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…तो पुष्पराजगढ़ में हैट्रिक पर ब्रेक तय ? 23 के सियासी रण में 11 चेहरे, क्या जनता दोहराएगी ‘सुदामा कार्ड’, या खाई में फिर धंसेगा विकास, जानिए क्या कहता है इतिहास ?

Pushprajgarh Assembly Election 2023 Special Report: अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में अब चुनावी बिसात बिछ गई है. नेताजी वोटर्स को रिझाने एड़ी चोटी एक कर रहे हैं. बीजेपी ने पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम पर दांव खेला है, तो वहीं कांग्रेस ने भी मौजूदा विधायक फुंदेलाल पर भरोसा जताया है. अब सवाल है कि पुष्पराजगढ़ की रूठी जनता को कौन मना सकता है ?. विकास के नाम पर जो खाई बनी है, उसे कौन पाट सकता है ?. क्या पुष्पराजगढ़ की जनता हैट्रिक लगवाएगी या फिर सुदामा कार्ड खेलकर तख्ता पलट देगी. सियासी गलियारे में अलग-अलग चर्चाएं हैं, जो चौंकाने वाले हैं. किसी के जुबां पर तख्ता पलट तो किसी के जुबां पर हैट्रिक, लेकिन विकास की बात करें, तो जनता नेताओं को कोस रही है. कहीं सड़कें नहीं, तो कहीं पानी नहीं, तो कहीं बिजली की समस्या आज भी बरकरार है. मजदूरों को के पास काम नहीं और युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं. बस नेताजी एड़ी चोटी एक करने में लगे हैं, लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है ?

दरअसल, पिछले दो विधानसभा चुनावों से पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को हार मिल रही है. 2013 विधानसभा चुनाव की बात करें या 2018 विधानसभा चुनाव की. दोनों चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अलग-अलग उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन वे यहां से जीत नहीं सके. इस बार एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने अलग उम्मीदवार उतारा है, लेकिन इस बार युवा चेहरे पर दांव लगाया है. हीरा सिंह श्याम को अचानक टिकट नहीं दिया गया, बल्कि इसकी तैयारी काफी पहले से की जा रही थी. इसकी तैयारी खुद हीरा सिंह श्याम भी काफी पहले से कर रहे थे.

हीरा सिंह युवाओं के बीच लोकप्रिय

हीरा सिंह श्याम युवाओं के बीच काफी मशहूर हैं. वह बहुत सारे खेल आयोजन आयोजित करते हैं, जो युवाओं को एकजुट रखते हैं. वह धार्मिक कार्यक्रमों से भी जुड़े रहते हैं. माना जाता है कि गांवों में उनकी अच्छी पकड़ है. कई गांवों के सरपंच हीरा सिंह श्याम ने अपने बीच से ही युवा दोस्त बना लिए हैं. वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. हीरा सिंह श्याम पूर्व में जनपद पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वह गांवों की राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं. श्याम वर्तमान में बीजेपी के जिला महासचिव भी हैं और संघ के करीबी भी माने जाते हैं.

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बीजेपी के लिए ये सीट मुश्किल रही

हालांकि ये सीट बीजेपी के लिए आसान नहीं रही है, बीजेपी को यहां से दो बार हार का सामना करना पड़ा है. यह सीट राजनीति के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के युवा नेता हीरा सिंह श्याम कांग्रेस के गढ़ में कमल खिला पाएंगे या नहीं ?.

नेताओं में आपसी गुटबाजी !

वैसे तो पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट आदिवासी सीट है और इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने काफी पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और वह है उनकी पार्टी के नेताओं की आपसी गुटबाजी. कहा ये भी जा रहा है कि गुटबाजी पर कुछ हद तक ब्रेक लग गया है. सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी हीरा को जिताने में जुट गए हैं, लेकिन भितरखाने की कहानी कुछ और है.

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क्या है विधायक फुंदेलाल की स्थिति ?

पुष्पराजगढ़ विधानसभा में विधायक फुंदेलाल की स्थिति की बात करें तो यहां मिली-जुली प्रतिक्रिया है. पुराने विधायक होने के नाते स्थिति निश्चित तौर पर मजबूत है. स्थानीय स्तर पर कांग्रेस का वोट प्रतिशत अधिक है, लेकिन विधायक अपने क्षेत्र में बेहतर विकास कार्य नहीं करा पाए हैं. ऐसे में अब बीजेपी से मार्को की कड़ी टक्कर होने के आसार हैं.

जीत की हैट्रिक लगाना अब किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. बीजेपी ने युवा चेहरे पर दांव खेलकर फुंदेलाल की मुसीबत बढ़ा दी है. इसके अलावा कांग्रेस से बागी होकर नर्मदा सिंह भी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. इनको कांग्रेस के बड़े नेताओं का समर्थन है. ऐसे में कांग्रेस के लिए ये सीट हैट्रिक पर ब्रेक न लगा दे.

विधानसभा में पानी और सड़क की समस्या

पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पानी की जटिल समस्या है. पुष्पराजगढ़ पहाड़ पर होने के कारण पानी लाने में काफी कठिनाई होती है. सड़क समेत कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिसे लेकर विधायक से जनता में काफी नाराजगी है. कई इलाके आज भी ऐसे हैं, जहां स्कूल नहीं, टीचर नहीं हैं. लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है.

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पुष्पराजगढ़ में पलायन की समस्या

आदिवासी बाहुल्य विधानसभा पुष्पराजगढ़ में रोजगार के लिए ऐसे कोई विशेष संसाधन नहीं हैं. इसलिए यहां के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को काम की तलाश में दूसरे जिलों या दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है. इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और खासकर आदिवासी समुदाय में नाराजगी भी देखी जा रही है. यहां की आय का मुख्य स्रोत कृषि है. कुछ खास किसी नेता ने आदिवासियों के लिए नहीं किया है.

ये है इस सीट का इतिहास

साल 2013 में पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को कांग्रेस के फुंदेलाल लाल सिंह मार्को ने करीब 35,647 वोटों के अंतर से हराया था. भारतीय जनता पार्टी ने साल 2013 में सुदामा सिंह को टिकट दिया था, लेकिन इस दौरान फुंदेलाल सिंह मार्को को 69,192 वोट मिले, जबकि सुदामा सिंह को 33,545 वोट मिले.

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मार्को ने नरेंद्र मरावी को हराया

साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से अपना उम्मीदवार बदल दिया था और कांग्रेस ने जहां फुंदेलाल सिंह मार्को पर दांव लगाया था, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र सिंह मरावी को टिकट दिया था. बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह मरावी को फुंदेलाल सिंह ने करीब 21401 वोटों से हराया.

पुष्पराजगढ़ में कब कौन रहा विधायक ?

1957: ललन सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962: चिन्ता राम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1967: एल सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1972: दलबीर सिंह, निर्दलीय
1977: हजारी सिंह, जनता पार्टी
1980: अंबिका सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस (I)
1985: दीलन सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1990: कुंदन सिंह, जनता दल
1993: शिवप्रसाद सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1998: शिवप्रसाद सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2003: सुदामा सिंह, भारतीय जनता पार्टी
2008: सुदामा सिंह, भारतीय जनता पार्टी
2013: फुंदेलाल सिंह मार्को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2018: फुंदेलाल सिंह मार्को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

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