गिरीश जगत, गरियाबंद। वाह रे सिस्टम औऱ वाह रे सेटिंग. यहां माफिया जाग रहा है और प्रशासन सो रहा है. रेत माफिया बेहिसाब धरती का दोहन कर रहा है. सरकारी संपदा लूट रहा है. सरकार को करोड़ों का चना लगा रहा है, लेकिन मजाल है कि माफिया पर सरकारी आंंच आ जाए. अब भी कई रेत खदानों में धड़ल्ले से रेत माफिया अवैध तरीके से रेत निकाल रहा है. माफिया मलाई छान रहा है और जिम्मेदार आंख पर पट्टी बांध के बैठे हैं. कार्रवाई के नाम पर महज झुनझुना थमाया जाता है. सरकारी अफसरों का काम ग्रामीणों को करना पड़ता है. सरकारी तंत्र बेबस होकर बैठा है. खनिज संपदा का बेहिसाब दोहन जारी है.
दरअसल, गरियाबंद में राजनीतिक रसूख से रेत की अवैध खदानें धड़ल्ले से जारी है. पथर्री समेत कई जगहों पर अवैध तरीके से खदानें हैं, जहां माफिया बेखौफ रेत निकाल रहा है. MP-CG टाइम्स की खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया, लेकिन कुछेक जगह कार्रवाई करके फिर एसी दफ्तर में बैठकर हवा खाने लगे. सरकारी सिस्टम और माफिया से हताश होकर अवैध खदान पर ग्रामीणों ने धावा बोल दिया.
MP-CG टाइम्स की खबर के बाद पथर्री के ग्रामीणों ने अवैध रेत खदानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ग्रामीण हेमू साहू,महाजन ध्रुव के नेतृत्व में 100 से ज्यादा ग्रामीणों ने पथर्री रेत घाट पहुंच कर चेन माउंटेन से हो रहे अवैध खुदाई को बंद कर दिया. ग्रामीण अफसरों के कार्रवाई नहीं करते तक प्रदर्शन जारी रखने की बात कह थी, ठेकेदार को भेंडरी के रकबे का आबंटन हुआ है, लेकिन वह नियम को ताक में रख कर मजदूरों के बजाए मशीन से खनन करवा रहा है.
वहीं इसके पहले माइनिंग अफसरों की टीम ने चौबे बांधा में चल रहे अवैध खदान पहूंच चेन माउंटेन को सील किया था. लीज की अवधी खत्म होने के बावजूद इस खदान में दूसरे जिले के एक कांग्रेस विधायक के वरद हस्त प्राप्त नेता इस खदान का संचालन कर रहा था. रोजाना 2 लाख से भी ज्यादा की कमाई इस अवैध खदान से हो रही थी.
कूकदा के खदान से नहर डैमेज
रसूखदारों के फेहरिस्त में अब सबसे बड़ा नाम कूकदा के खदान संचालन कराने वालों के नाम सामने आ रहा है. पांडुका थाने के बाजू से कूकदा पिकवियर के नहरों को डैमेज करते हुए यहा रेत से भरी बड़ी गाड़ियां निकलती हैं. वहां चेन माउंटेन से बेधङ्क खनन कराया जा रहा है. भारी हो हल्ला व पंचायत के विरोध के बाजूद इस खदान में कार्रवाई के लिए प्रशाशन की सांस फूल रही हैं. बताते हैं यहां अगर कार्रवाई हुई तो प्रशासन के अन्य कमजोरियों की कलई खुल जाएगी.
पीतई बंद में नर्सरी उजड़ रहा
किसी भी रेत खदान संचालन के लिए एन जी टी के निर्देश के मुताबिक पौध रोपण कराना अनिवार्य है, लेकिन प्रतिबंध में चल रहे अवैध खदान के कारण यहां लगी सरकारी नर्सरी चौपट हो रही है. खनन के चलते कटाव का दायरा इतना बढ़ गया है कि बारिश आते ही नर्सरी में लगाए पेड़ इस बार बह जाएंगे.
एक राम प्यारी, स्टाफ भी अधूरी
अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के पीछे पहली वजह राजनीतिक दबाव तो है ही, लेकिन दूसरी वजह स्टाफ की कमी का होना है. प्रभारी खनिज माइनीग अधिकारी फागुलाल नागेश ने कहा की जहा भी अवैध संचालन हो रहा है. सभी जगह बारी बारी से कार्रवाई करेंगे, क्योंकि हमारे पास संसाधन और स्टाफ की कमी है. जिले में खनिज विभाग में 16 पद स्वीकृत है,लेकिन निरक्षक, मान चित्रकार, सिपाही व अन्य स्टाफ समेत अब भी 8 पद रिक्त हैं.
इसके चलते फील्ड में अवैध कार्य को रोकना हो या नए खदान के लिए फाइल त्यार करना हो, दोनो ही काम बाधित होते हैं. फील्ड करने के लिए 90के दशक का एक पुरानी जीप है, जिसकी मरम्मत हर माह कराना पड़ता है. इसी रामप्यारी से 250 किमी में फैले जिले का दौरा विभाग करता है.
आधा करोड़ की जुर्माना वसूली_
गैर राजनीतिक प्रभाव वाले इलाके व परिवाहन करने में विभाग देर नहीं करता. अधूरे संसाधन के बावजूद कार्रवाई संतोष जनक रहता है. ये हम नही सरकारी आंकड़ा बता रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में 31 मार्च 2023 तक विभाग ने 50 लाख 46420 रुपए का राजस्व वसूला था. सबसे ज्यादा 159 कार्रवाई अवैध परिवहन के थे. इस केस में 31 लाख 86940 रुपए की वसूली कार्रवाई हुई थी. अवैध भंडारण के खिलाफ चलाए गए मुहिम से 10 लाख जुर्माना वसूला गया था.
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