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200 लोगों को सांप ने डसा ! झाड़फूंक के चक्कर में मौत, जमीन पर सोने के कारण बिछी लाशें, जानिए अंधविश्वास से कितनी मौतें ?

More than 200 incidents of snakebite in Surguja division: सरगुजा संभाग में पिछले तीन माह में सर्पदंश की 200 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से 171 गंभीर मरीजों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया. समय पर इलाज मिलने से जहां 152 पीड़ितों की जान बचायी जा सकी. वहीं झाड़-फूंक या अन्य कारणों से देर से पहुंचे 19 मरीजों को नहीं बचाया जा सका.

बताया जा रहा है कि जून माह में संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से सर्पदंश के 37 पीड़ितों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिनमें से तीन मरीजों की मौत हो गई, जबकि 34 को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई. वहीं, जुलाई माह में सर्पदंश के 64 पीड़ित भर्ती हुए, जिनमें से 9 की मौत हो गई.

वहीं, अगस्त महीने में सर्पदंश से पीड़ित 70 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. इनमें से 7 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई, जिससे 89 प्रतिशत मरीजों को तीन माह के अंदर समय पर अस्पताल लाने पर बचाया जा सका, जबकि डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद 19 मरीजों की जान नहीं बचाई जा सकी.

ज्यादातर घटनाएं जमीन पर सोने के कारण हुईं

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक संभाग में सर्पदंश के ज्यादातर शिकार जमीन पर सोने वाले लोग हुए. लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जमीन पर न सोएं, क्योंकि बारिश के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इसके बावजूद लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी है.

अंधविश्वास भी मौत का कारण बना

सरगुजा संभाग के ग्रामीण इलाकों में भी सर्पदंश की स्थिति में कई परिवार के सदस्य पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय ओझाओं के पास ले जाते हैं या उन्हें अपने घर बुला लेते हैं, जिसके कारण मरीज को सही समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता है. सरकारी अस्पतालों में भी कई बार परिजन ओझा को बुलाते हैं. सर्पदंश पीड़ितों की मौत का एक बड़ा कारण अंधविश्वास भी माना जाता है.

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