बिसाहूलाल के अनूपपुर विधानसभा में बदहाली: कीचड़ से लथपथ स्कूली बच्चे, सड़कें नहीं, सुविधाएं नहीं, कलेक्टर से भी गुहार, मंत्रीजी अपने जिला में नहीं किए विकास, अब जनता से कैसे मांगेंगे वोट ?
बदहाल-ए-अनूपपुर विधानसभा: गांव तो है, लेकिन सड़कें नहीं, रहने को मकान तो हैं, लेकिन सिर पर मुकम्मल छत नसीब नहीं. गांव में लोग तो रहते हैं, लेकिन दिल में खुशी नहीं. बस आंखों में आस और एक उम्मीद है, जिसकी बिनाह पर ये लोग आज भी जिंदा हैं. कई सरकारें आईं, कई सरकारें गईं, लेकिन अपनी बुनियादी जरुरतों के लिए लोग आज भी तस रहे हैं. न आवागमन के लिए सड़कें, न पढ़ने के लिए स्कूल और इलाज के लिए बेहतर अस्पताल नहीं. इस गांव के लोग दोजख जैसी जिंदगी जीने को बेबस हैं, जो अब स्थानीय जनप्रतिनिधि और शिवराज सरकार में मंत्री बिसाहूलाल को कोस रहे हैं.
मंत्री जी कैसे मांगने जाएंगे इनसे वोट ?
ये कहानी अनूपपुर विधानसभा के ग्राम पंचायत खमहारिया की है. जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश ग्राम पंचायत खमरिया के अंतर्गत भांगहा गांव आता है. प्राथमिक पाठशाला भांगहा पांचवीं पास करके स्कूल के बच्चे छठवीं से दसवीं तक की पढ़ाई करने अमिलिहा हायर सेकेंडरी स्कूल जाते हैं.
कीचड़ में गिर जाते हैं स्कूली बच्चे
ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कीचड़ में कई बार बच्चे गिर जाते हैं. कपड़े खराब होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. वापस लौटकर आ जाते हैं.
कलेक्टर ने भी नहीं सुनी गुहार
ग्रामीणों का आरोप है कि शासन और प्रशासन ध्यान नहीं देता है. हमने कई बार ग्राम सभा में प्रस्ताव दिया है, जिसका कोई सुनवाई नहीं हो रही है. कलेक्टर साहब के पास हम जनसुनवाई 22-8-2023 को अर्जी लगाई थी, लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं हुई. मेन रोड से इस रोड की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है. रोड को जल्द से जल्द स्वीकृत कराने की अपील की, लेकिन कलेक्टर ने भी नहीं सुनी.
सरकारी दफ्तरों का काट चुके चक्कर
जब हमने यहां के लोगों से विकास के बारे में पूछा, तो लोगों ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हमने विकास के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर न काटा हो. ऐसा कोई दफ्तर नहीं जहां हमारी अर्जियां न पहुंची हो, लेकिन सरकारी नुमाइंदे और नेता हर बार देखकर भी अनदेखा कर देते हैं.
विकास किस चिड़िया का नाम ?
ग्रामीणों ने कहा कि एसी कमरों में बैठने वाले अधिकारी और चमचमाती गाडियों में घूमने वाले नेता विकास के कितने ही दावे करें, लेकिन मगर अनूपपुर जिले में ऐसे गांवों की कमी नहीं है, जो नहीं जानते कि विकास किस चिडिया का नाम है. कई बार कुछ कहने की जरुरत नहीं होती, तस्वीरें खुद-ब-खुद हालात बयां कर देती हैं.
मंत्रीजी के विधानसभा में नहीं दौड़ी विकास की गाड़ी
बहरहाल, ये गांव आज भी उम्मीदों पर जिंदा है. कई सरकारें आई और गई, लेकिन इस गांव में न विकास की गाड़ी दौड़ी और न गांव के गलियारों में खुशियों की लहर आई. इस गांव के लोगों का इंतजार आज भी खत्म नहीं हुआ. कभी तो विकास इस गांव के चौखट पर भी दस्तक देगा.
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