
गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग नगर पंचायत का प्रथम चुनाव अनारक्षित मुक्त कोटा सीट हो गया है। घोषित आरक्षण ने सभी वर्ग को मौका दे दिया है। आरक्षण ऐलान होने के बाद प्रथम नगर पंचायत बनने के लिए कई दिग्गजों ने मैदान मारने की अंदरूनी तैयारियां तेज कर दी है। इस बीच राजनीतिक पार्टियों में भी दावेदारों को लेकर चर्चा तेज है।
कांग्रेस की नजर दो चेहरों पर टिकी
भाजपा की तुलना में कांग्रेस का चेहरा साफ हो चुका है। पार्टी की नजर कांग्रेस के नगर अध्यक्ष राजेश तिवारी और अब तक तीन बार लगातार ग्राम पंचायत सरपंच रहे घनश्याम प्रधान पर हैं। घनश्याम एक बार स्वयं और दो बार अपनी धर्मपत्नी रेवती प्रधान को सरपंच बनाने में सफल रहे।
जीत के पीछे राजेश तिवारी की भूमिका अहम
इन तीनों जीत के पीछे राजेश तिवारी की भूमिका अहम थी। ऐसे में दोनों दावेदारी कर दिए तो पार्टी असमंजस में आ जाएगी। हालांकि इस बार राजेश तिवारी के नाम पर आपसी सहमति बनने की संभावना दिख रही है। संगठन के कई दायित्व को भली भांति से निर्वहन किया था। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के गढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी जीत के लिए राजेश की मेहनत तमाम बड़े नेताओं के नजरों में था।
राजेश तिवारी क्यों पड़ेंगे भारी ?
नगर पंचायत अस्तित्व में आते ही राजेश तिवारी का नाम चर्चा में आ गया,आरक्षण वर्ग अनुकूल हुआ तो समर्थक उन्हें प्रथम अध्यक्ष के रूप में देखना भी शुरू कर दिया इसके पीछे अब जानिए वजह क्या है। पंचायत के चुनाव में राजेश सफल किंग मेकर माने जाते रहे हैं। सभी वर्ग में राजेश की खासी पैठ है।
कारोबारी से लेकर मजदूर व हमाल तक राजेश के सौम्यता के कायल है। ऐसे में राजेश तिवारी का टिकट कटा भी तो मैदान में निर्दलीय भी उतरे तो बाजी मार लेंगे। हालांकि घनश्याम प्रधान ने राजेश को खुला समर्थन देकर उनका रास्ता साफ कर दिया है। राजेश के पर्सनालिटी के आगे भाजपा मंजे चेहरे की तलाश में है।
भाजपा को चेहरे की तलाश
भाजपा से युवा चेहरा अमित अवस्थी, ओबीसी वर्ग से सुशील यादव, वर्तमान नगर पंचायत संचालन समिति के अध्यक्ष अनिल बेहेरा की दावेदारी सामने आ सकती है, लेकिन भाजपा का नाम आंतरिक सर्वे के आधार पर तय होगा। कहा जा रहा है कि अब भी भाजपा को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जो कांग्रेस के प्रत्याशी को सीधा टक्कर दे सके।
कांग्रेस को मिलती है बढ़त
वर्षों से हो रहे चुनाव परिणाम के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में देवभोग ग्राम पंचायत के 4 बूथों में से तीन में कांग्रेस को हमेशा से बढ़त मिलती है।
नगर पंचायत में सोनामूंदी और झराबहाल जुड़ गया है। इन दोनों बूथ के जुड़ने से वोटरों का राजनीतिक बैलेंस भले बराबर बैठ जाएगा, लेकिन चेहरे के मामले में कांग्रेस की तुलना में भाजपा के पास कोई दमदार चेहरा नहीं है।
एक और नाम चर्चा में
कांग्रेस भाजपा के बीच एक ओर नाम चर्चा में है वह है मनोज मिश्रा। युवाओं में पैठ रखने वाले मनोज मिश्रा जन सरोकार के कार्य में सक्रिय रहते हैं। वर्तमान में व्यापारी संघ के अध्यक्ष हैं। किसी भी प्रशासनिक दिक्कत में लोग इन्हें संकट मोचन मानते हैं।
पूर्व में जनपद सदस्य रह चुके हैं। पंचायत के सरपंच चुनाव में भी किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। नगर पंचायत बनने के बाद उनके नाम का भी चर्चा है। मनोज मिश्रा आप पार्टी के बड़े चेहरे हैं। हालांकि चुनावी मैदान में उतरे तो वे निर्दलीय लड़ेंगे।
क्या बोले कांग्रेस जिला अध्यक्ष ?
कांग्रेस जिला अध्यक्ष भाव सिंह साहू ने कहा कि हमारे पास जनाधार वाले मजबूत चेहरे हैं। आम सहमति बना कर कोई भी एक नाम तय किया जाएगा। अभी किसे देना है यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन नाम सभी कार्यकर्ता के भावनाओं के अनुरूप होगा।
टिकट पर क्या बोले भाजपा जिला अध्यक्ष ?
भाजपा जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशी तय करने का अपना एक फॉर्मूला है। जितने योग्य प्रत्याशी हैं, उन पर विधिवत मंडल से नाम आने पर विचार होगा।
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