स्लाइडर

MP News: धर्म धम्म सम्मेलन का शुभारंभ, राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू बोली- जो सबको धारण करें वही धर्म है

विस्तार

राजधानी भोपाल के में सांची विश्वविद्यालय और इंडिया फाउंडेशन द्वारा तीन दिवसीय सांतवे अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुभारंभ किया। कुशाभाऊ अंतर्राष्ट्रीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जो सबको धारण करें वहीं धर्म है।

  

राष्ट्रपति द्रौपर्दी मुर्मू ने कहा कि धर्म-धम्म की अवधारणा भारतीय चेतना का मूल स्वर है। हमारी परंपरा में कहा गया है कि जो सबको धारण करता है, वह धर्म है। धर्म की आधार-शिला पर ही पूरी मानवता टिकी हुई है। राग और द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करुणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। मानवता के दुख के कारण का बोध कराना और उस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना, पूर्व के मानववाद की विशेषता है, जो आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। राष्ट्रपति ने कहा कि कभी-कभी कहा जाता है कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं। सम्मेलन में 5 देशों के मंत्री और 15 देशों के विद्वान व चिंतक शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन का समापन पांच मार्च को होगा।

बुद्ध ने दु:ख से निकलने के मार्ग सुझाए

राष्ट्रपति ने कहा कि महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दु:ख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया। गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरन का रास्ता सुझाया, जिसके लिए कहा जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार।

 

धर्म-धम्म चिंतन से सद्भाव बढ़ेगा

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि हमारे भारतीय दर्शन की मान्यता इस विश्वास में निहित है कि विश्व सबके लिए है। युद्ध की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मानवता के कल्याण के लिए शांति, प्रेम और एक-दूसरे के प्रति विश्वास आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धर्म-धम्म चिंतन से प्राचीन सभ्यताओं के बीच विचारों के परस्पर विनिमय से सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि हिंसा और युद्ध से कराहते विश्व के लिए बुद्ध एक समाधान हैं।

 

भारतीय परंपरा में सारी धरती एक परिवार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय की स्थापना प्रदेश के लिए सौभाग्य का विषय है। यहां भारतीय ज्ञान और बौद्ध दर्शन के अध्ययन के अवसर सृजित होंगे। पूर्व के मानववाद का मूल चिंतन है कि एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्वान हैं, सारी धरती एक ही परिवार है। हमारे यहां जिओ और जीने दो और ‘धर्म की जय हो-अर्धम का नाश हो-प्राणियों में सद्भाव हो और विश्व का कल्याण हो का विचार सर्वत्र व्याप्त है। भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों, नदियों, वृक्षों और पहाड़ों को भी पूजा गया है। दशावतार की अवधारणा में यह स्पष्टत: परिलक्षित होता है। भारतीय परंपरा में सारी धरती को एक परिवार माना गया है। सभी जीवों के साथ दया और सम्मान तथा आंतरिक शांति और निर्विकार भाव विकसित करना आवश्यक है।

 

भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि

राम-जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि है। हम किसी पर आक्रांता नहीं हुए, हमने सभी विचारों और विश्वासों का स्वागत किया है। धम्म और धर्म भविष्य के विश्व की आशा के केन्द्र हैं। यहां से निकला प्रकाश मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रारंभ में सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने सम्मेलन के उद्देश्य और आगामी कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी।

 

राष्ट्रपति ने पुस्तक का विमोचन किया 

सम्मेलन में राष्ट्रपति मुर्मु ने प्रो. एसआर भट्ट द्वारा लिखित पुस्तक ‘द पेनारोमा ऑफ इण्डियन फिलॉस्फर्स एण्ड थिंकर्स का विमोचन किया। ‘नए युग में मानववाद का सिद्धांत विषय पर हुए सम्मेलन में 5 देशों के मंत्री, 15 देशों के विद्वान, चिंतक और शोधार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को एक मंच प्रदान करने वाला यह सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा।

भूटान और श्रीलंका के मंत्री तथा इंडोनेशिया के उप राज्यपाल 

कार्यक्रम में प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, भूटान के गृह और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री उगेन दोरजी, श्रीलंका के संस्कृति और धार्मिक मामलों के मंत्री विदुर विक्रमनायके, श्रीलंका के प्रो. राहुल अनुनायक थेरा, इंडोनेशिया के उप राज्यपाल प्रो. डॉ. आईआर तोजोकोर्डो ओका अर्थ अरदाना सुकवती उपस्थित थे।

 

15 देशों से 350 से अधिक विद्वान शामिल हो रहे

धर्म धम्म के वैश्विव विचारों को एक मंच प्रदान करने वाले इस सम्मेलन में 15 देशों से 350 से अधिक विद्वान शामिल हो रहे हैं। इस बार भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन से सम्मेलन में सहभागिता है।  तीन दिन में 4 मुख्य सत्रों में 25 विद्वान अपने अपने विषय का निरुपण करेंगे। इसी दौरान 15 समानातंर सत्र भी होंगे,  जिनमें सम्मलेन की थीम  नए युग में मानववाद का सिद्धांत (Eastern Humanism in New Era) पर केंद्रित 115 शोधपत्र पढ़े जा रहे हैं।

 

 

Source link

Show More
Back to top button