बावजूद भी मंदिर की भूमि में खुदाई एवं अतिक्रमण किया जा रहा है। जिसकी शिकायत करने पर पुरातत्व विभाग के उप संचालक ने जांच में अवैध निर्माण होना पाया था।

जिसके बाद मंदिर को सुरक्षित रखने तथा अतिक्रमण हटाने के संबंध में जिला कलेक्टर को 7 नवंबर 2022 को पत्र लिखा गया था। कलेक्टर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर उक्त याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने युगलपीठ को बताया कि मंदिर के टापू को खोद कर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इससे ना केवल उक्त धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है बल्कि मिट्टी धसकने से जान-माल का खतरा भी बना हुआ है। याचिका में मध्यप्रदेश शासन, कलेक्टर जबलपुर, उपसंचालक पुरातत्त्व विभाग एवं नगर निगम कमिश्नर को अनावेदक बनाया गया है। 

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