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ED की ABCD और सलाखों के पीछे बड़े बड़े नेता: 2023 तक 5,906 केस दर्ज, कितना शक्तिशाली है ED, जानिए क्या-क्या है एंजेसी का काम ?

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: देश की सबसे ताकतवर एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी. इतनी ताकतवर कि वह जब चाहे किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. वो भी बिना किसी वारंट के. गिरफ्तारी की वजह भी मत बताना… अगर ईडी किसी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जांच शुरू कर दे तो यकीन मानिए उसका बचना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सजा की दर 96 फीसदी है.

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: दरअसल, ईडी ने अपने प्रदर्शन का डेटा साझा किया है. इसमें जांच एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत 31 जनवरी 2023 तक दर्ज मामलों के बारे में डेटा दिया है।

पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ अपराध दर्ज

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: ईडी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कानून बनने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 176 यानी 2.98% मामले वर्तमान या पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ हैं।

1 हजार 142 मामलों में आरोप पत्र दाखिल

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: ईडी ने कहा कि इनमें से 1 हजार 142 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 25 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है. 24 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, जबकि एक में उन्हें बरी कर दिया गया है. इसके मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सजा की दर 96 फीसदी है.

31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 मामले दर्ज

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: ईडी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कानून बनने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 1 हजार 142 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. 25 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है. 24 मामलों में आरोपियों को सजा हो चुकी है. इसके मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सजा की दर 96 फीसदी है.

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: ईडी ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों की 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जबकि कोर्ट ने दोषियों पर 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

नेताओं के खिलाफ एजेंसी की कार्रवाई पर सवाल

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: प्रवर्तन निदेशालय ने ये आंकड़े ऐसे समय जारी किए हैं जब विपक्षी राजनीतिक दल अपने नेताओं के खिलाफ एजेंसी की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं.

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: ईडी द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 1,919 कुर्की आदेश जारी किए गए, जिसके तहत कुल 1 लाख 15 हजार 350 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है.

ED का काम क्या है ?

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) 1947 में लागू हुआ। इसके तहत 1 मई 1956 को ED का गठन किया गया। पहले इसका नाम प्रवर्तन इकाई था, जिसे बाद में बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया।

ED Crime Detail Story And Action Till 2023: शुरुआत में ईडी का काम विदेश में संचालित एक्सचेंज मार्केट में लेनदेन करने वाले लोगों की जांच करना था। बाद में PMLA, FEMA, FEOA जैसे कानून आए और ED की ताकत बढ़ती गई.

पैसे के दुरुपयोग से कमाई गई संपत्ति की जांच

ईडी मुख्य रूप से तीन तरह के अपराधों पर काम करती है. पहला- मनी लॉन्ड्रिंग, जिसमें पैसे के दुरुपयोग से कमाई गई संपत्ति की जांच कर उसे जब्त करना होता है। दूसरा- विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन रोकना और तीसरा- भगोड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना, जिसमें विदेश भागे अपराधियों की संपत्ति जब्त करना शामिल है.

ED कितना शक्तिशाली है ?

2013 में यूपीए सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन किया था. इस संशोधन के बाद ईडी को चाहे कितनी भी रकम की हेराफेरी हुई हो, उसकी जांच करने का अधिकार मिल गया. जबकि, पहले यह सीमा 30 लाख रुपये तक थी.

पीएमएलए एक्ट में सबसे बड़ा बदलाव मोदी सरकार ने 2019 में किया था. इससे ईडी काफी ताकतवर हो गई. इससे ईडी को बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल गया। इतना ही नहीं, ईडी को यह भी अधिकार दिया गया कि अगर उसे लगता है कि अवैध तरीके से कमाए गए पैसे से कोई संपत्ति बनाई गई है तो वह उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.

बिना कारण बताए जारी कर सकती है समन

इसके अलावा ईडी के पास यह भी शक्ति है कि अगर वह किसी व्यक्ति को समन जारी करती है तो उसका कारण बताने की जरूरत नहीं है। साथ ही, ईडी के समक्ष दिया गया बयान अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य होता है, जबकि अन्य मामलों में बयान तभी कानूनी रूप से वैध होता है, जब वह मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कॉपी देने का कोई प्रावधान नहीं

अगर पुलिस या अन्य जांच एजेंसी एफआईआर दर्ज करती है तो आरोपी को उसकी कॉपी मांगने का अधिकार है, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कॉपी देने का कोई प्रावधान नहीं है. पीएमएलए कानून में सबसे बड़ी सख्ती ये है कि खुद को निर्दोष साबित करने का भार आरोपी पर होता है. ऐसे मामलों में जमानत मिलना मुश्किल होता है.

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