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डिंडोरी में चुनावी टिकट पर टेंशन ! BJP किस पर जताएगी भरोसा, ‘मरकाम’ पर दांव या कांग्रेस बदल देगी चेहरा, पढ़िए डिंडोरी-टू- राजधानी की रेसिंग स्टोरी

गणेश मरावी, डिंडोरी। मध्यप्रदेश कुछ ही महीने में चुनाव है. ऐसे में अब दावेदारों की सांसें हलक पर अटकी है. पार्टियां कब किसका नाम सूची में जारी कर दें, इसे कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे में अब सियासी दिग्गज लगातार नेता मंत्रियों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं. डिंडोरी-टू-राजधानी की रेस में जुटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि डिंडोरी में बीजेपी की टेंशन बढ़ी हुई है. बीजेपी से कई दावेदार हैं, जबकि कांग्रेस से एक ही चेहरा है, जिसका रास्ता साफ है, लेकिन खबरें ये भी रही हैं कि कई कांग्रेस विधायकों के टिकट कट सकते हैं, ऐसे में कहीं डिंडोरी विधायक का भी नंबर न लग जाए, लेकिन ऐसा नहीं होगा, क्योंकि डिंडोरी से वे कद्दावर नेता माने जाते हैं, जिन्हें पिछले 15 साल से कोई पटखनी नहीं दे पाया.

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दरअसल, डिंडोरी विधानसभा में 2008 से लगातार कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम भाजपा समेत अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को मात देते आ रहे हैं. 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम ने भाजपा, गोंगपा, आम आदमी पार्टी, बसपा के उम्मीदवार समेत अन्य लोगों को भारी मतों से पराजय किया था.

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2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा 39 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें डिंडोरी विधानसभा के उम्मीदवार का नाम नहीं आया है. ऐसे में दिग्गज नेता टिकट मिलने को लेकर राजधानी तक भागदौड़ कर रहे है. साथ ही जनता से भी लगातर संपर्क साध रहे हैं. वहीं कांग्रेस से विधायक ओमकार सिंह मरकाम का टिकट तय माना जा रहा है.

कांग्रेस से 32,840 मतों से हारे थे ओमप्रकाश धुर्वे

2008 में कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम को 68,885,भाजपा प्रत्यासी ओमप्रकाश धुर्वे को 36,045,आईएनडी प्रत्यासी गंगा सिंह पटटा को 15,019 एवं गोंगपा बसपा जेडीयू समेत अन्य पार्टी के प्रत्यासियों को 10 हजार से कम मत मिले थे. 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रे प्रत्यासी ओमकार मरकाम ने भाजपा प्रत्यासी ओमप्रकाष धुर्वे को 32,840 मतो से पराजित किया था.

कांग्रेस से 6388 मतों से हारे थे जय सिंह मरावी

2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम ने जीत हासिल किया. उक्त चुनाव में कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम को 76,866, भाजपा प्रत्यासी जय सिंह मरावी को 70,478, गोंगपा प्रत्यासी हरेंद्र सिंह मार्को को 12,128 और बसपा,आईएनडी, सपा के उम्मीदवारों को 5000 सक कम मत मिले थे. विधायक ओमकार मरकाम ने 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्यासी जय सिंह मरावी को 6388 मतों से हराया था.

कांग्रेस से 32,052 मतों से हारे थे जय सिंह मरावी

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का पुन: भाजपा प्रत्याशी जयसिंह मरावी से सामना हुई, जिसमें भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ओमकार मरकाम को 85,039, भाजपा प्रत्यासी जयसिंह मरावी को 52,989 ,गोंगपा प्रत्यासी गंगा सिंह पटटा को 28,274 एवं बसपा,आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को 8000 से कम मत मिले थे.

जयसिंह मरावी का पत्ता साफ ?

2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जयसिंह मरावी को कांग्रेस विधायक ओमकार मराकाम ने 6388 मत से हराया था. उसके बावजूद भाजपा ने डिंडोरी विधानसभा से पुन: जयसिंह मरावी पर भरोसा जताया और चुनाव के लिए मैदान में उतार दिया, जिसमें कांग्रेस से पुन: 32,052 मतों से हार का सामना करना पड़ा.

मरकाम को टक्कर देने वाले उम्मीदवार की तलाश

डिंडौरी विधानसभा में 2008 से लेकर अभी तक कांग्रेस विधायक का कब्जा है. ओमकार मरकार को हरा सके ऐसे उम्मीदवार भाजपा गोंगपा, आप समेत अन्य पार्टियों में दिखाई नहीं दे रहा है. भाजपा ऐसे चेहरा की तलाश में है, जो कांगेस विधायक ओमकार मरकाम से टक्कर ले सके, लेकिन यहां पर ऐसे चेहरा नही हैं.

पिछले 3 पंचवर्षीय से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. डिण्डौरी विधानसभा में भाजपा के दिग्गज नेता कहे जाने वाले ओमप्रकाश धुर्वे एवं जय सिंह मरावी नही जीत पाये है. चर्चा है कि भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में डिंडौरी विधानसभा से नाम नहीं आने से दिग्गजों का मंथन चल रही है.

ये हो सकते है डिंडौरी विधानसभा के उम्मीदवार

2023 में डिंडोरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ओमकार मरकाम का टिकट तय माना जा रहा है. वहीं भाजपा से राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धुर्वे लड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा द्वारा जारी पहली सूची में शहपुरा से ओमप्रकाश को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इसके अतिरिक्त डिंडौरी विधानसभा से पंकज तेकाम, ज्योतिप्रकाश धुर्वे, जय सिंह मरावी, राजेन्द्रपाल कुशराम समेत अन्य ने दावेदारी कर रहे हैं.

गोंगपा से हरेंद्र सिंह मार्को अन्य पार्टी के उम्मीदवार दावेदारी कर रहे हैं. वहीं जानकारी मिल रही है कि जिला पंचायत अधयक्ष रुद्रेश परस्ते द्वारा भी चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है. हालांकि रुद्रेश परस्ते किसी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय लड़ेंगे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.

कांग्रेस – भाजपा का सिर दर्द बन रही जयस

डिंडौरी विधानसभा में 2008 से लगातार भाजपा को करारी हार मिल रही है. माना जा रहा है कि भाजपा के पास ऐसा चेहरा नहीं है, जो विधानसभा चुनाव को अपने कब्जे में कर सके. इसी बात को लेकर दिग्गजों की मंथन चल रही है. वहीं दूसरी तरफ जयस भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है. जिस प्रकार जयस के कार्यकर्ताओं ने डिंडौरी विधानसभा और शहपुरा की समस्याओं को लेकर आवाज उठाते हैं और समय – समय पर शिक्षा, बिजली,पानी, अस्पताल, भ्रष्टाचार समेत अन्य मुददों को लेकर जिले से लेकर सदन तक आवाज उठाते हैं.

विकास के नाम पर सिर्फ झुनझुना

लोंगो का कहना है कि भाजपा – कांग्रेस विकास के नाम पर सिर्फ ढिंढोरा पीटते नजर आती है. यहां पर 15 साल से विधायक ओमकार मरकाम हैं, लेकिन उनके द्वारा विकास पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया है. अभी भी गांवों में पक्की सड़क नहीं है. पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं, खेतों में सिंचाई का साधन नहीं, जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माण कराए गए बांध क्षतिग्रस्त हैं. नहर क्षतिग्रस्त है. स्कूल जर्जर हैं. विद्यार्थियों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है. लोंगो को रोजगार के लिए अन्य राज्यों के लिए पलायन करना पड़ता है. मराजों को लाने ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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