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1500 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारी सस्पेंड: हड़ताल से मरीज थे बेहाल, सरकार की सख्ती से मचा हड़कंप

More than 1500 health workers suspended in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने शनिवार को एक साथ डेढ़ हजार से ज्यादा कर्मचारियों को निलंबित करने का आदेश दिया है. इसके बाद दुर्ग सीएमएचओ ने जिले के 205 स्वास्थ्य कर्मियों का निलंबन आदेश भी जारी कर दिया है. ये वो कर्मचारी हैं जो 10 दिन से ज्यादा समय से काम बंद कर हड़ताल पर हैं.

प्रदेश के सभी हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों को सबक सिखाने के लिए भूपेश बघेल सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. निलंबित सभी स्वास्थ्य कर्मी राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संघ समेत 10 विभिन्न संगठनों के बैनर तले हड़ताल पर थे.

वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल में शामिल हुए थे. हड़ताल के दौरान इन सभी ने अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार कर दिया था.

स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी

राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी पिछले 13 दिनों यानी 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे. ये सभी अपनी मांगों को लेकर अपने-अपने जिलों में धरने पर बैठे थे. उनकी हड़ताल को खत्म करने के लिए भूपेश सरकार ने आवश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) की भी घोषणा की थी.

इसके बावजूद कर्मचारी काम पर नहीं लौटे। लगातार दो हफ्ते की हड़ताल के कारण अस्पतालों में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने सभी कर्मचारियों को निलंबित करने का आदेश दिया.

कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला

इस मामले का समाधान निकालने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को कैबिनेट बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने सभी हड़ताली कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

सरकार के आदेश के बाद प्रदेश के सभी जिलों के सीएमएचओ ने अपने-अपने जिले में तैनात 1500 से ज्यादा हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. इसमें सबसे ज्यादा कांकेर जिले से 568 कर्मचारी शामिल हैं, इसके बाद जगदलपुर से 296 और दुर्ग जिले से 205 कर्मचारी शामिल हैं.

हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों की यही मांग है

कर्मचारी लंबे समय से वेतन विसंगति दूर करने, नियमितीकरण, 13 माह का वेतन, 4 लेयर वेतनमान और पदोन्नति, पदनाम परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा आयुष विभाग में नई भर्तियों की जगह अंशकालिक कर्मचारियों को पूर्णकालिक करने की भी मांग है.

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