MP News: वर्मा ट्रेवल्स में 6 महीने से चल रहा GST फर्जीवाड़ा, यात्रियों से वसूल रहे पर सरकार को लगा रहे चूना
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मध्य प्रदेश में बस ऑपरेटर वर्मा ट्रेवल्स यात्रियों से टिकट और पार्सल बुकिंग पर जीएसटी की राशि ले रहा है, लेकिन सरकार के राजस्व में जमा नहीं कर रहा है। यह सिलसिला 6 माह से लगातार जारी है। इस मामले में जीएसटी अनियमितता पाए जाने के बाद वर्मा ट्रेवल्स के जीएसटी नंबर को सस्पेंड कर दिया गया। हद तो यह है कि इसके बावजूद आज दिनांक तक रिटर्न और टैक्स नहीं जमा किया गया है।
मध्य प्रदेश में वर्मा ट्रेवल्स पार्सल बुकिंग पर 18 प्रतिशत और यात्रियों के टिकट पर 6 प्रतिशत जीएसटी की राशि ले रहा है। नियमानुसार यह राशि अगले महीने सरकार के राजस्व में जमा होनी चाहिए, लेकिन यहां पर राशि जमा ही नहीं की जा रही है। ट्रेवल्स की तरफ से अगस्त महीने में अंतिम बार टैक्स जमा किया। जानकारी के अनुसार नियमित जीएसटी की राशि जमा नहीं करने पर विभाग ने ट्रेवल्स का 1 नवंबर से जीएसटी अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। इसके बावजूद ट्रेवल्स की तरफ से जीएसटी के नाम पर वसूली जारी है। वहीं, राशि को सरकार के खाते में जमा नहीं किया जा रहा है। इस मामले में स्टेट जीएसटी के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्मा ट्रेवल्स का अकाउंट केंद्रीय जीएसटी विभाग का है। इस पर उनके द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
करीब 20 करोड़ का टर्नओवर
वर्मा ट्रेवल्स का मध्य प्रदेश में करीब 20 करोड़ रुपए का टर्न ओवर है। जानकारी के अनुसार 2021-22 में ट्रेवल्स की तरफ से करीब 30 लाख रुपए जीएसटी जमा किया गया था, लेकिन अगस्त 2022 के बाद से कंपनी की तरफ से टैक्स जमा ही नहीं किया जा रहा है।
अधिकारियों पर भी उठ रहे सवाल
वर्मा ट्रेवल्स से 6 माह से लगातार यात्रियों और पार्सल बुक करने वालों से जीएसटी की वसूली की जा रही है। इसके बावजूद उसे सरकार के पास जमा नहीं किया जा रहा है। ना ही अपना सस्पेंड जीएसटी नंबर को चालू कराया जा रहा है। इससे प्रदेश में जीएसटी विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ट्रेवल्स संचालक बोले- हम जल्द जमा कर देंगे
वर्मा ट्रेवल्स संचालक अनिल वर्मा से जब इस बारे में पूछा तो उनका कहना है कि दो से तीन महीने जीएसटी भरने में देरी हुई है। उसे जल्द ही भरकर नियमित कर लिया जाएगा। वहीं, त्यौहार पर ज्यादा किराया वसूली पर वर्मा ने कहा कि नेशनल परमिट में उनके पास किराया तय करने के अधिकार है। उनको कई टोल पर हजारों रुपए भरना पड़ता है।